देहरादून (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी व उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी का मंगलवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष की थीं। उन्होंने देहरादून स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य के निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
सुशीला बलूनी जी का जन्म मूल रूप से बडकोट के चक्र गांव में जिला उत्तरकाशी में था। वह मायके से डोभाल थी। उनका विवाह स्व० नन्दा दत्त बलूनी से जिला पौड़ी गढ़वाल में यमकेश्वर ब्लॉक के ग्राम वरगड़ी में हुआ था। उन्होंने बर्षों वकालत भी की व वह लम्बे समय तक देहरादून बार एसोसिएशन की सदस्य भी रही।
श्रीमति सुशीला बलूनी जनता दल में रहते हुए 1979 में देहरादून नगर पालिका की नामित सभासद भी रही। उसके उपरान्त वह उक्रांद में शामिल हो गई। पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग के लिए आंदोलन की लड़ाई में कचहरी प्रागण में धरने पर बैठने वाली पहली महिला थी। उनके साथ रामपाल और गोविन्द राम ध्यानी थे।
वह संयुक्त संघर्ष समिति की महिला अध्यक्ष के रूप में लगातार संघर्ष रत रही। राज्य आंदोलन के दौरान वह पूरे प्रदेश के भ्रमण व लखनऊ से लेकर दिल्ली तक संघर्षरत रही। वह शराब बंदी से लेकर महिलाओं के उत्थान से लेकर राज्य आंदोलन के लिए जेल भरो , रेल रोको , धरना प्रदर्शन आदि में मुख्य भूमिका निभाई।