सुखद!–कोरोना काल में पौराणिक ‘शेष नेत्र’ झील को मिला नवजीवन, लौट आई झील की खोई हुई सुंदरता…।
(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान)
कोरोना की वजह से चारों धामों, पंच बदरी-पंच केदार, हेमकुण्ड सहित सभी धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लगी है। कोरोना की वजह से आमजन बेहद मुश्किल में है परंतु इस दौरान प्रकृति बेहद सुन्दर नजर आ रही है। ऐसी ही एक खूबसूरत तस्वीर आई है बैकुंठ धाम बद्रीनाथ से जहां विगत सालों में सूख चुकी पौराणिक शेष नेत्र झील की खोई हुई सुंदरता लौट आई है। झील में लबालब पानी तो भरा ही हुआ है अपितु झील की बेपनाह सुंदरता को देख लोग अभिभूत हैं। सर्दियों में हुई भारी बर्फबारी से भी झील का जलस्तर बढा है। विगत दिनों पहाडों में हुई बारिश से भी झील के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है।
आपको बताते चले की विगत सालों में यात्रा के समय भी झील में बडी संख्या में कूडा, प्लास्टिक और गंदगी फैल जाती थी लेकिन पिछले दो सालों से यात्रा में कम ही लोग बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे जिस वजह से झील में इस गंदगी ना के बराबर रही वहीं नगर पंचायत बद्रीनाथ द्वारा भी हर साल बडे वृहत् स्तर पर झील की साफ सफाई की जाती है जिससे कुछ सालो पूर्व सूख चुकी झील अब पानी से लबालब हो गयी है। इस साल भी नगर पंचायत द्वारा बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पहले ही शेष नेत्र झील की साफ सफाई कर दी थी। जिस कारण से शेष नेत्र झील की सुंदरता और झील के स्वच्छ पानी में बैकुंठधाम के चारों ओर की बर्फ से ढकी पहाडियों के प्रतिबिम्ब को देखकर लोग अभिभूत हो रहें हैं।
ये है शेष नेत्र झील।
बैकुंठ धाम में लोक निर्माण विभाग निरीक्षण भवन तिराहे के पास 50 मीटर से अधिक क्षेत्र में फैली है ये खूबसूरत झील। बीते कुछ सालों में इस झील में गंदगी बढने और पानी की कभी से झील लगभग सूख चुकी थी। कोरोना काल में शेष नेत्र झील को नवजीवन मिला है।
ये है पौराणिक मान्यता!
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण भगवान शेषनाग के अश्रुओं से हुआ। इसलिए इसे शेषनेत्र झील कहा गया। मान्यता के अनुसार भगवान शेषनाग ने यहां पर तपस्या की थी। माना जाता है कि इस स्थान से भगवान शेषनाग दोनों आंखों से भगवान नारायण के दर्शन कर रहे हैं। इसलिए बदरीनाथ धाम आने वाले झील के दर्शनों का भी पुण्य अर्जित करते हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल लाॅकडाउन में जालंधर से 200 किमी दूर हिमाचल में मौजूद हिमालय पर्वत की धौलाधार रेंज के खूबसूरत दृश्य देखकर लोग आश्चर्यचकित हो गये थे और 23 अप्रैल 2020 को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखलाओं का अभिभूत कर देने वाला नजारा दिखाई दिया था वहीं सहारनपुर से 150-200 किमी दूर हिमालय की बर्फीली पहाड़ियां दिखाई देने लगी थी। लाॅकडाउन में देश के कोने-कोने से आ रही कई खूबसूरत तस्वीरें बेहद सुकुन दे रहीं हैं। धरती की सेहत सुधर रही है। हवा, पानी सब साफ हो रहे हैं। गंगा, यमुना का पानी निर्मल और स्वच्छ हो गया है। समुद्र तटों में कछुए लौट रहे हैं। मोर नाच रहे हैं। पशु पक्षी कलरव कर रहे हैं। इंसानों के दोहन और प्रदूषण से पीड़ित धरती के अन्य दूसरे जीव निर्भय हो रहे हैं।
शेष नेत्र झील की सुंदरता से बद्रीशपुरी की रौनक लौट आई है। जो दिल को बहुत शुकुन देता है। बद्रीनाथ धाम के विकास हेतु नये मास्टर प्लान में पूरी बद्रीशपुरी के साथ साथ शेष नेत्र झील का भी सौंदर्यीकरण होना है। तो उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले सालों में हम बद्रीनाथ में शेष नेत्र झील की सुंदरता से अभिभूत होंगे।
फ.न.प.बद्रीनाथ