मात्र दो साल में सरसब्ज हुआ पटेलिया। 10 हजार रूटस्टॉक सेब के पेड़ों पर निकल आये लाल सुर्ख सेब।
(मनोज इष्टवाल)
अक्सर होता ये है कि जब तक कोई अधिकारी जिस जिले में जिलाधिकारी होता है तब तक उसकी कार्य क्षमताओं पर ही अक्सर सवाल उठते हैं, प्रशंसा होती है व उसके द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की समीक्षाएं बिशेषकर मीडिया जगत में होती रहती हैं। जैसे ही वह जिलाधिकारी उस जिले से स्थानांतरण पर दूसरे जिले जाता है, मीडिया जगत ही नहीं आम आदमी भी उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को एकदम बिसरा देता है। लेकिन जिलाधिकारी नैनीताल धिराज गर्ब्याल जरा अलग किस्म का शख्स है।
हमने एक धारणा बना ली थी कि जिलाधिकारी पौड़ी रहते हुए धिराज गर्ब्याल ने जितनी भी योजनाएं धरातल पर उतारी हैं वह सब चौपट समझो। क्योंकि वह तो सिर्फ बुनियाद की कगार पर अपना बचपना झेल रही थी। उसे अभी सजना संवारना बाकी था। कई बार चर्चाओं में जब भी मैंने जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल के सम्मुख यह बात रखी कि आपके स्थानांतरण के बाद तो यह सब चौपट हो जाएगा तब वे मुस्करा कर जबाब देते थे। इष्टवाल जी, सकारात्मक सोच रखा करें। देखना अगले जिलाधिकारी इस से और अच्छे पौड़ी जिले का ध्यान रखेंगे।
सचमुच उनके पौड़ी से अचानक चले जाने का दुःख इसलिए भी हुआ क्योंकि ट्रांसफर के दो दिन पहले हम उनसे मिले थे, व बहुत सोचकर ऐसे प्रकृति के चहेते अधिकारी के लिए अदवाणी के जंगल से बुरांस पुष्प गुच्छ ले गए थे। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर उनकी इस पोस्ट ने चौंका दिया जब उन्होंने पटेलिया नर्सरी की सफलता की इबादत के रूप में सोशल साइट पर ट्वीट किया कि येल्लो जी अपनी पहली सरकारी नर्सरी पटेलिया,नैनीडांडा!
लोग भोत बोल्ले सरकारी ना हो सके ..
हम बोल्ले जहां चाह वहा राह…।
ये शब्द मजाकिया अंदाज में लिखे हैं या उन लोगों पर तंज कसते हुए जिन्हें इस नर्सरी के विकसित होने पर संदेह था लेकिन विश्व पर्यावरण दिवस पर यह सचमुच पौड़ी जिले के लिए खूबसूरत चेहरे थे क्योंकि अब पौध पेड़ बन चुके हैं व उन पर सेब मुस्कराकर मानों कहने लगे हों – बाइट मी।
पटेलिया नर्सरी…! क्या उपलब्धि रही जिलाधिकारी गर्ब्याल की ।
पौड़ी जनपद का कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात जिलाधिकारी ने पाया कि जनपद में कृषि, उद्यान, होम स्टे की संभावनाएं भरपूर हैं। अधिकारियों को इन कार्ययोजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने नैनीडांडा में पटेलिया नर्सरी विकसित कर ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने होम स्टे व उद्यान के सन्दर्भ को बतौर प्रयोग अपने इर्द गिर्द जिलायोजना में खिर्सू का बासा होम स्टे व अपने ही आवास में सेब बागान लगाकर उसकी शुरुआत शुरू की! कारगर परिणाम सामने आने पर उन्होंने हिमाचल के कलासन (मंडी) के उद्यानपति व सुप्रसिद्ध सेब उत्पादक विक्रम सिंह रावत से मंत्रणा कर हिमाचल से उद्यान एक्सपर्ट व वैज्ञानिकों को पौड़ी गढवाल की भू-मृदा जांच के लिए आमंत्रित किया व कई जगह सेब बागानों के लिए चिन्हित करवाई!
जिलाधिकारी पौड़ी के अनुसार पौड़ी जनपद में हॉर्टिकल्चर की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तथा यहाँ के किसानों को उन्नत क़िस्म के सेब पौधे सस्ते दामों में उपलब्ध कराने के लिए नैनिड़ाडा ब्लॉक में कई वर्षों से निष्क्रिय पड़े पटेलिया फार्म में MM सीरीज़ की लगभग 10000 रूट्स्टाक क्षमता के सेव के पौधों की नर्सरी विकसित की जा रही है ! नर्सरी के विकास के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं यथा लैंड्स्केपिंग के पश्चात मृदा परीक्षण, पानी की व्यवस्था, फ़ार्मयार्ड मन्यूर/वेरमिकोंपोस्ट, सोलर फ़ेन्सिंग का क़ार्य पूर्ण कर पटेलिया को मदर नर्सरी के रूप में व प्रशिक्षण सेंटर के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना के सफल परिणाम सामने आये हैं!
ज्ञात हो कि नैनीडांडा ब्लाक के अंतर्गत धुमाकोट क्षेत्र के ग्राम पटेलिया स्थित उद्यान विभाग के चार हेक्टेयर में फैले उस बाग की, जिसमें कुछ वर्ष पूर्व तक बहार छाई रहती थी। चार हेक्टेयर भूभाग में फैले इस राजकीय प्रजनन उद्यान में 470 विभिन्न प्रजाति के फलदार वृक्ष हुआ करते थे। 1972-73 में अस्तित्व में आए इस बगीचे में सेब के साथ ही नाशपाती, खुबानी, आडू, पूलम, बादाम, अखरोट के पेड़ थे। उद्यान में कर्मियों के लिए कार्यालय के साथ ही आवास की भी व्यवस्था थी। राज्य गठन के उपरांत उत्तराखंड शासन ने इस बाग को लीज पर दिया और यहीं से बाग के दुर्दिन शुरू हो गए। आज हालत यह है कि इस उद्यान में फलदार पेड़ों की जगह चारों ओर झाड़ियों फैली हुई है। आवासीय व अनावासीय भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुके हैं और उद्यान पूरी तरह बर्बाद हो गया है। वर्तमान में यहाँ 10 हजार रूटस्टॉक सेब के पेड़ लहलहाने लगे हैं
यह सचमुच पौड़ी गढवाल के नैनीडांडा क्षेत्र के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण कुमाऊं व गढवाल मंडल के लिए एक मिशाल के तौर पर देखा जाने वाला कारनामा है! जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल कहते हैं कि हर अधिकारी अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा जरुर करने की फिराक में रहता है ताकि जब वह उसके सुखद परिणाम देखे तो उसकी आँखों में ख़ुशी के साथ-साथ सुखद अनुभूति हो! उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए सम्भव हो पाया है क्योंकि सिर्फ मैं नहीं बल्कि मेरे उपर बैठे अधिकारी वर्ग व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की बिशेष रूचि से यह सब सम्भव हो पाया है वरना जिला योजना की धनराशी उद्यानीकरण पर खर्च करना व उद्यानों को विकसित करना बड़ा मुश्किल कार्य है! हमने पटेलिया के अलावा जनपद के 08 स्थानों पर और सेब नर्सरी या बागान विकसित किये हैं जिनके अच्छे रिजल्ट लगातार हमें मिल रहे हैं!
उद्यानपति व उद्यान एक्सपर्ट विक्रम सिंह रावत भी जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि यह पहली बार हुआ जब किसी जिले के जिलाधिकारी (2019 में) ने व्यक्तिगत रूचि लेकर यह जानने की कोशिश की है कि वे उद्यानिकी के क्षेत्र मेंउनके जनपद में क्या क्या सम्भावनाएं हैं! विक्रम सिंह रावत बताते हैं कि हिमाचल मंदी के कलासन में उनके कलासन नर्सरी फ़ार्म है जहाँ उनके हजारों सेब वृक्ष उनकी लाखो रूपये की आमदनी का जरिया हैं व हर बर्ष इसी नर्सरी से वे लाखों रूपये के सेब प्लांट भी सप्लाई करते हैं! उन्होंने बताया कि वे मूल रूप से पौड़ी गढवाल की खातस्यूं पट्टी के कलुण गाँव के हैं व उनके पिताजी लोग हिमाचल जा बसे थे! उन्होंने कलुण गाँव आकर 2017 में अपनी 5-5 नाली जमीन पर 270 वुड स्टॉक सेब के पेड़ रोपे! इसके पीछे उनका एक ही मकसद था कि वह ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बता सकें कि करने पर आयें तो सब कुछ हो सकता है! 2018-19 में उन्हें लगभग पहली फसलवुेड की प्राप्त हुई तो ग्रामीणों के चहरे भी खिल उठे! आज जिलायोजना के तहत वे अपने गाँव कलुण की 20 नाली जमीन पर 1000 सेब वृक्ष लगा चुके हैं! इसके पश्चात जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल द्वारा उनके आवास में पर वुड स्टॉक सेब की प्रजाति लगाईं गयी जिसने इस साल फल दिए हैं!
विक्रम सिंह रावत ने बताया कि पौड़ी जनपद से जिलाधिकारी द्वारा लगभग 85 उद्यानपति प्रशिक्षण हेतु उनकी कलासन फार्म नर्सरी का विजिट कर चुके हैं जबकि वर्तमान में 36 उद्यानपति टिहरी गढवाल से हिमाचल प्रशिक्षण पर गए हुए हैं! उन्होंने कहा कि यह जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की हठ व वर्कशिप का ही नतीजा है कि मात्र अक्टूबर 2019 से लेकर अब तक वे जिला प्लान में पौड़ी गढ़वाल में पटेलिया फ़ार्म नर्सरी के अलावा आठ और सेब बागान विकसित कर चुके हैं जिनमें खिर्सू, कलुण, सिरोली, जिलाधिकारी आवास, सिल्ली मल्ला (बैजरो), बीणा मल्ला (पोखड़ा) व दो अन्य बागान बैजरो व उसके आस-पास हैं! उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके 36 व्यक्ति पटेलिया फ़ार्म में काम कर रहे हैं जो पौड़ी गढवाल की मदर नर्सरी कहलाएगी व भविष्य में यहीं हम उद्यानिकी का प्रशिक्षण भी देंगे!
बहरहाल सेब की यह फसल यहां कार्यरत कामगारों की खून पसीने की कमाई से पुष्पित और फलवित भी होने लगे हैं लेकिन क्या विभाग के आला अधिकारी इसकी निगरानी के साथ इन कामगारों का उत्साह बर्द्धन करते हुए इनकी पीठ थपथपा पाएंगे।