(मनोज इष्टवाल)
यह जरूरी नहीं कि वर्तमान में हर एक नए अपना जमीर बेच दिया हो चाहे वह डॉक्टर्स हो, वकील, पुलिस या पत्रकार हों, हर एक जगह मानवता बची हुई है। भले ही ये चारों पेशे आज सोशल साइट पर सबसे ज्यादा टारगेट होते रहे हैं लेकिन हर किसी के व्यक्तित्व को एक तराजू में तोल लेना ठीक नहीं है। ऐसा ही कुछ विगत दिन तब दिखने को मिला जब “विचार एक नई सोच” पत्रिका द्वारा डॉक्टर्स डे पर डॉक्टर्स के सम्मान समारोह में डॉ ज्योति शर्मा ने मंच पर अपना संबोधन दिया।
पत्रकार व डॉक्टर्स को संबोधित करते हुए डॉ ज्योति शर्मा ने जहां बढ़ते लिंगानुपात पर चिंता जताई वहीं उन्होंने भ्रूण हत्या के मामलों में अपने ही पेशेवरों पर अंगुली भी उठाई है । उन्होंने कहा उत्तराखंड में भी अब हरियाणा जैसी लिंगानुपात की समस्याएं दिखने को मिल रही हैं। यहां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का अनुपात बहुत तेजी से गिर रहा है जिससे बहुत सारे युवाओं को गृहस्थी बसाने में बहुत सारी दिक्कतें आ रही हैं और अगर यही सब चलता रहा तो आने वाले चंद बर्षों में यह स्थिति विकराल हो जाएगी।
ज्ञात हो कि वर्तमान में 2020 में उत्तराखंड की अनुमानित जनसंख्या 1,17, 00,099 (एक करोड़ 17 लाख 99) हैं जिसमें पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या 59, 60,315 (उनसठ लाख, साठ हजार तीन सौ पन्द्रह) है व महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या 57,39,784 (सत्तावन लाख, 39 हजार सात सौ चौरासी) आंकी गयी है। ऐसे में अगर डॉ ज्योति शर्मा की बात का संज्ञान लिया जाय तो यकीनन ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। क्योंकि एक समय था जब प्रदेश में पुरुषों के जनसंख्या घनत्व से अधिक महिलाओं का जनसंख्या घनत्व था। आज स्थिति यह आ गयी है कि लिंगानुपात के आधार पर महिलाएं तेजी से पिछड़ रही हैं जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि डॉक्टर ज्योति शर्मा की चिंता जायज है।
डॉ ज्योति शर्मा कहती हैं उनकी नित दिनचर्या में हफ्ते भर में ऐसे प्रकरण सामने आ ही जाते हैं जब युवावर्ग की महिलाएं अक्सर गर्भपात कराने आ जाया करती हैं। और वह प्यार प्यार से उनका मन भी टटोल लेती हैं। युवा वर्ग में मैरिड अनमैरिड दोनों ही शामिल हो सकती हैं, जो मुस्कराकर अपनी प्राइवेसी बयां कर ही देती हैं। मैं जब उन्हें इस भ्रूण हत्या के पाप के बारे में समझाना चाहती हूं तो कई इसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकालकर किसी दूसरी डॉक्टर की तलाश में निकल पड़ती हैं। अब अक्सर वही महिलाएं मेरे पास आ जाती हैं जिन्हें यह पता नहीं है कि डॉ ज्योति शर्मा किस मिजाज की डॉक्टर हैं।
डॉ ज्योति शर्मा का मानना है कि ऐसी महिलाओं को समझाने की अति आवश्यकता है जो अक्सर भावनाओं में आकर भ्रूण हत्या जैसा पाप करती हैं। मैं ऐसे प्रकरणों में अक्सर डपटती भी हूँ और पुचकार कर समझाती भी हूँ। कोशिश यही रहती है कि अगर इनमें से कुछ प्रतिशत महिलाएं भी इस बात को समझ जाएं तो लिंगानुपात में आने वाली खामियां पाटी जा सकती हैं। उन्होंने डॉक्टर्स डे पर चिकित्सा पेशे से जुड़े अपने सहयोगियों के माध्यम से एक स्वस्थ सन्देश देने की बात जब मंच से रखी तब सभी ने उनका करतल ध्वनि से स्वागत किया लेकिन क्या उनके इन शब्दों का मोल वे बिजनेश घराने समझ पाएंगे जो डॉक्टर्स या अपने पेशे को भगवान का रूप कम और आमदनी का जरिया ज्यादा मानते हैं। यह भी सच है कि अगर ऐसे डॉक्टर्स पर अंकुश न लगाया गया जो जानते हुए भी कन्या भ्रूण हत्या या भ्रूण हत्या का पाप मनमाने दामों पर वसूलते हैं तो यह अकाट्य सच है कि आने वाले बर्षों में उत्तराखंड में लिंगानुपात बहुत तेजी से गड़बड़ा जाएगा व यहां की स्थिति भी मैदानी भू भाग से भयावक हो जाएगी।