(मनोज इष्टवाल)
अब ये मत कह देना कि ये तैकाs क्या है? उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का शुद्ध संस्कृति निष्ठ शब्द कहा जा सकता है तैकाs। भावार्थ समझाएं तो तैका खुशियों के पकवान का नाम हुआ। यानि कड़ाई में ढेर सारे तेल को गर्म कर उसमें पूरियां तलना, अरसे रोट बनाना या पकोड़े बनाना। यह सब किसी विशेष अवसर पर ही किसी भी लोक संस्कृति में होता है। अर्थात खुशियों को साझा करने के लिए ऐसे पकवानों का निर्माण करना जो यदाकदा ही आम गृहणियां अपने घरों में बनाती हैं।
इसे इत्तेफाक ही कहिये कि मेरा जब श्रीमति मंजुला तिवारी के आवास में जाना हुआ तब उनके किचन से भीनी-भीनी महक आ रही थी। मैं बोला- मैडम आज कुछ विशेष बन रहा है। तब श्रीमती तिवारी तपाक से बोली -आज मेरा पांचवां जन्मदिन है इसलिए तैकाs चढा रखा है।
खैर बात आई गयी हुई दुआ सलाम के बाद कुछ देर में गर्मागर्म सूझी ड्राई फ्रूट्स वाली व रोट चाय के साथ हाजिर हुए। बातों-बातों में पता चला कि आज ही के दिन पांच बर्ष पूर्व देहरादून के आकाशवाणी केंद्र का उद्घाटन हुआ था। मंजुला जी इसे उत्तरायणी लखनऊ से सेवानिवृत्ति के बाद दूसरी पारी समझती हैं।
कौन हैं श्रीमती मंजुला तिवारी?
●पिछली बार लखनवी पेड़े इस बार ठेठ गढ़वाली रोट (रूटन्ना)।
●आकाशवाणी देहरादून की पांचवीं साल गिरह पर चढ़ा तैकाs।
श्रीमति मंजुला तिवारी…एक ऐसा नाम जो आपने सुना तो जरूर होगा लेकिन अब रेडियो दूर हो गया है तो यह जरूर कहेंगे कि मंजुला तिवारी नाम याद तो हो रहा है लेकिन कहाँ और कैसे यह ध्यान नहीं आ रहा है।
श्रीमति मंजुला तिवारी (कम्पीयर) आकाशवाणी लखनऊ से उत्तरायणी कार्यक्रम संचालित करने वाली प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं, जिनकी आवाज बर्षों तक दूर दराज सरहद की रक्षा चौकियों में बैठे गढ़ कुमाऊं के फौजी भाइयों तक रेडियो के माध्यम से पहुंचती थी व इसी आवाज को सुनकर सब अपनी खुद बिसराते थे। उत्तरायणी कार्यक्रम सिर्फ प्रदेश निवासियों में ही लोकप्रिय नहीं था बल्कि प्रवासी उत्तराखंडी भी इस कार्यक्रम को शिद्दत से सुनते थे।
10 जुलाई 2016 को लखनऊ आकाशवाणी से यह आवाज अंतिम बार सुनाई दी क्योंकि अपने पति जे पी तिवारी के साथ लखनऊ प्रवास छोड़कर आप इसी दिन फ्लाइट से अपने प्रदेश देहरादून लौट आई और आपके साथ लखनऊ उत्तरायणी कार्यक्रम का वह तिलिस्मी कार्यक्रम भी समाप्त हो गया जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे थे।
सौभाग्य देखिए 29 जून 2017 को आकाशवाणी देहरादून की शुरुआत क्या हुई श्रीमति मंजुला तिवारी को आकाशवाणी देहरादून से कार्यक्रम अधिकारी अनिल भारती जी का फोन आता है कि आप ने आज के कार्यक्रम में शिरकत करनी है। श्रीमति मंजुला तिवारी आनन फानन पहुंचती है तब आकाशवाणी के निदेशक विभूतिभूषण भट्ट हुआ करते थे, उनका, अनिल भारती व विनय ध्यानी की उपस्थिति में वह उद्घाटन समारोह के गढ़वाली कार्यक्रम “ग्राम जगत” विनय ध्यानी जी के साथ प्रस्तुत करती हैं।
यह सब मैं इसलिए जोड़ रहा हूँ क्योंकि बर्षों का उत्तरायणी लखनऊ से उनकी विदाई के साथ ही हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो गया लेकिन उत्तराखंड में कदम रखते ही आकाशवाणी देहरादून ने श्रीमति मंजुला तिवारी को अंगीकार कर उनके रिटायरमेंट को कहा अभी आप सेवानिवृत हुई ही कहाँ हैं।
मंजुला जी के घर जब पहली बार गया तब उन्होंने लखनवी शिष्टता के साथ मुझे घर में अपने हाथों से बनाये पेड़े खिलाये। दूसरी बार यानि कल गया तो उन्होंने ठेठ गढवाली अंदाज में रोटाना (रोट) बनाकर खिलाये। गर्म गर्म दो रोट तो मैं उसी समय खा गया। बाकी कुछ उन्होंने सौगात के तौर पर मुझे एक डिब्बे में बंद करके घर के लिए भी दिये।
इन रोटों में कितने ड्राई फ्रूट्स व घी ठसाठस ठूंसा गया था, मुझे पता नहीं लेकिन दाढ़ में लगा स्वाद अभी तक जाने का नाम नहीं ले रहा है।
इसे कहते हैं एक संस्कृति के बाद दूसरी संस्कृति के प्रति भी उतना ही समर्पण। श्रीमति मंजुला रोट बनाने वाले सांचे दिखाती हुई कहती हैं ये मेरे मायके का अनमोल गिफ्ट है मेरे लिए। उनके इन शब्दों में घुला अमृत व नजरों से प्यार झलक रहा प्यार अकूत था।
जेपी तिवारी जी ने सुंदर लखनवी चिकन का कुर्ता पहना था जिसकी प्रशंसा किये बिना मैं रह नहीं सका। फिर क्या था घर से विदा लेते हुए मुझे गिफ्ट में एक हाफ स्लीव सुंदर चिकन का अल्टीमेट कुर्ता भी गिफ्ट में मिल गया। सच कहूं आत्मा तृप्त हो गयी। इसको कहते हैं बल – वाह क्य खाणी, क्य पीणी अर जांद दां पिठाई भी।
श्रीमती मंजुला तिवारी कहती हैं जिस संस्थान को उन्होंने बर्षों दिये बदले में उस संस्थान ने उन्हें नाम शोहरत इज्जत सब दी। जीवन यापन का माध्यम भी दिया । ऐसे में मेरा ही नहीं हम सबका दायित्व है कि हम उस संस्थान के प्रति वही प्रेम स्नेह ताउम्र बनाए रखें जिसके बलबूते हम सबल बनें है।
श्रीमति मंजुला का अपने संस्थान #आकाशवाणी के प्रति यह रुख आत्मविभोर कर गया।श्रीमती मंजुला तिवारी व #आकाशवाणीदेहरादून के समस्त स्टाफ को पांचवीं बर्षगाँठ की शुभकामनाएँ।