Thursday, December 26, 2024
Homeफीचर लेखमंदिरों में छोटे कपड़े पहनने वालों के प्रवेश पर पाबंदी

मंदिरों में छोटे कपड़े पहनने वालों के प्रवेश पर पाबंदी

अजय दीक्षित
उत्तराखण्ड के हरिद्वार, ऋषिकेश व देहरादून के कुछ मंदिरों में छोटे कपड़े पहनने वालों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। हरिद्वार के दक्षप्रजापति मंदिर, देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर व ऋषिकेश के नीलकंठ महादेव मंदिर में उचित वस्त्र ना पहनने वाले स्त्री/पुरुषों के प्रवेश पर निषेध लगा दिया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा कहा गया है कि अस्सी फीसदी तक तन ना ढांकने वाली स्त्रियों को मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। अखाड़ों से जुड़े देश भर के मंदिरों में यह प्रतिबंध जल्द ही लागू किया जायेगा ।

शुचिता के प्रति श्रद्धालुओं की उपेक्षा के कारण यह पाबंदी लगाने की दलील दी जा रही है। लम्बे समय से ढेरों पूजास्थलों पर इस तरह के प्रतिबंध लगते रहे हैं। मजारों व गुरुद्वारों में सख्ती से यह नियम पहले ही लागू है। वहां श्रद्धालुओं को तन ढंकने के साथ ही सिर ढांकने का नियम भी सख्ती से लागू है। हालांकि मंदिरों में इस तरह के कोई प्रावधान कभी नहीं रहे। अमूमन लोग स्वेच्छा से शालीन वस्त्रों में ही पूजा स्थल जाते रहे हैं। मगर इधर के कुछ सालों में समाज के एक वर्ग में जैसे-जैसे कट्टरता हावी होती नजर आ रही है, वैसे-वैसे धर्म की आड़ में नये दायरे तय किये जा रहे हैं। स्वीकारना होगा कि लोगों का ड्रेस सेंस काफी तब्दील हो रहा है। वे मौसम व सुविधानुसार ही वस्त्रों का चयन नहीं करते, बल्कि फैशनपरस्ती भी हावी रहती है। धार्मिक स्थलों में बदनउघाडू वस्त्रों का प्रयोग तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। कहना गलत नहीं होगा कि इससे श्रद्धालुओं ही नहीं, बल्कि मंदिर के कर्मचारियों समेत पुजारियों/पंडों का भी मन शांत नहीं रह पाता।

कम वस्त्रों में अब स्त्रियां ही नहीं फिरतीं, बल्कि पुरुष भी शॉर्ट्स या नेकर व गंजी जैसी टी- शर्ट में दर्शन करने चल पड़ते हैं। उन्हें पर्यटन व पूजा स्थल के भेद को समझना चाहिए । वस्त्रों में भी स्थान – काल – पात्र की गरिमा जरूरी है। यह भी सच है कि सनातन हिन्दू धर्म विराट है। इसमें संकीर्णताओं व बंधनों के लिए स्थान नहीं रहा है । क्योंकि नागाओं के पूजास्थलों में प्रवेश के निषेध की कभी कोई बात नहीं उठी । भक्त व देवताओं के दरम्यान कुछ भी अचीन्हा नहीं है । अपने आराध्य के आगे श्रद्धालु कैसे सिर नबाता है, यह उसकी आस्था पर है। सनातन धर्म किसी भी तरह की कट्टरता से अछूता रहा है, यही इसकी विराटता, महिमा का मुख्य स्रोत है । उसे पाबंदियों में बांधने के प्रयास बचकाने ही कहलाएंगे ।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES