दिल्ली के दानीदाता के सहयोग से 13 लाख 65 हजार में हुआ कार्य
श्री तुंगनाथ। विश्व के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित पंच केदारों में प्रतिष्ठित तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की छतरी का जीर्णोद्धार कार्य बर्फवारी के बीच कलश स्थापना के साथ विधि- विधान से संपन्न हो गया है। जीर्ण-शीर्ण हो चुकी तुंगनाथ मंदिर की छतरी का दानीदाता के सहयोग से मरम्मत कार्य संपन्न हो गया है। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु लगातार कार्य चल रहा है श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में कोठा भवन का जीर्णोद्धार का कार्य गतिमान है। श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी मंदिर की छतरी का भी जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है जबकि श्री त्रिजुगीनारायण मंदिर के प्रचार प्रसार हेतु भी कार्य हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि तुंगनाथ मंदिर की नयी छतरी का निर्माण देवदार की लकड़ी से किया गया है । पहले की तरह नक्काशीदार बनाया गया है। बीते 4 सितंबर को पुरानी जीर्ण छतरी को उतारा गया था । और कलश को मंदिर गर्भ गृह में रखा गया था। पांच सप्ताह बाद में छतरी बनकर तैयार हुई तथा मंदिर के शीर्ष पर स्थापित की गयी। उसके बाद सोमवार तुंगनाथ में बारिश के बाद बर्फबारी शुरू हो गयी थी । पूरे तुंगनाथ क्षेत्र में बर्फ की सफेद चादर बिछ गयी। इसी दौरान कलश पूजा के बाद गर्भगृह से लाकर हक हकूकधारियों तथा पश्वागणों की उपस्थिति में पूजा-अर्चना संकल्प के साथ मंदिर के शीर्ष में छतरी एवं कलश को पूर्ववत विराजमान कर दिया गया। छतरी का जीर्णोद्धार करनेवाले दिल्ली के दानीदाता संजीव सिंघल के सहयोग से 13 लाख 65 हजार की लागत से नयी छतरी का निर्माण किया गया। कलश तथा छतरी स्थापना के दौरान भगवान महादेव, भैरवनाथ जी, भूतनाथ जी मां भगवती कालिंका अवतरित हुई । और छतरी तथा कलश को स्थापित करने की अनुमति दी।
इस अवसर पर मंदिर सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल,मठापति रामप्रसाद मैठाणी, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, प्रबंधक बलबीर नेगी, भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, मंगोली गांव के धर्म्वाण बंधु, मंदिर के पुजारी गण गीता राम मैठाणी, प्रकाश मैठाणी आदि मौजूद रहे।
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.