देहरादून (हि. डिस्कवर)।
कौन कहता है कि शासन प्रशासन खबरों का संज्ञान नहीं लेता। अभी परसों की ही तो बात है। HNN 24×7 न्यूज़ चैनल ने स्मार्ट सिटी मसले पर बड़ी चर्चा की और सवालों के घेरे में आई सरकार ने इसका गम्भीरता से संज्ञान लिया और आखिरकार 2015 में 30 स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया उत्तराखण्ड का एक मात्र शहर राजधानी देहरादून के जिलाधिकारी ने आखिर निर्माण एजेंसियों की फाइल भांचनी शुरू कर दी है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत राजधानी दून में एक हजार करोड़ रुपये की लागत से कई निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। परियोजना के तहत जिन कार्यों को कराया जा रहा है उसमें राजधानी के ईसी रोड, चकराता रोड, राजपुर रोड पर साढ़े आठ किमी लंबी सड़क को स्मार्ट रोड में विकसित किया जाना, मल्टी यूटिलिटी डक्ट (एमयूडी) का निर्माण किया जाना है। राजधानी के तमाम इलाकों में स्मार्ट शौचालय बनाने के साथ ही 49 व्यस्ततम चौराहों पर अत्याधुनिक ट्रैफिक लाइटें भी लगाई जानी है।
इसके अलावा स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जल निकासी व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के साथ ही 187 करोड़ की लागत से ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण किया जाना है जिसमें कलेक्ट्रेट, समेत तमाम सरकारी विभागों के कार्यालय खोले जाएंगे। शहर में तीस इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाना है। परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए सरकार की ओर से अब तक पांच सौ करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट भी जारी किया जा चुका है। तमाम परियोजनाओं पर काम भी जारी है, लेकिन स्मार्ट सिटी योजना के तहत जो भी कार्य कराए जा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर परियोजना की गति बेहद धीमी है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने अब निर्माणदायी एजेंसियों से उनके द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों की प्रगति मांगी है।
राजधानी के विभिन्न इलाकों में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से कराए जा रहे निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताते हुए सीईओ/जिलाधिकारी डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी निर्माणदायी एजेंसियों से चार साल में कराए गए कार्यों का ब्योरा तलब किया है। उनका कहना है कि जिन निर्माणदायी एजेंसियों की प्रगति ठीक नहीं पाई जाएगी उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।निर्माण कार्यों की गुणवत्ता केे लेकर उठ रहे सवालों के बीच जिलाधिकारी/सीईओ डॉ. आर राजेश कुमार ने स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े तमाम निर्माण कार्यों का थर्ड पार्टी आडिट कराने को लेकर आईआईटी रुड़की, जलविज्ञान संस्थान रुड़की व आईआरआई के निदेशकों को भी पत्र लिखा है।