Tuesday, October 21, 2025
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उत्तराखंड के 51मंदिरों को “देवस्थानम बोर्ड” से बाहर रखने के मुख्यमंत्री के फैसले का सद्गुरु ने किया स्वागत। मुख्यमंत्री को दी शुभकामनाएं व आशीर्वाद।

(मनोज इष्टवाल) 

यह आनन्दित करने वाला क्षण है! बहुत बड़ा कदम…! हिन्दू धर्म व उसके धर्मावलम्बियों के लिए ! 2:13 मिनट के अपने उद्बोधन में सद्गुरु ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह  रावत की प्रशंसा व उनके प्रयासों की खुलकर सराहना की व उन्हें 51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड से हटाकर हिन्दू धर्मावलम्बियों के पंडा-पुरोहित समाज को सौंपे जाने के फैसले को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा कि वे देश के अन्य मुख्यमंत्रियों से भी ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं।

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरुजी ने उत्तराखंड सरकार के 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए उनके इस फैसले की उत्कंठ मन से प्रशंसा की है की। उन्होंने इसे खुशी का विषय बताया है, यह पहली बार हुआ जब सद्गुरु ने किसी प्रदेश के मुखिया की यों प्रशंसा की है। 
ज्ञात हो कि सद्गुरु जी के विश्व भर में करोड़ों फॉलोवर्स हैं जो उनके कार्यक्रमों में भाग लेते हैं! सद्गुरु ने अपने उद्बोधन में कहा है कि
उत्तराखंड सरकार ने बद्रीनाथ और केदारनाथ समेत राज्य के 51 मंदिरों और तीर्थस्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का ऐलान किया है। वहीं सद्गुरु ने अपने ट्वीट में कहा है कि  “तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड की सरकार और #FreeTemples अभियान समर्थन करने वाले सभी 3 करोड़ लोगों को बधाई। मैं सभी के प्रति अत्यंत आभार व्यक्त करता हूं।” 
सद्गुरु ने कहा, यह खुशी की बात है कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त करने ऐलान किया है। यह हिंदुओं की आस्था के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा उठाया गया बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि हिंदू आस्था और विश्वास धर्मावलम्बियों व धर्म समुदाय के हाथ में होना चाहिए, श्रद्धालुओं के हृदय के बिना कोई आस्था नहीं होती।
सद्गुरु ने कहा कि सरकारें पर्यटन, कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन में सुधार कर सकती है, लेकिन मंदिर को हिन्दू धर्मावलम्बियों द्वारा ही द्वारा चलाया जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड सरकार को इस बात का एहसास है, जिसके लिए मेरी उत्तराखंड के  मुख्यमंत्री को मेरी विशेष बधाई और आशीर्वाद। 
अन्य सरकारें व उनके मुख्यमंत्री भी उठाएँ ऐसे कदम! 
सद्गुरु ने कहा, यह पूरे देश के लिए स्वागत योग्य कदम है। मैं चाहता हूं कि और राज्यों के मुख्यमंत्री इस पर ध्यान दें और इस दिशा में आगे बढ़ें। हालांकि, अन्य राज्यों में यह उत्तराखंड जितना आसान नहीं है। लेकिन जो भी मुद्दे हैं, उन्हें हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि तमिलनाडु की नई सरकार भी इस दिशा में कदम उठाएगी, क्योंकि राज्य के मंदिर जीर्णशीर्ण व बुरी स्थिति में हैं। 
ज्ञात हो कि सद्गुरु ने मार्च में तमिलनाडु के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से आजाद कराने के लिए  #FreeTemples अभियान शुरू किया है। इस अभियान को 3.5 करोड़ लोगों का समर्थन मिल चुका है।

आखिर कौन है यह सद्गुरु…? क्या हम जानते हैं इन्हें! यह प्रश्न कई लोगों के मन मस्तिष्क में कौंध रहा होगा तो आइये इसके बारे में आपको जानकारी दे दें कि ईशा फाउंडेशन  तमिलनाडु एक आध्यात्मिक संगठन है, जिसे आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में प्रारम्भ किया गया था। वर्तमान में यह  संगठन के करीब 20 लाख स्वयंसेवकों के साथ  योग, पर्यावरण और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में बेहद सक्रिय है। 

ईशा फाउंडेशन का मुख्य स्थान कोयंबतूर के पास ईशा योग सेंटर में और संयुक्त राज्य अमेरिका के ईशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्नेर साइंसेस है। ईशा फाउंडेशन आर्थिक और संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक परिषद (अंग्रेज़ी: ECOSOC) में सलाहकार स्थिति पा चुकी है।

ग्रीन हैंड्स परियोजना!
ग्रीन हैंड्स परियोजना ईशा फाउंडेशन की पर्यावरण संबंधी प्रस्ताव है। पूरे तमिलनाडु में लगभग 11 करोड़ पेड़ रोपित करना, परियोजना का घोषित लक्ष्य है। अब तक ग्रीन हैंड्स परियोजना के अंतर्गत तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में 1800 से अधिक समुदायों में, 20 लाख से अधिक लोगों द्वारा 82 लाख पौधे के रोपण का आयोजन किया है। इस संगठन ने 17 अक्टूबर 2006 को तमिलनाडु के 27 जिलों में एक साथ 8.52 लाख पौधे रोपकर गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया था। पर्यावरण सुरक्षा के लिए किए गए इसके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इसे वर्ष 2008 का इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार दिया गया।
ग्रामीण कायाकल्प कार्य और सेवा 
ग्रामीण कायाकल्प कार्य और सेवा एक अभियान है, जिसका मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य और जिन्दगी में सुधार लाना।
जग्गी वासुदेव (जन्म : 5 सितम्बर, 1957) एक लेखक हैं, इन्हें परम योगी और इनके भक्त इन्हें आराध्य शिब का अंश मानते हैं इसीलिए  उन्हें ‘सद्गुरु’ भी कहा जाता है। वह ईशा फाउंडेशन नामक लाभरहित मानव सेवी संस्‍थान के संस्थापक हैं। ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है, साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करते हैं। इन्हें संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में विशेष सलाहकार की पदवी प्राप्‍त है। सद्गुरु द्वारा 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। सन् 2019 में भारत सरकार द्वारा उन्हें सामाजिक सेवा के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
https://youtu.be/HaAdU6OPib8
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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