Thursday, August 21, 2025
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प्रेमांजली के सम्पादक आशुतोष ममगाईं का अकस्मात निधन। पत्रकारिता जगत हतप्रभ।

(मनोज इष्टवाल)

बड़ा खला उसका यूं इतनी कम उम्र में ही हम सबको अलविदा कहना। वह बेहद सरल, सौम्य व मिलनसार व्यक्तित्व का धनी था। क्या उत्तराखंड की पत्रकारिता से जुड़े लोग और क्या राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्र में रुचि रखने वाले…! सभी ने आशुतोष की मौत पर अपने सोशल साइट पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए शोक व्यक्त किया है।

जुम्मा-जुम्मा पांच दिन पूर्व ही तो आशुतोष बोलकर गया था कि भैजी इस बार आपके चरण इसलिए छू रहा हूँ क्योंकि इस बार आपने संघ के गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में भागीदार बनना है क्योंकि अगर हम आप ही यह सब नहीं करेंगे तो राष्ट्र व अपनी धर्म संस्कृति का ध्वज पताका कैसे फहराएंगे। मैं बस मुस्करा भर दिया था क्योंकि उससे पूर्व हिमांशु अग्रवाल अधिकारपूर्वक कहकर गए थे कि इस बार गुरुदक्षिणा कार्यक्रम में आपको उपस्थित होना है, बाकी मै नहीँ जानता कि आप कहाँ रहेंगे क्या रहेंगे।

आशुतोष ममगाईं जब भी सचिवालय विधान सभा या कहीं बाहर अक्सर टकरा जाते तो कहते-भैजी, इस बार आपका फलां लेख मैगजीन में छाप दूँ, आपको पता है गरीब पत्रकार हूँ उसका कोई पारिश्रमिक नहीं दे पाऊंगा लेकिन मेरा एक ही उद्देश्य है कि आपकी सामाजिक सरोकारिता की पत्रकारिता उन लोगों तक अवश्य पहुंचे जिनका वर्तमान से मन भर गया है ।

प्रेमांजली मैगजीन आप उठाकर देखेंगे तो आपको भी आभास हो जाएगा कि आशुतोष के मन में क्या छटपटाहट थी। वह उम्र में 32 बसन्त ही अभी पार किया होगा मुश्किल से..! विगत 24 सितम्बर 2016 को ही तो उसकी शादी हुई थी, एक बेटा 2 साल का है। उसे जब भी जल्दी जाना होता तो वह कोई बहाना नहीं बनाता बल्कि साफ कह देता- भैजी, चलता हूँ वरना बापू मेरी क्लास लगा देंगे। इसीलिये मैं आशुतोष का फैन था क्योंकि उसे आज भी माँ बाप के मूल्यों का पता था।

आशुतोष उन चंद पत्रकारों में से एक था जिन्हें हम गरीब पत्रकार कह सकते हैं, जिसमें मैं स्वयं भी शामिल हूँ। एक ठेठ पहाड़ी किस्म का पत्रकार जिसे पत्रकारिता की आड़ में धंधा करना कभी नहीं आया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की टीम का एक ऐसा सिपाही जिसने कभी यह अभिमान नहीं किया या कभी यह जताया बताया नहीं कि उसके सम्बन्धों में उसका दायरा क्या है व कहाँ तक फैला है। लगभग 20 दिन पूर्व मेरे ऑफिस में जब हम बतिया रहे थे तब उसी के पत्रकार मित्र अवधेश नौटियाल ने छेड़ते हुए कहा- ममगाईं जी, यार आप डॉ. निशंक के इतने खास व्यक्ति हैं फिर भी आप अपने लिए विज्ञापन नहीं जुटा पाते और न किसी का कोई काम ही करवा पाते। आशुतोष ने बेहद साफगोई के साथ कहा- अवधेश भाई, मेरे लिए इतना ही काफी है कि कभी माननीय निशंक जी से फोन पर बात हो जाती है, वरना पूरा देश देखने वाले व्यक्ति के पास कहाँ इतनी फुर्सत। रही बात काम करवाने की तो सच कहूं आजकल तो हालात यह हो गए हैं कि मैगजीन भी समय पर निकाल लूं गनीमत है। आशुतोष बोले- निशंक जी के नाम पर मैं किसी से कोई वसूली करूँ वह मेरे जमीर में शामिल नहीं है।

दरअसल यह बात सरकारी विज्ञापनों को लेकर परिचर्चा के बाद हुई थी। मुझे नहीं पता कि आशुतोष के खाते की क्या स्थिति होगी? ना ही उसके घर परिवार की स्थिति की जानकारी है लेकिन इतना जरूर जानता हूँ कि एक ऐसा वफादार पत्रकार पत्रकारिता की अल्पायु में ही हमसे दूर बहुत दूर चला गया जिसने हाल ही में बिजनेस स्ट्रजी बनाई थी और ऑनलाइन ई मैगजीन के साथ विजुअल न्यूज़ का नया तरीका ईजाद किया था।

आशुतोष के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि “पत्रकार, युवा नेता एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता श्री आशुतोष मंमगाईं के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।”

वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आशुतोष ममगाईं के आवास में शोक संदेश के साथ एक सन्देश वाहक भेजा व उनके परिजनों से दूरभाष पर बात की है।

बतौर उत्तराखण्ड वेब मीडिया एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष होने के नाते मेरा प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी से अनुरोध है कि इस आकस्मिक निधन के बाद आशुतोष के परिवार की स्थिति का आंकलन करवाकर उनके परिवार को आर्थिक सहायता व उनकी धर्मपत्नी को किसी सरकारी महकमे में फिलहाल संविदा पर कोई नौकरी देने का कष्ट करें ताकि एक साफ सुथरी छवि के पत्रकार को सम्भलने का सहारा मिल सके।

ज्ञात हो कि विगत तीन दिन पूर्व बुखार आने के बाद आज हॉस्पिटल ले जाते समय आशुतोष का आकस्मिक निधन हो गया, जिससे उत्तराखंड का सम्पूर्ण मीडिया जगत हतप्रभ है व सोशल साइट पर पोस्ट लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त कर रहा है। आशुतोष का अंतिम संस्कार आज शांय चंद्रबनी घाट पर किया गया ।

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात: पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवाव शिष्यते।
ॐ विष्णवे नम:।।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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