Friday, November 22, 2024
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हरिद्वार कुंभ मेला की अधिसूचना जारी । 1 से 30 अप्रैल तक चलेगा महाकुंभ

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

शासन ने हरिद्वार कुंभ की अधिसूचना जारी कर दी है। कुंभ एक अप्रैल से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलेगा। इसके साथ ही शासन ने कुंभ क्षेत्र भी अधिसूचित कर दिया है। इसी क्षेत्र के भीतर कुंभ के लिए जारी सभी दिशा-निर्देश लागू होंगे।

हरिद्वार में 12 साल बाद कुंभ का आयोजन होता है। अमूमन कुंभ की अवधि साढ़े तीन माह की होती है। वर्ष 2010 में कुंभ 14 जनवरी से शुरू होकर 28 अप्रैल तक चला था। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण शासन ने इसकी अवधि घटाकर एक माह कर दी है। इस अवधि में 12 अप्रैल, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल को, कुल तीन शाही स्नान होंगे। इसके अलावा 13 अप्रैल को चैत्र प्रतिपदा व 21 अप्रैल को रामनवमी के पर्व स्नान भी होंगे।

प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा जारी अधिसूचना में कुंभ क्षेत्र को भी अधिसूचित किया गया है। इसके अनुसार उत्तर में यह सीमा नीरगढ़, तपोवन, बिठ्ठल आश्रम मार्ग से लेकर नरेंद्रनगर मुनि की रेती मार्ग तक रहेगी। पश्चिम में यह सीमा नरेंद्रनगर-ऋषिकेश बाइपास, ऋषिकेश-देहरादून मार्ग पर वन चौकी तक, वन चौकी से ऋषिकेश-हरिद्वार बाइपास मार्ग, हिल पास के साथ मंसा देवी, बिल्केश्वर मंदिर, टिबड़ी, मोहंड रोड जंगल चौकी, बीएचइएल के आवासीय भवन, रुड़की-बहादराबाद मार्ग और हरिद्वार-दिल्ली मार्ग पर 13 किमी तक रहेगी। दक्षिण में यह सीमा बहादराबाद-हरिद्वार बाइपास मार्ग, सीतापुर गांव, हरिद्वार-ऋषिकेश बाइपास पर रेलवे पुल, ग्राम जियोपोता से हरिद्वार-नजीबाबाद मार्ग के सिद्ध सोत सेतु तक रहेगी।

पूर्व दिशा में यह सीमा सिद्ध सोत सेतु से चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार-चीला मार्ग, बीरभद्र बैराज, लक्ष्मण झूला मार्ग, स्वर्गाश्रम क्षेत्र, नीलकंठ महादेव मंदिर, नीलकंठ-गरुड़चट्टी-दुगड्डा मार्ग पर पीपीकोटी तिराहे से वापस नीलकंठ-स्वर्गाश्रम पैदल मार्ग से नीरगढ़ तक रहेगी।

शाही स्‍नान

12 अप्रैल 2021 – सोमवती अमावस्‍या
14 अप्रैल 2021- मेष संक्रांति और वैशाखी
27 अप्रैल 2021- चैत्र माह की पूर्णिमा

अन्‍य प्रमुख स्‍नान

13 अप्रैल 2021 चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा
21 अप्रैल 2021- रामनवमी

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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