(मनोज इष्टवाल)
डॉ. नन्द किशोर हटवाल की बहुचर्चित कविता ऐसे में ही अक्सर याद है जब हमारी बेटियां हमारा गर्व बढ़ाती हैं। उनकी कविता की शुरुआती पंक्तियां हैं:- “बोये जाते हैं बेटें, उग जाती है बेटियां। खाद पानी बेटों को, पर लहराती हैं बेटियां।
जी हां ऐसा ही कुछ कारनामा नयार घाटी पौडी गढ़वाल के विकास खण्ड कल्जीखाल के बिलखेत गांव कु. सरिता व विकास खंड द्वारीखाल के ओडल छोटा गांव कु. सपना रावत वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के बीर-बिलिंग क्षेत्र में कर रही हैं। बीर-बिलिंग को पैराग्लाइडिंग का स्वर्ग कहा जाता है।
बमुश्किल पांच या छः दिन पूर्व जिलाधिकारी पौडी व हिमालयन ऐरोस्पोर्ट्स एसोसिएशन (HASA)के तत्वाधान में नयार घाटी सेे 08 सदस्यीय टीम को पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण सीखने के लिए पहली बार पौड़ी की कोई टीम बीर -बिलिंग, हिमांचल प्रदेश गया है।
जिलाधिकारी पौडी धिराज गर्ब्याल जानकारी देते हुए बताते हैं कि आगामी नवम्बर माह में नयार घाटी प्रस्तावित मेगा एडवेंचर स्पोर्ट्स फ़ेस्टिवल के मध्यनजर उन्होंने हासा से बात कर तय किया कि सिर्फ पैराग्लाइडर नयार घाटी में उड़ा देने से बात नहीं बनती। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि यहीं के युवा इस साहसिक खेल से अपनी रोजी रोटी चलायें व जब भी नयार घाटी में साहसिक खेलों के रुचिकर पर्यटक आएं तो उन्हें स्थानीय पैराग्लाइडिंग पायलट आसानी से उपलब्ध हो जाये। इससे एक ओर जहां हमारा पर्यटन बढ़ेगा वहीं स्थानीय स्तर पर ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। जिसके लिए काफी मन्त्रणा के बाद यह तय किया गया कि एक चुनिंदा टीम हिमाचल प्रदेश के बीर बिलिंग में प्रशिक्षण हेतु भेजी जाय और आखिर 08 सदस्यीय टीम को विगत हफ्ते ही हमारे द्वारा हिमाचल भेजा गया है, जिन्हें वहां महीना या 15 दिन प्रशिक्षण लेना है।
जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल बड़े प्रसन्न होकर बताते हैं कि इस टीम में एक बिटिया बिलखेत गांव की सरिता व दूसरी ग्राम ओडल छोटा की सपना रावत है। जिन्होंने मात्र 5 दिन के प्रशिक्षण में ही हिमाचल का आसमान छूना शुरू कर दिया है। पूरी टीम बधाई की पात्र है।
हासा के वाइस चैयरमैन मनीष जोशी बताते हैं कि पैराग्लाइडिंग की दृष्टिकोण से बीर बिलिंग को भारत वर्ष में पैराग्लाइडर्स के लिए स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। आठ सदस्यीय इस टीम में दो लड़कियाँ भी हैं, जो काफ़ी विश्वस्त एवं प्रतिभावान है और कुछ अलग कर गुजरने की सोच रखती हैं। पंद्रह दिवसीय ट्रेनिंग के पश्चात ये सब पौड़ी जनपद लौटेंगे और कुछ दिन घर रहकर फिर हिमालयन ऐरोस्पोर्ट्स एसोसिएशन (HASA) के तत्वाधान में पैराग्लाइडिंग की प्रैक्टिस करने मालदेवता, देहरादून जाएँगे और नवम्बर माह में नयार घाटी में प्रस्तावित मेगा एडवेंचर स्पोर्ट्स फ़ेस्टिवल तक कुशल पाइलट का रूप ले हम सबके सामने ये नयार घाटी के आसमान में उड़ते नजर आएंगे।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पौड़ी ज़िले में वर्ष भर पैराग्लाइडर्स को तैयार किया जाएगा ताकि यहाँ लगातार पैराग्लाइडर्स उपलब्ध रहें और पौड़ी ज़िले को पैराग्लाइडिंग के हब के रूप में विकसित किया जा सके। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री व जिलाधिकारी के सामूहिक प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब लग रहा है कि प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में वे विशेषकर साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है।
बहरहाल यह भी आश्चर्यजनक है कि अब तक पैराग्लाइडिंग के रूप में उत्तराखंड में गगन चूमने वाली दो बेटियाँ पौडी गढ़वाल के कल्जीखाल विकास खंड व एक द्वारीखाल विकासखंड की हैं जिनमें 13-14 बर्ष की आयु में पैराग्लाइडर उड़ाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने वाली शिवानी गुसाईं ग्राम कदोला, कु. सरिता ग्राम – बिलखेत व कु. सपना रावत ग्राम ओडल छोटा शामिल हैं।
इतना तो जरूर हुआ है कि नयार घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाएं तलाशने के लिए मुख्यमंत्री-पर्यटनमंत्री-पर्यटन विभाग व जिलाधिकारी की जुगलबंदी जरूर कोई नया इतिहास इस क्षेत्र में दर्ज करने जा रही है।