(भारत सिंह चौहान)
राज्यपाल मेजर जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने आज राजभवन में आयोजित समारोह में सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं साहित्यकार डॉ. नंदनलाल भारती द्वारा लिखित पुस्तक ‘आमारे जौनसारी गीत’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जौनसार-बावर की लोक संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली अनुपम है और इसे संरक्षित एवं प्रचारित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने विशेष रूप से जौनसार बावर की लोक परंपरा और क्षेत्र में महासू देवता की श्रद्धा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां के लोग संस्कृति को जीवन का हिस्सा मानकर आगे बढ़ते हैं।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में जौनसार-बावर के ऐतिहासिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कालसी स्थित अशोक शिलालेख का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह क्षेत्र अतीत में ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं का साक्षी रहा है।
डॉ. नन्दलाल भारती ने बताया कि उनकी पुस्तक जौनसारी बोली-भाषा में लिखी गई है, जिसमें 131 गीतों का संकलन किया गया है। इन गीतों में जौनसार बावर से जुड़े लोकगीतों के साथ-साथ क्षेत्र की परंपराएं, रीति-रिवाज और सामाजिक जीवन का जीवंत चित्रण किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए लोक संस्कृति का महत्व समझने में एक महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में सांस्कृतिक, पत्रकारिता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक के.एस. चौहान, सुप्रसिद्ध होटल व्यवसायी जयपाल सिंह चौहान, वरिष्ठ पत्रकार बिजेंद्र रावत, पछवा दून प्रेस क्लब के अध्यक्ष चन्दराम राजगुरु, वरिष्ठ पत्रकार प्रेम पंचोली, वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल, व्यवसायी आनंद सिंह चौहान, डॉ बिमला, भारत चौहान, डॉ. शिखा भारती, सत्यम भारती, नीनू भारती, शिवम भारती सहित समय साक्ष्य प्रकाशन के प्रवीण कुमार भट्ट सहित कई गणमान्य अतिथि इस अवसर पर मौजूद रहे।
राजभवन में आयोजित लोकार्पण समारोह के दौरान राज्यपाल मेजर जनरल गुरमीत सिंह ने डॉ. नंदलाल भारती की पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर जौनसारी बोली में लिखी गई “जै महासू देवता की बंदना” पढ़ी और इसे देवता का अद्भुत आशीर्वाद बताया। 208 पृष्ठों की इस पुस्तक का प्रकाशन समय साक्ष्य ने किया है। इस पुस्तक में जौनसारी बोली भाषा में लिखे गए 131 गीत है। प्रस्तावना पद्मश्री डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने लिखी, जबकि ‘नन्दलाल के गीत’ प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, लोक समाज पर डॉ. राकेश रयाल और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में वरिष्ठ पत्रकार प्रेम पंचोली ने लिखा है। समारोह में विभिन्न वक्ताओं ने इसे लोक संस्कृति संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास बताया।