(मनोज इष्टवाल)
36 राफेल फाइटर जेट की एक खेप आज फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भर चुकी है। जिन्हें 07 पायलट 1000 किमी. प्रति घण्टे की स्पीड से उड़ाकर ला रहे हैं। दूसरी ओर भारत ने उस हर देश के रक्षा मंत्रालय से अनुमति प्राप्त कर ली है जहां की सीमा से ये उड़कर भारत के जाम जामनगर पहुंचेंगे। ये जेट फ्रांस के मेरिजानक से उड़कर यहां पहुंचेंगे जहां भारतीय रक्षा मंत्रालय व वायुसेना उनके पहुँचने का बेसब्री से इंतजार कर रही है।
ज्ञात हो कि राफेल फाइटर जेट की प्रति घन्टा स्पीड 2222किमी. है लेकिन इन्हें लाने के लिए पायलट सिर्फ 1000 किमी. प्रति घण्टे की स्पीड से ला रहे हैं। इस जेट में भारतीय वायु सेना के लिए माइका, स्काल्प, मेटॉर जैसी अत्याधुनिक मिसाइलें लगी हुई हैं।
ज्ञात हो कि भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों के लिए सितंबर 2016 में लगभग 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पहला राफेल विमान आठ अक्तूबर को भारत को सौंप दिया गया था। आगामी 2022 तक 36 राफेल की भारत को खफत मिलनी तय है, उनमें से 18 अंबाला एयरबेस और 18 अरुणाचल प्रदेश के आसपास तैनात होंगे. यानी भारत पाकिस्तान और चीन से मिलने वाली चुनौती के लिए हर तरह से तैयार है।
राफेल विमान 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से जेनरेशन का बदलाव होगा। इस विमान में 24500 किग्रा. भार ढोने की क्षमता है, साथ ही विमान के जरिए एक साथ 125 राउंड गोलियां निकलती हैं जो किसी को भी चीर कर रख सकती हैं।
राफेल की पहली स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर तैनात की जाएगी. यहां से राफेल चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों की निगहबानी करेगा। राफेल की जो ताकत है उसके लिए ही इसे दक्षिण एशिया में ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है।
सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर मिसाइल! इस मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है. हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है।
इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प (SCALP) क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका (MICA) मिसाइल से भी लैस है। भारतीय वायुसेना का मानना है कि राफेल की भले ही दो स्कॉवड्रन बनेंगी, लेकिन ये दोनों किसी भी देश की चार से पांच स्कॉवड्रन के बराबर होंगी। इन मिसाइलों से लैस होने के चलते अब राफेल को दुश्मन देश की सीमा में घुसकर हमला करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बहरहाल बर्ष 2020 तक फ्रांस ने राफेल देने के अपने समझौते का अक्षरत: पालन करते हुए ये फाइटर जेट उपलब्ध करवा दिए हैं जो अब स्वाभाविक है कि चीन के साथ तनाव को देखते हुए अम्बाला एयरबेस पर तैनात मिलेंगी।