Saturday, July 27, 2024
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UKSSSC भर्ती घोटाले पर युवाओं का राजधानी की सड़कों में उमड़ा जनसैलाब। भर्ती घोटाले की सीबीआई जाँच की माँग।

(अखिलेश डिमरी)

सूबे के उन नौजवान साथियों का जिन्होंने सूबे में भर्तियों में व्याप्त घपले घोटालों की CBI जाँच की मांग को लेकर राजधानी में प्रदर्शन किया। उन्हें इस बात की बधाई कि वे इस संघर्ष को सोशल मीडिया के इतर सड़क पर ले आने की तस्दीक कर चुके हैं।

विभिन्न राजनैतिक दलों के उन लोगों कार्यकर्ताओं को भी बधाई जिन्होंने किसी राजनैतिक विचारधारा को दरकिनार कर युवाओं के भविष्य के सवालों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके साथ खड़े होने का साहस दिखाया और उन राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं के प्रति संवेदना जिनका जमीर उन्हें इतना न कचोट सका कि वे सूबे के युवाओं के हकों की लड़ाई में साथ खड़े होने का साहस कर सकते।

अब समय आ गया है कि #UKSSSC भर्ती घोटाले में हों रही जांचों और खुलासों पर जुटाई जा रही शाबाशी के बहाने कुछ असल सवाल जिनके जवाब भी मिलने चाहिए-

1. सूबे में वर्ष 2005 से ही सरकारी नौंकरियों की विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में मिलीभगत कर नियुक्ति पाने की खबरें आ रही थी जिसकी तस्दीक एक चर्चित IAS अधिकारी ने भी यूट्यूब पर उपलब्ध एक इंटरव्यू में कहा कि उनके व्हाट्सएप पर परीक्षा का प्रश्नपत्र आया था जिसका मिलान परीक्षा के तत्समय के प्रश्न पत्र से करने पर उन्होंने पाया कि सूचना सही है और प्रश्नपत्र रद्द किया गया, अब सवाल यह कि यदि वर्ष 2016 में भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक की पुष्टि हो चुकी थी तो उसके बाद की भर्ती परीक्षाओं के लिये जिम्मेदार एजेंसियों ने क्या क्या सेफ्टी मेजर्स लिए व उस भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक कराने के दोष में किन किन लोगों को हमारी जांच एजेंसियों ने पकड़ा, यदि नहीं तो ऐसा क्यों …?

2. दरोगा रैंकर्स की परीक्षा के दौरान टिहरी में यह पाया गया कि जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ CCTV फुटेज में उनकी सीटें खाली नजर आयी, मतलब उन अभ्यर्थियों को एक कमरे में बैठा कर इम्तिहान दिलवाया गया न कि उस कमरे में जहां कि परीक्षा के लिए पूर्व निर्धारित सीट व CCTV कैमरा लगा था मगर कार्यवाही अभी तक अज्ञात है ।

3. सवाल यह भी है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में ब्ल्यू टूथ डिवाइस के जरिये नकल कर प्रश्न पत्र को लीक कराने को लेकर अभ्यर्थियों के द्वारा जनपद पौड़ी व हरिद्वार में दर्ज कराई गई कतिपय एफआईआर में अभियुक्त बनाये लोगो ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मामले के शिकायतकर्ताओं से समझौता कर लिया और चार्जशीट को माननीय उच्च न्यायालय से आपसी समझौते के तहत खत्म करा लिया जबकि उच्च न्यायालय में सरकार भी आवश्यक पक्षकार थी, जबकि मामला दो लोगो के बीच आपसी धोखाधड़ी कम और आयोग की भर्ती परीक्षा की विश्वसनीयता का ज्यादा था । इस मामले में सरकार उच्च न्यायालय में पक्षकार होने के बावजूद चुप रही उसने कोर्ट में मामले को आपसी समझौते से खत्म किये जाने पर किये जाने पर विरोध नहीं किया । ऐसा क्यों हुआ यह सरकार ही बता सकती है और अब उम्मीद की जाती है कि STF नें इस बिंदु पर भी जाँच कर ही ली होगी।

4. STF नें अभी तक आयोग द्वारा आयोजित की गई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में नकल, मिलीभगत और आयोग की प्रेस से ही पेपर लीक मामले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष व सचिव से पूछताछ करने की कोशिश नहीं की और न ही यह पता लगाने की कोशिश की कि परीक्षा संचालन की कार्य विधि क्या क्या थी और वे कौन कौन से कारण अथवा कारक हो सकते हैं जहां से पेपर लीक हुआ अथवा हो सकता है..? अगर एसटीएफ ने कोई पूछताछ की भी है तो वह अब तक उसका कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया है उम्मीद है कि जल्द ही STF इस बात को भी सार्वजनिक करेगी।

5. क्या एसटीएफ द्वारा आज तक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सचिव से यह पूछा गया कि बिना परीक्षा नियंत्रक के विभिन्न परीक्षाओं के कलेंडर और परीक्षा केंद्र कैसे और कौन तय कर रहा था …..?

6. यदि आयोग बिना परीक्षा नियंत्रक के चल रहा था तो परीक्षा आयोजित कराने की जिम्मेदारी किस पदाधिकारी की थी और उस जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए किसने और क्या क्या किया …?

7.बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पँवार के द्वारा आयोग की भर्ती परीक्षा हेतु नियुक्त की गयी आउटसोर्सिंग एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड होना बताते हुए आज से लगभग 1 साल पहले ही रायपुर थाने में सूचना दर्ज करा चुके थे तो आयोग के सचिव संतोष बडोनी नें बॉबी पँवार को नोटिस क्यों दिया …? क्या इस बिंदु पर जांच हुई कि उक्त आउटसोर्सिंग एजेंसी बिना टेंडर व प्रक्रिया का पालन किये वर्षों से कैसे और किसकी शह पर चल रही थी …? एजेंसी के ब्लैक लिस्टेड होने की बात राज्य के एक सामान्य नागरिक को तो पता थी लेकिन आयोग के अध्यक्ष, सचिव और एलआईयू को पता नहीं थी । अगर नहीं भी थी तो इसकी जांच आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सचिव के द्वारा मामला संज्ञान में आते ही तुरंत क्यो नहीं करवाई गई ? बजाय कि वे बॉबी पँवार को नोटिस देते।

8. क्या STF नें अपनी निष्पक्ष जांच के क्रम में इस बात की अब तक जांच कर ली कि आयोग में आउटसोर्सिंग एजेंसी लेने की प्रक्रिया क्या थी व आयोग में उसका पालन किया था या नहीं …? क्या यह पता करने की कोशिश की गयी कि एजेंसी के चयन में किसी प्रकिया का उल्लंघन तो नहीं किया गया …? क्या यह पता करने की कोशिश की गयी कि एजेंसी का रिकार्ड कितना साफ सुथरा रहा है यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भर्ती परीक्षा जैसे संवेदनशील कार्य के लिए चयनित की जा रही एजेंसी का चयन मनमर्जी के आधार पर किया गया था …?

9. क्या इस बात की जांच हुई कि आउटसोर्सिंग एजेंसी लेने की जरूरत ही क्या थी…?

10. क्या STF नें अपनी निष्पक्ष जांच के क्रम में इस तथ्य की जांच की कि कोरोनाकाल में भर्ती परीक्षाओं के सेंटर प्रदेश से बाहर रखे गये थे या नहीं…? अगर हाँ तो क्यों …?

11. क्या STF नें अपनी निष्पक्ष जांच के क्रम में यह तथ्य जुटाने की कोशिश की है कि आयोग के पूर्व अध्यक्ष आर बी एस रॉवत नें भी भर्ती परीक्षाओं में अनुचित दबाव व घपले को लेकर शिकायत की थी उस पर क्या कार्यवाही हुई ..? यदि नहीं तो क्यों और किसके दबाव से ऐसा हुआ होगा …?

12. क्या STF नें अपनी निष्पक्ष जांच के क्रम इस बात की जाँच की है कि भर्ती में गड़बड़ियों को लेकर माननीय उच्च न्यायालय ने जितने भी मामले दाखिल किए गए थे उनमें आयोग ने अपनी और से क्या जवाबी शपत्र दिया था क्या दिए गए जवाब प्रक्रिया के क्रम में सही थे …?

13. क्या STF नें अपनी निष्पक्ष जांच के क्रम में आयोग के किसी जिम्मेदार अधिकारी से यह पूछा कि भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों के कितने सेट बनाये गये थे व यदि प्रश्नपत्र लीक होता है तो अल्टरनेट प्लान क्या था ….?

14. क्या आयोग से यह जानने की कोशिश की गयी कि यदि प्रश्नपत्रों के एक से ज्यादा सेट बनाये गए थे तो परीक्षा में वही सेट क्यों आया जो लीक हुआ था …? कौन सा सेट परीक्षा में आएगा इसका निर्णय भी मूसा जिसे कि इस मामले का सरगना बताया जा रहा है वही लेता था या यह आयोग की जिम्मेदारी थी …?

15. भर्ती परीक्षाओं के परीक्षा कक्ष की विभिन्न पंक्तियों में प्रश्न पत्रों के अलग अलग सेट बांटे जाते हैं तो ऐसे में प्रश्नपत्रों का एक ही सेट क्यों बांटा गया जो कि लीक हुआ था या प्रश्नपत्रों के सारे सेट ही लीक हो गए थे…?

16. हाकम सिंह कितनी बार बैंकाक गया और उसके साथ कौन कौन बैंकाक गये …? क्यों गया कहाँ गया व उसने वहां क्या किया क्या यह जानने की कोशिश की गयी व प्राप्त जानकारी पुष्ट करने की कोशिश की गयी…?

17. हाकम सिंह की मदद अथवा उसके प्रभाव से कितने नेता नौकरशाहों व अन्य लोगो ने जनपद उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड में जमीनें खरीदी …? पिछले कुछ वर्षों के यह आंकड़े जुटाने की क्या कोशिश की गयी या इस बिंदु को गैरजरूरी मान लिया जाये…?

18. सूबे के विभिन्न राजनेताओं और नौकरशाहों की हाकम सिंह के साथ उसके रिजॉर्ट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं वे कब की हैं और क्या सूबे की एलआईयू को नहीं पता था कि हाकम सिंह पर भर्ती घोटाले में एक FIR दर्ज है । जब राज्य के वीआईपी उसके साथ उसके रिजॉर्ट में जा रहे थे अथवा तस्वीरें खिंचवा रहे थे तो क्या स्थानीय अभिसूचना ने उनसे यह बात छुपाई …?

19. वर्ष – 2006 से 2021 तक लगभग 20 भर्ती परीक्षा कराई गई हैं इन भर्तियों को कराने में एक वह व्यक्ति भी महत्वपूर्ण रहा है जो STF द्वारा गिरफ्तार किया गया तो क्या इस बात की तस्दीक की जा सकती है कि उस व्यक्ति द्वारा करवाई गयी अधिकतर परीक्षाएं सुचितापूर्ण रही होंगी …?

2006 – उत्तराखण्ड शासन के विभिन्न विभागों में रिक्त समूह ग
2008 – उत्तराखंड परिवहन निगम, कम्पाइलर, विधि सहायक, लेखाकार, केन्द्र प्रभारी, अवरवर्ग लिपिक, मकैनिक, सहायक भण्डार पाल, टायर निरीक्षक विद्युतकार, व्यक्तिगत सहायक-ग्रेड-2,आशुलिपिक
2008 – पुलिस विभाग, उपनिरीक्षक
2009 – वाणिज्य कर विभाग, कनिष्ठ सहायक, आशुलिपिक
2009 – कोषागार विभाग, सहायक लेखाकार
2009 – को-आपरेटिव बैंक, रिक्त पदों की परीक्षा
2009 – पुलिस संचार विभाग, परिचालक
2010 – उत्तराखण्ड पेयजल विभाग, सहायक अभियंता / कनिष्ठ अभियंता
2010 – वाणिज्य कर विभाग, लिपिक/आशुलिपिक
2012 – पंचायतीराज विभाग, ग्राम विकास अधिकारी
2012 – को-आपरेटिव बैंक, रिक्त पदों की परीक्षा
2012 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम, सहायक अभियंता/अवर अभियंता
2015 – को-आपरेटिव बैंक, रिक्त पदों की परीक्षा
2015 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम, सहायक अभियंता/अवर अभियंता
2015 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम, लेखाधिकारी
2015 – पुलिस विभाग, उपनिरीक्षक
2019- वन रक्षक भर्ती
2021 – उत्तराखंड पावर कारपोरेशन, एई (ईएंडएम), एई (सिविल), लेखाकार, विधि अधिकारी, पर्सनल ऑफिसर, सीनियर इंडस्ट्रियल इंजीनियर
2021 – उत्तराखंड अक्षय ऊर्जाधिकार, परियोजना अधिकारी
2021 – उत्तराखंड जल विद्युत निगम, एई (ईएंडएम), एई (सिविल), ज्योलाजिस्ट
2021 – पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि, अकाउंट आफिसर, पर्सनल आफिसर, सहायक विधि अधिकारी

(#नोट / #डिस्क्लेमर- उपरोक्त वर्णित परीक्षाओं की संख्या, समय, वर्ष अथवा अन्य जानकारी विभिन्न स्रोतों से जुटाई गयी है जिनमें कुछ गलतियां हो सकती हैं, सुधी पाठक यदि ऐसी किसी गलती अथवा कमी को पकड़ें तो सुधार करने हेतु स्वतंत्र व आमंत्रित हैं व अनुरोध किया जाता है कि कमेंट बॉक्स में कमेंट करके सुधार करना चाहें)

20. क्या STF ने अपनी जांच के क्रम में किसी बड़े नौकरशाह और विधायक मंत्री को पूछताछ के लिए बुलाया या आने वाले दिनों में पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है…..?

सवाल बहुत से और भी बहुत हैं लेकिन वे लोग जिन्हें स्थानीय एजेंसियों की जांच से संतुष्टि मिलती हो और CBI जाँच की आवश्यकता को सिरे से नकार रहे हों बल्कि यह उम्मीद करते हों कि STF अपनी जांच से इन भर्तियों के सभी असल गुनहगारों को पकड़ लाएगी उन्हें चाहिए कि वे इन सवालों के जवाब ढूंढ लें, क्योंकि जब भी इस सूबे के युवाओं के भविष्य की बेहतरी अथवा बर्बादी के लिए सहभागी अथवा जिम्मेदार लोगों का इतिहास लिखा जा रहा होगा तो यकीन मानिए डिजिटल मीडिया के युग में वे सारी बातें भी भविष्य की सनद के लिए सुरक्षित रखी जा रही होंगी ।

खैर…! मैं ये बातें ये सवाल इसलिए भी रख रहा हूँ कि स्थानीय जांच एजेंसियों ने अब तक जितने भी घपले घोटालों के मामलों में जांच की है उनमें बड़े पदधारी नौकरशाह और सत्ताधारी सफेदपोश अब तक बचे ही रहें हैं जिनके मजबूत संरक्षण के बगैर इतने बड़े स्तर पर कोई निर्भीक होकर ऐसी घटनाओं को अंजाम नहीं ही दे सकता है ।

यकीन मानिए कोई मूसा उत्तर प्रदेश से आकर बिना किसी बड़े नौकरशाहों और सफेदपोशों की शह एक सूबे की भर्ती परीक्षा के तंत्र को धत्ता बता जाये, इस बात पर यकीन करना मेरे लिए तो संभव नहीं….! अगर आपको ऐसा यकीन है तो युवाओं के भविष्य के लिए लड़ी जा रही ये लड़ाई बेइमानी है।

 

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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