Saturday, August 23, 2025
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92वें भी ब्यासी बांध प्रभावित गांव लोहारी धरने पर । बोले जब तक 2017 के कैबिनेट प्रस्ताव को पुनः बहाल नहीं किया जाएगा। अपनी परिसम्पतियों का मूल्यांकन नहीं करने देंगे।

(मनोज इष्टवाल)।

एक गांव की जिद है कि वे जब तक 3 जनवरी 2017 के कैबिनेट के प्रस्ताव को पुनः बहाल नहीं किया जाता तब तक हम परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन नहीं करने देंगे। इसी जिद में जौनसार क्षेत्र के लोहारी गांव के ग्रामीणों का लगातार 92वें दिन भी ब्यासी बांध में धरना प्रदर्शन जारी है।

लोहारी के ग्रामीणों द्वारा वर्तमान प्रदेश सरकार की दोहरी कार्यशैली तथा खराब नीतियों के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए अपना रोष व्यक्त किया।

ग्रामीणों का कहना है कि विगत शुक्रवार को अपर जिलाधिकारी डा.शिव कुमार बरनवाल के नेतृत्व में एक कमेटी पुलिस बल के साथ लखवाड-ब्यासी जलविधुत परियोजना से पूर्णरुप से प्रभावित एकमात्र गांव लोहारी में पुलिस बल के साथ पहुँचे तथा ग्रामवासियों की सहमति के बिना ही परिसम्पत्तियां (भवन)/पेड़ आदि का मुल्यांकन विडियोग्राफ़ी के साथ करने लगे।

अचानक दर्जनों पुलिसकर्मियों को अपने गांव में देखकर ग्रामीण सकते में आ गए। जब उनकी समझ में आया तो सब लोगों ने प्रशासन का जमकर विरोध किया। महिलाओं अपर जिलाधिकारी का घेराव कर उनका जबाब तलब करना शुरू कर दिया और पूछा कि वे बिना जानकारी के कैसे गांव में घुस गए। आखिर अपर जिलाधिकारी को कहना ही पड़ा कि उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े अधिकारी मुख्य सचिव डॉ संधू के निर्देशों का पालन करना पड़ा।  इस प्रकार की तानाशाही किसी भी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है,बिना ग्रामीणों की सहमति के उनके घरों के अंदर घुसकर फ़ोटोग्राफ़ी करना हिटलरशाही को प्रदर्शित करता है जो कि बेहद निंदनीय है,ग्रामीणों का कहना है कि जब तक 3 जनवरी 2017 के कैबिनेट के प्रस्ताव को पुनः बहाल नहीं किया जाता तब तक हम परिसम्पत्तियों का मुल्यांकन नहीं करने देंगे।

अधिवक्ता गम्भीर सिंह चौहान का कहना हैं कि “आज लोहारी ग्रामीणों के साथ शासन प्रशासन के बल पूर्वक रवैये से डेमोक्रेसी कम डिक्टेटरशिप ज्यादा उत्तराखंड में झलक रही है.. समझ ये नही आता जनप्रतिनिधि कहा और कौन से बिल में चले गए…
….आज लोहरी गांव के साथ जो शासन प्रशासन ने बल पूर्वक का परिचय दे कर आम जनता के अपने अधिकारों की लड़ाई की आवाज को दबाने का प्रयास किया बहुत निंदनीय है । लोहारी गांव की मांगों को शासन प्रशासन को मानना होगा क्यों कि अपनी जन्मभूमि से छोड़कर जाना इतना आसान नही है । लेकिन यदि जलविद्युत परियोजना निर्माण के कारण यदि उन्हें गांव छोडकर जाना पड़ रहा है । तो पूर्व में आंशिक विस्तापन का मुआवजा देकर इतिश्री नहीं कर सकते है । वल्कि आज के सर्किल रेट की दर से पूर्ण विस्तापन यानी जमीन के बदले उन्हें जमीन देनी होगी । पूर्व में भी अपने ही प्रदेश में दूसरे जलविद्युत परियोजनाओं से प्रभावित लोगों को जमीन के बदले जमीन और मुआवजा दिया गया है । एक ही प्रदेश में आखिर दोहरे मफदण्ड जनता के साथ क्यों अपनाए जा रहे है । ग्राम लोहारी के ग्रामीणों की मांगे पूरी समय रहते हुए सरकार को करनी चाहिए।”

दीपक तोमर अपनी फेसबुक वॉल पर लिखते हैं कि उत्तराखंड के माननीय चीफ सेक्रेटरी डॉ एस. एस. सन्धु साहब, ने बिना किसी नोटिस के शासन, प्रशासन के लोगों को गांव में लोगों के घरों की नापछाप करने के लिए आदेश दिया, बिना बताये जबरदस्ती संख्या बल के साथ कोई यदि आप के घर में आ जाए जिन्हें आप जानते ना हों तो आपको कैसा लगेगा और आपका उनके प्रति क्या व्यावहार होगा ?

इसे कहते हैं सत्ता का दुरुपयोग।  किस तरह गांव में तीनो क्षेत्र की पुलिस , प्रशासन , जल विद्युत अधिकारी , गांव में बिना बताए किसी तरह आज हमारे गांव में आकर तानाशाई की ये हाल है , हमारे साथ खड़े होने के बजाय हमारे विरुद्ध और हमारे गांव में आकर ऐसे तानाशाई दिखाई , बहुत ही आश्चर्यजनक रूप देखने को मिला।

वहीँ संदीप तोमर लिखते हैं कि अधिकारों की लडाई,धरना प्रदर्शन का 91वां दिन..।

ना कोई प्रजा है,ना कोई तंत्र है।
ये आदमी के खिलाफ आदमी का
खुला षडयंत्र है।।

आज दिनांक 03-09-2021 को लगातार 91वें दिन भी ब्यासी बांध से पुर्ण रुप से प्रभावित एकमात्र राजस्व गांव लोहारी का धरना प्रदर्शन जारी रहा।
लोहारी के ग्रामीणों द्वारा वर्तमान प्रदेश सरकार की दोहरी कार्यशैली तथा खराब नीतियों के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए अपना रोष व्यक्त किया।
आज अपर जिलाधिकारी डा.शिव कुमार बरनवाल के नेतृत्व में एक कमेटी पुलिस बल के साथ लखवाड-ब्यासी जलविधुत परियोजना से पुर्णरुप से प्रभावित एकमात्र गांव लोहारी में पहुँचे तथा ग्रामवासियों की सहमति के बिना हि परिसम्पत्तियां(भवन)/पेड़ आदि का मुल्यांकन विडियोग्राफ़ी के साथ करने लगे जो कि ग्रामीणों को मंजूर नहीं है,इस प्रकार की तानाशाही किसी भी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है, बिना ग्रामीणों की सहमति के उनके घरों के अंदर घुसकर फ़ोटोग्राफ़ी करना हिटलरशाही को प्रदर्शित करता है जो कि बेहद निंदनीय है, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक 3 जनवरी 2017 के कैबिनेट के प्रस्ताव को पुनः बहाल नहीं किया जाता तब तक हम परिसम्पत्तियों का मुल्यांकन नहीं करने देंगे।

धरना प्रदर्शन में श्री भाव सिंह, दिनेश तोमर, नरेश चौहान, संदीप तोमर, दिनेश चौहान, राजेश चौहान, रमेश चौहान, प्रदीप चौहान,-कुम्पाल चौहान, स्वराज चौहान, सुखपाल तोमर, राजपाल तोमर, अक्षत चौहान, अजय तोमर, भरत सिंह, मंगल सिंह, श्रीमति उषा देवी,सावित्री देवी, आशा चौहान, रेखा चौहान, सविता चौहान, अनिता देवी, सरिता चौहान, सुनिता चौहान, गुड्डी तोमर, अम्बा देवी, ब्रहमी देवी, बिजमा देवी, चन्दा चौहान, सुचिता तोमर, अमिता तोमर आदि उपस्थित रहे।

 

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