बड़कोट/उत्तरकाशी (हि.डिस्कवर)।
आगामी 28 अगस्त 2021 एवं 29 अगस्त 2021 को राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय ऑनलाइन दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया जा रहा है। इस दो दिवसीय सेमिनार के मुख्य संरक्षक उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धर्म सिंह रावत जी संरक्षक डॉ पी के पाठक निदेशक उच्च शिक्षा एवं संरक्षक प्रोफेसर पीपी ध्यानी शिरकत करेंगे, जबकि मुख्य अतिथि के तौर पर राधा बहन वर्चुअल प्लेटफार्म पर उपस्थित होंगी। विशेष अतिथि वक्ता के तौर पर डॉ महेंद्र कुमार एवं प्रोफेसर एकलव्य शर्मा सम्मिलित होंगे।
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के प्रथम दिवस “पलायन समावेशी विकास एवं आजीविका” बिषय पर 28 अगस्त 2021 को डॉक्टर महेंद्र कुमार संस्थापक मार्क पहाड़ी राज्य में कृषि उद्यमिता एवं आजीविका पर आधारित विषय पर बातचीत करेंगे जबकि प्रोफेसर मनोहर कांत गौतम मानव शास्त्री नीदरलैंड पलायन का सामाजिक जनसांख्यिकीय प्रभाव विषय पर 28 अगस्त 2021 को ही वर्चुअल प्लेटफार्म पर गहन चर्चा करेंगे।
महाविद्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार तृतीय सत्र में प्रसिद्ध भूगर्भ वेता डॉक्टर नवीन जुयाल, जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, व जो समय समय पर प्राकृतिक विपदाओं के इतिहास को रेखांकित करते रहे हैं वे उत्तराखंड में प्राकृतिक विपदाओं का इतिहास कारण एवं परिणाम विषय पर गहन परिचर्चा करेंगे। ज्ञात हो कि उन्होंने हाल ही में उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाओं पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। डॉ जुयाल समावेशी विकास पलायन एवं आजीविका जैसे आयाम रेखांकित करेंगे।
ज्ञात हो कि प्रोफेसर मोहन कांत गौतम विख्यात मानवशास्त्री रहे हैं। उन्होंने रिटर्न विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त की है व वे लंबे समय से नीदरलैंड में मानवशास्त्रीय समाजों का अध्ययन करते रहे हैं। प्रोफेसर मोहन कांत गौतम के कुलपति एवं अध्यक्ष के रूप में यूरोपीय विश्वविद्यालय वेस्ट एन्ड ईस्ट, नीदरलैंड से संबंध रहे हैं। वहीं पलायन एक चिंतन के संयोजक रतन सिंह असवाल पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड के पलायन कारण एवं उपचार विषय पर सार्थक बातचीत करेंगे। इस सेमिनार में वे यमुना घाटी एवं नयार घाटी में पलायन के परिदृश्य को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे। एनडीटीवी के वरिष्ठ संवाददाता सुशील बहुगुणा ने हाल ही में पंचेश्वर बांध एवं नैनीताल झील के खतरों एवं प्रभाव को दर्शाते हुए दो बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। 28 अगस्त को वह हिमालय पहाड़ी राज्यों में समावेशी विकास को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत मैती आंदोलन के संस्थापक रहे हैं हाल ही में आजीविका के प्रश्न को रेखांकित करते हुए आए हैं। वह पर्यावरण संरक्षण में सामाजिक सहभागिता विषय पर गहन चर्चा करेंगे। 28 अगस्त 2021 को अंतिम वक्ता के तौर पर डॉक्टर पहलाद सिंह रावत मानस फेलो दून विश्वविद्यालय एवं शोध केंद्र देहरादून उत्तराखंड में कृषि उद्यमिता एवं आजीविका समस्याएं एवं उपचार विषय पर चर्चा करेंगे।
महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास डॉ विजय बहुगुणा ने बताया कि 29 अगस्त 2021 को द्वितीय दिवस के अवसर पर दो दिवसीय ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार के पहले वक्ता एवं विशेष अतिथि प्रवक्ता के रूप में प्रोफेसर एकलव्य शर्मा कुलपति तेरी नई दिल्ली पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदा एवं पलायन विषय पर गहन चर्चा करेंगे प्रोफेसर एकलव्य शर्मा लंबे समय से आई सी आई एम डी से संबंध रहे हैं। प्रोफेसर शर्मा इस सेमिनार में पहाड़ी राज्यों के समावेशी विकास एवं पलायन को समेटे हुए सार्थक पहल करेंगे। द्वितीय सत्र में डॉ एस पी सती एसोसिएट प्रोफेसर उत्तराखंड उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड में वन संसाधन एवं आजीविका विषय पर सार्थक पहल करेंगे वे जाने-माने भूगर्भ वेता है और हाल ही में उत्तराखंड में वनाग्नि विषय पर बेहतरीन कार्य किया है।
डॉक्टर नेत्रपाल सिंह यादव फोर्ड फाउंडेशन फेलो देहरादून 29 अगस्त 2021 को तृतीय सत्र में सामाजिक उद्यमिता एवं समावेशी विकास पर गहन चर्चा करेंगे वह अंजनी सैण स्थित भुवनेश्वरी महिला आश्रम से सम्बद्ध रहे हैं। उत्तरकाशी क्षेत्र में उन्होंने सामुदायिक विकास पर बेहतरीन कार्य किया है। उन्होंने 7 वर्षों से नीदरलैंड के समाज को देखा व उस पर अध्ययन किया है। यादव समावेशी विकास की संकल्पना को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे। अनूप नौटियाल एसडीएस फाउंडेशन देहरादून लंबे समय से हेल्थ सेक्टर एवं अपशिष्ट प्रबंधन,पर्यटन विकास एवं समावेशी विकास को रेखांकित करते हुए साथक पहल करेंगे। उनका मानना है कि अपशिष्ट प्रबंधन से आशय उस संपूर्ण संख्या से है जिसके अंतर्गत अपशिष्ट के निर्माण से लेकर उसके संग्रहण व परिवहन के साथ प्रसंस्करण एवं निस्तारण तक की संपूर्ण प्रक्रिया को शामिल किया जाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है। उक्त विषय पर अनूप नौटियाल पलायन समावेशी विकास एवं आजीविका विषय पर भी सार्थक चर्चा करेंगे।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत संस्थापक, मैती आंदोलन, चमोली लंबे समय से वृक्षारोपण एवं मैती आन्दोलन के प्रणेता रहे हैं। वे पर्यावरणीय संरक्षण में परिलक्षित सामुदायिक सहभागिता विषय पर गहन बातचीत करेंगे। कल्याण पाल, ग्रासरूट फाउंडेशन,रानीखेत आजीविका एवं पलायन विषय पर चर्चा करेंगे। वहीं इंद्रेश मैखुरी, सामाजिक कार्यकर्ता, कर्णप्रयाग लंबे समय से समावेशी विकास एवं विकास परियोजना को रेखांकित करते हुए आये हैं जोकि 29 अगस्त 2021 को विकास परियोजना एवं मानव अधिकार संरक्षण:मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर अपनी बातचीत करेंगे। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में राम लाल चौहान, सेब उत्पादक, शिमला बागवानी क्षेत्र और आजीविका पर चर्चा करेंगे।
आयोजन सचिव इतिहाकार डॉ विजय बहुगुणा, असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास ने कहा कि ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के अंतर्गत पलायन, समावेशी विकास एवं आजीविका विषय पर तमाम विद्वतजन सार्थक पहल करेंगे। उन्होंने कहा है कि पलायन एवं विस्थापन अलग अलग आयाम हैं, उत्तराखंड में पलायन की बात करें तो लगता है कि उत्तराखंड उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ की एक स्पंदनशील संस्कृति रही है,जहां की अर्थव्यवस्था कृषि एवं पशुपालन पर आधारित रही है। उक्त संस्कृति के बीज कहीं न कहीं पलायन, समावेशी विकास एवं आजीविका से जुड़े हैं। समाधान भी जौनपुर, रंवाई एवं जौनसारी समाज में मिल जाते हैं।
डॉ बहुगुणा ने कहा कि कोरोना काल की दूसरी तरंग ने शेष उत्तराखंड को काल कल्वित किया है जबकि इम्युनिटी बूस्टर तीन विशिष्ट संस्कृतियां जबरदस्त रही हैं। इम्युनिटी कहां मिलती है? श्रम साध्य समाज हमेशा से ही इम्युनिटी बूस्टर की तुलना में बेहतर रही है। उत्तराखण्ड के तीन जिले प्राकृतिक आपदाओं से जूझते रहे हैं, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ । उत्तराखंड की तस्वीर का यह स्याह पक्ष रहा है। इन तीन जिलों के विकास को रेखांकित करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।पलायन सबसे कम यदि कहीं हुआ है तो इन तीन जिलों की आदर्श अवस्था है।जहां जीवन जीने के वस्तुगत आधार मौजूद रहेंगे, वहां पलायन न्यून रहेगा।