Thursday, August 21, 2025
Homeलोक कला-संस्कृतिगोल्ज्यू के दरबार में विदेशियों को भी खींच लाती है श्रद्धा।

गोल्ज्यू के दरबार में विदेशियों को भी खींच लाती है श्रद्धा।

●नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री कोइराला व ब्रिटिश काल में जनरल विलर नेमिल डेंट भी चढ़ा चुके हैं मंदिर में घंटी।

घोड़ाखाल/नैनीताल।

जिसे विदेशियों ने भी “गॉड ऑफ जस्टिस” के नाम से जाना है। जहां नैनीताल आने वाले धार्मिक पर्यटकों का तांता लगा होता है। धर्म, आस्था व न्याय का एक ऐसा मंदिर जिसे गोलज्यू देवता घोड़ाखाल के नाम से जाना जाता है। मंदिर ऐसा कि जहां श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी करने के लिए एक चिट्ठी गोलज्यू के दरबार में टांग लेते हैं जिस पर वे अपनी परेशानी लिख भेजते हैं या फिर मनोकामना..! और ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी की मन्नत पूरी नहीं हुई हो। अगर ऐसा नहीं होता तो आज मंदिर प्रांगण में ब्रिटिश काल में देश के जनरल विलर नेमिल डेंट व नेपाल राष्ट्र के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला सहित हजारों-हजार मन्नत पूरी होने के बाद मंदिर में चढ़े घांड़/घण्टियाँ नहीं दिखाई देती।

कहा जाता है कि गोलू देवता के घोड़ाखाल स्थित इस  मंदिर में हर किसी को न्याय मिलता है,  इसलिये इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। यहां सच्चे मन से मनोकामना मांगने वाले भक्त की मनोकामना भगवान ज़रूर पूरी करते है । ज्ञात हो कि 10 अक्टूबर 1999 को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने सुंदर नक्काशीगढ़ी घण्टी यहाँ अर्पित की। लोगों का मानना है कि उस दौर में नेपाली प्रधानमंत्री गिरिजाप्रसाद कोईराला राजनैतिक संकट से जूझ रहे थे जिन्हें गोलज्यू देवता ने इस मुसीबत से बाहर निकाला है। वहीं वर्ष 1891 में व्हीलर नेमिल डेंट नामक अंग्रेज़ ने यहाँ घंटी चढायी थी। यह घंटी उस समय की सबसे बड़ी घंटी हुआ करती थी।

मंदिर के वर्तमान पुजारी पंडित रमेश चन्द्र जोशी व पंडित  जीवन चन्द्र जोशी जानकारी देते हुए बताते हैं कि मंदिर में उनके वयोवृद्ध पुजारी स्व. केदार दत्त जोशी बताया करते थे कि नेमिल डेंट के भाई सोरड घोड़ाखाल सेब बागान में मैनेज़र थे। दोनों भाई घोड़ाखाल में ही रहते थे। 1946 में अंग्रेज़ उनको पकड़कर ले गये तब जेल से ही नेमिल ने गोल्ज्यू भगवान से स्मरण तब जेल से छूटे व नेमिल ने नैनीताल आकर घोड़ाखाल के मंदिर में अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहां घंटी चढ़ाई थी।

पंडित रमेश चन्द्र जोशी जानकारी देते हुए बताते हैं कि जनरल वीलर यहाँ आज के सैनिक स्कूल की इमारत में सन 1900 में रहा करते थे, जो उनकी कोठी हुआ करती थी। बताया जाता है कि जनरल व्हीलर नेमिल डेंट मंदिर ने  मंदिर में बजने वाली घण्टी व शंख ध्वनि पर पाबन्दी लगा दी थी जिसके चलते रात सोते समय जनरल व्हीलर नेमिल डेंट चारपाई टूट गयी, साथ की कमरे में रखा सामान उथल पुथल हो गया।

वहीं पंडित जीवन चन्द्र जोशी बताते हैं कि जनरल व्हीलर नेमिल डेंट इस घटना से बहुत बुरी तरह डर गये। घटना के बाद जनरल व्हीलर नेमिल डेंट ने यह घटना अपने अधिकारियों से साझा की तो उन्होंने उन्हें मंदिर में घण्टी चढ़ाने की सलाह दी। जनरल व्हीलर ने यहां न सिर्फ घण्टी। चढ़ाई अपितु 1901 से 1922 तक हर माह मंदिर में 22 रुपये दीप-धूप के लिए भी अर्पित किए। उन्होंने बताया कि इसके अलावा देश के कई पूंजीपति व्यवसायिक राजनैतिक लोग मनोतियां पूर्ण होने पर यहाँ घंटी चढ़ाते हैं।

शरदीय नवरात्रि में विशेष आकषर्ण का केंद्र है मंदिर।

पन्डित रमेश चन्द्र जोशी बताते हैं कि शरदीय नवरात्र के दौरान मंदिर में पूजा का विशेष महत्व रहता है। नवरात्र के पहले दिन से नवें दिन तक देशी व विदेशी भक्त गोलज्यू देवता के मंदिर पहुचते हैं। वहीं घोड़ाखाल सैनिक स्कूल से पास आउट होने वाले सभी छात्र अपने-अपने अभिवाहकों के यहां गोलज्यू देवता के दर्शन को उमड़ते हैं व अपने अग्रिम भविष्य के लिए मन्नत मांगते हैं।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES