सूचना आयोग ने डीएम हरिद्वार को एक माह में जांच आख्या प्रस्तुत करने के दिए निर्देश।
जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई के बजाय दबा दी फाइल।
पांच साल पहले किसानों को करोड़ों रुपए के घटिया जिंक सल्फेट उर्वरक वितरित करने व फाइल गायब होने के मामले में सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने डीएम हरिद्वार को एक माह में जांच आख्या प्रस्तुत करने को कहा है। गौरतलब है कि कृषि विभाग ने वर्ष 2019-20, 2020-21 में किसानों को अमानक (घटिया) जिंक सल्फेट उर्वरक के नाम पर वितरित किया गया। वितरित किये गए जिंक सल्फेट के नमूने अमानक पाये जाने के बाद भी दो साल में लगभग 40 करोड़ का जिंक सल्फेट खरीदा गया। कुल खरीद का अस्सी फीसदी से अधिक हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों में खरीद की गयी।
भारत सरकार के केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद की रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय रिपोर्ट को दबा दिया गया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रूड़की को सैम्पल के अमानक होने की रिपोर्ट दो साल तक दबी रही और अब पत्रावली गायब हो गयी है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय के अनुसार रिपोर्ट कार्यवाही की संस्तुति के साथ मुख्य कृषि अधिकारी को भेजी गयी थी और मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय इंकार कर रहा है। कृषि विभाग में घटिया जिंक सल्फेट की खरीद का खुलासा सूचना अधिकार के अंतर्गत एक अपील में हुआ है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने प्रकरण में जिलाधिकारी हरिद्वार को एक माह में जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
गत दिनांक 04.12.2023 को पारित आदेश के प्रस्तर-10 के क्रम में कृषि निदेशक, उत्तराखण्ड का लिखित अभिकथन पत्र संख्या 6376 दिनांकित 09.02.2024 प्रस्तुत किया। उक्त पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में निदेशालय स्तर से जिंक सल्फेट खरीदने हेतु ‘‘मै० एडवांस क्रॉप केयर (इण्डिया) प्रा०लि० 203- इन्दौर ट्रेड सेन्टर, साउथ दुकोगंज, इन्दौर, मध्यप्रदेश‘‘ को सूचीबद्ध किया गया था, तथा उस अवधि में उसी फर्म से जिंक सल्फेट का क्रय किया गया है।
प्रदेश के जनपदों में वर्ष 2019-20 में जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत 170.4 मै०टन०, जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत 468.95 मै०टन० एवं वर्ष 2020-21 में जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत 788.1 मै०टन० की खरीद जनपदों द्वारा की गयी है।
बर्ष 2020-21 में एडवांस क्राॅप केयर (इण्डिया) से कुल 788.1 मै0 ट0 जिंक सल्फेट 33: की जिसमें 317 मै0 ट0 हरिद्वार में एवं 300 मै0 टन की खरीद ऊधमसिंहनगर जिले द्वारा की गयी।
निदेशालय स्तर से जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत हेतु रू0 23.91 प्रति० कि०ग्रा० एवं जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत हेतु रू0 29.90 प्रति० कि०ग्रा० की दर निर्धारित की गयी थी।
कृषि निदेशालय की सूचना से स्पष्ट है कि वर्ष 2019-20, 2020-21 में राज्य के कृषकों के लिए मै0 एडवांस क्राॅप केयर (इण्डिया) प्रा0 लि0 इंदौर, मध्यप्रदेश से किसानों को वितरित करने के लिए लगभग 40 करोड़ रूपये की धनराशि का जिंक सल्फेट खरीदा गया।
सुनवाई के दौरान पत्रावली के अवलोकन से प्रश्नगत प्रकरण में निम्न तथ्य प्रकाश में आए :-
1- कृषि विभाग द्वारा किसानों को वितरित करने के लिए जिंक सल्फेट की खरीद की जाती है। जनवरी 2020 में कृषि विभाग द्वारा घटिया उर्वरक वितरण की शिकायत पर 07.02.2020 को उप जिलाधिकारी /ज्वाइंट मजिस्ट्रेट द्वारा औचक निरीक्षण में वितरित खाद्य के पैकेट सील कर जांच के लिए निदेशक केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद को सैंपल भेजे गए।
2- निदेशक, केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद द्वारा दिनांक 03.03.2020 को उप जिलाधिकारी रूड़की को जांच रिपोर्ट प्रेषित की गयी जिसमें उप जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए उर्वरक के सैंपलों को अमानक घोषित किया गया।
3- निदेशक, केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा 03.03.2020 को उप जिलाधिकारी रूड़की को रिपोर्ट प्रेषित की जा चुकी थी, लेकिन दिनांक 25.07.2020 को पत्रांक संख्या 4537 के माध्यम से उप जिलाधिकारी द्वारा संस्थान के निदेशक को अवगत कराया गया कि दिनांक 07.02.2020 को भेजे सैंपलों की जांच रिपोर्ट अप्राप्त है। पत्र में शीघ्र जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए कहा गया।
4- बर्ष 2020 से 2022 तक यह जांच रिपोर्ट कहां रही तथा इस पर क्या कार्यवाही की गयी इसका कोई प्रमाण पत्रावली पर नहीं है। पत्रावली में पत्रजातों से प्रतीत होता है कि सूचना अधिकार के अंतर्गत जांच रिपोर्ट संबंधी सूचनायें मांगे जाने पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय से रिपोर्ट आगे भेजी गयी।
5- ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय रूड़की के अनुसार नमूने अमानक पाये जाने पर दिनांक 15.01.2022 को पत्रांक 6910 के माध्यम से जिंक सल्फेट की जांच संबंधी मूल पत्रावली के साथ संबंधित के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी थी। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय द्वारा दिनांक 13.01.2023 को पत्रांक 7796 के माध्यम से पुनः जिला कृषि अधिकारी को इस संबंध में कृत कार्यवाही से अवगत कराने हेतु अनुस्मारक दिया गया।
6- मुख्य कृषि अधिकारी हरिद्वार का कथन है कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/उप जिलाधिकारी द्वारा दिनांक 15.01.2022 को पत्रांक 6910 के माध्यम से प्रेषित पत्रावली एवं रिपोर्ट जिला कृषि अधिकारी कार्यालय को प्राप्त ही नहीं हुई है।
7- कृषि निदेशालय द्वारा 2019-20 एवं 2020-21 में जिंक सल्फेट की खरीद के संबंध में प्रेषित रिपोर्ट से स्पष्ट है कि दिनांक 30.03.2020 को निदेशक केंद्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद द्वारा 2019 में की गयी खरीद के नमूने अमानक पाए जाने के बाद उसी फर्म (एडवांस केयर प्रा0 लि0) से 788 मै0 ट0 जिंक सल्फेट की खरीद की गयी।
वर्णित परिस्थितियों से स्पष्ट है कि हरिद्वार में कृषकों की शिकायत पर उप जिलाधिकारी रूड़की द्वारा करायी गयी जांच में कृषकों को वितरित किये गए जिंक सल्फेट के नमूने अमानक पाए गए। केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान की इस रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लिया गया और संबंधित फर्म से ही हरिद्वार एवं अन्य जिलों में करोड़ों के जिंक सल्फेट की खरीद की जाती रही। प्रश्नगत शिकायत में शिकायतकर्ता की मूल शिकायत यह है कि सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी/ज्वांइट मजिस्ट्रेट कार्यालय हरिद्वार द्वारा जिंक सल्फेट के नमूनों की जांच पर प्राप्त कार्यवाही की पत्रावली / अभिलेख आयोग में योजित अपील के आदेश के उपरान्त भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। शिकायतकर्ता द्वारा राज्य के कृषकों के हित से संबंधित प्रकरण में अभिलेखों को गायब करने / नष्ट करने तथा हेराफेरी कर बड़े भ्रष्टाचार को दबाने की आशंका व्यक्त की गयी है।
प्रश्नगत प्रकरण में प्रस्तुत तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट है कि कृषि विभाग द्वारा 2019-20 में कृषकों को वितरित जिंक सल्फेट के नमूने अमानक पाये जाने के बाद भी प्रदेश में मै0 एडवांस क्राॅप केयर (इण्डिया) प्रा0 लि0 2023-इन्दौर टेªड सेंटर, मध्यप्रदेश से लगभग 40 करोड़ का जिंक सल्फेट खरीदा गया जिसमें अस्सी फीसदी से अधिक खरीद हरिद्वार एवं ऊधमसिंहनगर जिलों में की गयी। हरिद्वार जिले में नमूने अमानक पाये जाने के बाद प्राप्त रिपोर्ट एवं उस पर की गयी कार्यवाही संबंधी मूल पत्रावली गायब है। संयुक्त मजिस्ट्रेट कार्यालय द्वारा मूल पत्रावली कार्यवाही हेतु मुख्य कृषि अधिकारी को भेजा जाना बताया जा रहा है और मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय के अनुसार यह पत्रावली प्राप्त ही नहीं हुई। वर्णित परिस्थितियों में प्रश्नगत प्रकरण पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट / उप जिलाधिकारी कार्यालय रूड़की तथा मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय हरिद्वार की स्थिति संदिग्ध है।
बिषय राज्य के सरकारी विभागों की कार्य संस्कृति / जवाबदेही एवं जिम्मेदारी से जुड़ा होने के कारण वृहद लोक हित का है अतः विषय की गंभीरता को देखते हुए सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 18 में निहित प्राविधानों के अंतर्गत जिलाधिकारी हरिद्वार को प्रश्नगत प्रकरण की जांच हेतु निर्देशित किया जाता है। जिलाधिकारी हरिद्वार प्रकरण के तथ्यों से अवगत होते हुए जांच में यह स्पष्ट कराएंगे कि उप जिलाधिकारी द्वारा दिनांक 07.02.2020 को जांच हेतु भेजे गए जिंक सल्फेट के नमूनों की रिपोर्ट संबंधी पत्रावली किस स्तर से गायब हुई। जिलाधिकारी हरिद्वार से यह भी स्पष्ट किये जाने की अपेक्षा की जाती है कि प्राप्त रिपोर्ट कार्यवाही हेतु नियमानुसार संबंधितों को प्रेषित की गयी या नहीं।
साभार (अविकल उत्तराखंड)