अपणी बोली अपणी भाषा अपणी पछांण…
(अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा /दूधबोली भाषा दिवस)
(ग्राउंड जीरो बिठिन संजय चौहान)।
आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस च। मातृभाषा जैथैंs हम दुधबोली भी बोलदन/बोलदां अर्थात् वु भाषा जु हमथैं अपणी ब्वेs/माँ का मुख से सुण कु मिलदी और फिर हम बोलदन/बुलदवां। एक रिपोर्ट का मुताबिक भारत देश म 1652 मातृभाषायें प्रचलन मा छन। जबकि 24 भाषा 8 वीं अनुसूची मा शामिल छन। देश मा जौं 24 भाषाओं थैंन संवैधानिक मान्यता प्राप्त छ वो मा १. असमिया, २.ओडीसी, ३. उर्दू, ४. कन्नड़, ५. कश्मीरी, ६. गुजराती, ७. तमिल, ८. तेलुगू, ९. पंजाबी, १०. बंगला, ११. मराठी, १२. मलयालम, १३. संस्कृत, १४. सिन्धी, १५. हिन्दी, १६. मणिपुरी, १७. नेपाली, १८. कोंकणी, १९. मैथिली, २०. संथाली, २१. बोडो, २२. डोगरी, २३. राजस्थानी, २४. तुडू शामिल च।
उत्तराखण्ड की राजभाषा भी हिन्दी च और द्वितीय भाषा संस्कृत।। यख कुमाऊनी और गढ़वाली मुख्य मातृभाषा छन जु देश भर म बोली का रूप म जणे जन्दन। ये का अलौ जौनसारी, बुक्सा, थारू, राजी, भोटिया लोकभाषा/बोली भी च। साहित्य अकादमी न कुमाऊनी और गढ़वाली थैं भी मान्यता दिनी। राज्य सरकार थैं बी कुमाऊनी-गढ़वाली भाषा थैं राज्य में द्वितीय दर्जा देण चऐंद और गढवाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, रंवाल्ठी भाषाओं थैं आठवीं अनुसूची मा शामिल करणकु पुरजोर प्रयास कन चैंदू।
आज समय मा बदलाव ऐगे लोग अपणी बोली भाषा थैं प्रोत्साहन देणा छिन। ईं बात की तारीफ कये जाण चैंदी कि उत्तराखण्डी भाषाओं का कवि, गीतकार, गायक, साहित्यकार और पत्रकार अपणी-अपणी तरफ बिठी मातृभाषा थैं समृद्ध करण मा लग्या छिन । हमथैं अपणी भाषा बोलण मा पीछिन नि हटण चऐन्दू। येका विकास, सृजन और संवर्धन मा निरंतर अग्नै रैण चैन्द। जन कि हम सब जणदवा कि हर साल 21 फरवरी कु अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनये जांद। त आवा हम बी अग्नै बढदां अर अपणी दूधबोली भाषा गढवाली कुमाऊँनी जौनसारी, रंवाल्ठी,बुक्सा, थारू, राजी, भोटिया थैंन अग्नै बढ़दां।