समान नागरिक संहिता का बिल अभी नहीं आया है। अभी विधि आयोग लोगों की राय ले रहा है लेकिन कहा जा रहा है कि संसद के मॉनसून सत्र में बिल पेश हो सकता है। संसद की स्थायी समिति ने इस पर विचार किया है और उत्तराखंड में बनी जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की कमेटी भी जल्दी ही अपनी रिपोर्ट सरकार को देने वाली है। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट को आधार बना कर केंद्र सरकार बिल तैयार कर सकती है। बहरहाल, जैसे भी हो लेकिन विधि आयोग की पहल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इसकी वकालत किए जाने के बाद यह तय माना जा रहा है कि इसका बिल आएगा। सभी पार्टियों ने अभी से इस पर अपनी स्थिति भी स्पष्ट करनी शुरू कर दी है।
ऐसा लग रहा है कि यह बिल अनुच्छेद 370 हटाने जैसा साबित होगा, जिसका कोई पार्टी विरोध नहीं कर पाएगी। अगर लेफ्ट या मुस्लिम लीग और एमआईएम जैसी कोई पार्टी विरोध करती है तो ऐसी पार्टियों की संख्या गिनी चुनी होगी और विरोध करने वाले सांसदों की संख्या दहाई में भी बड़ी मुश्किल से पहुंचेगी। ध्यान रहे अनुच्छेद 370 पर पार्टियों ने भाषण चाहे जैसा दिया हो लेकिन किसी ने विरोध में वोट नहीं किया। उसी तरह समान नागरिक संहिता के मामले में हो रहा है। अगर विपक्षी पार्टियों की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने इसका समर्थन कर दिया है। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट ने भी इसका समर्थन किया है और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने भी इसका समर्थन कर दिया है। जदयू नेता नीतीश कुमार ने इस पर सवाल को टाल दिया लेकिन वे भी विरोध नहीं करेंगे। सो, धीरे धीरे ज्यादातर पार्टियां समर्थन में आ जाएंगी या वोटिंग के समय गैरहाजिर रहेंगी। बिल राज्यसभा में भी ध्वनि मत से पास हो सकता है।