* पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है ये खूबसूरत ट्रैक..
(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान )
विंटर टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो रहे मोनाल टॉप ट्रैक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। विगत 2 सालों में 100 से अधिक ग्रुप यहां पहुंच चुके हैं। मोनाल ट्रैक प्रकृति का अनमोल खजाना है। इस पूरे ट्रैक में आपको हिमालय दर्शन के जरिए हिमालय को करीब से देखने का मौका मिलता है। यहाँ का अभिभूत कर देने वाला अप्रतिम सौंदर्य हर किसी को आनंदित करता है। यहाँ से सनराइज और सर्दियों में विंटर लाइन बेहद रोमांचित करता है। बर्फबारी के बाद तो ये किसी जन्नत से कम नहीं है। विंटर टूरिज्म डेस्टिनेशन में इससे ज्यादा खूबसूरत ट्रैकिंग रूट और कोई नहीं है। नये साल में 10 से ज्यादा ट्रैकिंग ग्रुप अभी तक यहां पहुंच चुके हैं बैंगलोर, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से यहाँ पहुंचे पर्यटकों का मानना है कि उन्होंने इससे खूबसूरत ट्रैकिंग रूट पहले कभी नहीं देखा। वो हर बार यहाँ आना चाहेंगे।
ये है मोनाल टॉप।
सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के वाण गांव से 12 किमी की दूरी पर स्थित है खूबसूरत ट्रैक मोनाल टॉप ट्रैक। 5 साल पहले दो ट्रैकर देवेन्द्र बिष्ट और हीरा सिंह गढ़वाली ने इस गुमनाम मोनाल ट्रैक को खोज निकाला था। इस पूरे ट्रैक में आपको हिमालय दर्शन के जरिए हिमालय को करीब से देखने का मौका मिलता है। हिमालय के कोने कोने की खाक छानने वाले पर्यटकों के लिए मोनाल ट्रैक किसी रहस्य और रोमांच से कम नहीं हैं। यहां आकर ऐसा लगता है कि धरती पर अगर कहीं जन्नत है तो वो यहीं हैं। चारों ओर जहां भी नजर दौडाओ हिमालय की केदारनाथ, चौखंभा, नंदा देवी, हाथी घोडा पर्वत, त्रिशूल सहित गगनचुम्बी हिमाच्छादित चोटियों और मखमली घास के बुग्याल के दीदार होते हैं। लगभग साढे बारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मोनाल ट्रैक मन को आनंदित कर देता है। इस ऊँचाई पर पहुंचने के बाद एक तरफ नजर दौडाओ तो पूरा घाट ब्लाॅक का भूगोल और तातडा में द्यो सिंह देवता और रामणी के बालपाटा, नरेला बुग्याल नजर आता है तो दूसरी तरफ नजर दौडाओ तो कैल और पिंडर घाटी का भूगोल दिखाई देता है। सामने नजरों में एशिया के सबसे बडे मखमली घास के बुग्याल वेदनी और आली दिखाई देता है, उसके पास रहस्यमयी रूपकुण्ड और ब्रहकमल की फुलवारी भगुवासा नजर आती है। जबकि बर्फीली हवाएं जिस ओर से आती है तो बिल्कुल सामने नंदा घुंघुटी और त्रिशूल की हिमाच्छादित शिखर आपसे गुफ्तगु करनें को मानो तैयार खडा है। कुछ देर प्रकृति के नजारों का लुत्फ उठाते उठाते आपको कई जगहों पर राज्य पक्षी मोनालों का झुंड आपको विचरण करता हुआ दिखाई देगा। देवाल ब्लाॅक के वाण गांव निवासी और रूपकुण्ड टूरिज्म के सीईओ देवेन्द्र सिंह कहते हैं कि यहाँ मोनालों की प्रचुरता की वजह से ही स्थानीय लोग इसे मुन्याव ट्रैक यानि की मोनाल ट्रैक कहते हैं। वे कहते हैं कि इस ट्रैक पर आपको हिमालय के सदूरवर्ती गांव, बुग्यालों, ताल, पेड़ों, जंगली जानवरों, पक्षियों और पहाड़ की संस्कृति के दीदार होतें हैं। यहां से हिमालय की कई पर्वत श्रेणी और मखमली बुग्यालों को देखा जा सकता है। यहां राज्य बृक्ष बुरांस, राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग भी देखने को मिलतें हैं। इसके अलावा हजारों प्रकार के फूल और वनस्पति भी रोमांचित कर देती है। इस ट्रैक को वन्य जीव टूरिज्म के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है मोनाल ट्रैक!
मोनाल ट्रैक-
ऋषिकेश से वाण गांव 275 किमी वाहन द्वारा या
काठगोदाम से वाण तक 250 किमी वाहन द्वारा
वाण से कुकीना- खाल 4 किमी पैदल
कुखीना खाल से हुनेल -5 किमी
हुनेल से मोनाल टाॅप- 3 किमी पैदल