Monday, July 14, 2025
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नाइन माउंटेन मोटर्स ने वकील को पूरा केस जमा करने पर भी बिना बाइक बैरंग लौटाया। वकील बोले- क्या वकील इस देश के नागरिक नहीं हैं।

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

सचमुच यह आश्चर्यजनक है। एक वकील अपने बेटे की खुशियों के लिए हीरो कम्पनी के इस शो रूम बाइक खरीदने जाता है वह भी सम्पूर्ण कैश के साथ। बेटा हीरो X-Pluse 200 गाड़ी पसन्द करता है और पिता खुशी-खुशी कोर्ट लौट आता है कि अब बेटा बाइक लेकर खुश होकर घर चला जायेगा। तभी बेटे संस्करण कुकरेती का फोन आता है कि नाइन माउंटेन मोटर्स ने मुझे कैश वापस थमा दिया है और कहा है कि आपके पिता वकील हैं इसलिए आपको बाइक नहीं दे सकते। सिर्फ यहीं नहीं आपको ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है आप कहीं से भी गाड़ी नहीं खरीद सकते।

इस प्रकरण की जानकारी देते हुए अधिवक्ता राजेश कुकरेती ने बताया कि मेरे द्वारा उपरोक्त हीरो मोटर्स के डीलर से X-Pluse 200 की बाइक अपने बेटे संस्करण कुकरेती के लिए क्रय करने हेतु एक quotation शोरूम में फोन कर ली गई जिसको नाइन मोटर्स जोगीवाला के कर्मचारी ने मुझे व्हाट्सअप कर दिया गया और कहा कि आप अपने किसी दूसरे टू व्हीलर की RC दे दो आपको इस quotation पर ₹ 5000/ की छूट दे दी जाएगी जिस पर मेरे द्वारा अपनी स्कूटी की RC व्हाट्सअप पर दे दी जिस पर नाइन मोटर्स के कर्मचारी द्वारा मुझसे ₹ 139483/ नगद केशयर के पास जमा करवाकर एक रसीद संख्या 12563 जारी कर दी गई तत्पश्चात कर्मचारी द्वारा मेरे बेटे का आधार कार्ड व एक फोटो भी ले ली गई और मुझसे कहा कि आपकी गाड़ी तैयार हो रही हैं। मुझे कोर्ट में जाना था मैंने नाइन मोटर्स के कर्मचारी से कहा कि मैं कोर्ट जा रहा हूँ और गाड़ी मैंने बेटे के नाम से ली गई हैं आप इसे दे देना। उन्होंने कहा कि ठीक है साथ ही उन्होंने पूछा कि आप वकील हैं। मैंने कहा कि मैं जिला न्यायालय देहरादून में वकालत करता हूँ।

उन्होंने बताया कि कोर्ट पहुंचने पर बेटे का फोन आया कि गाड़ी के लिए ₹2388/ की और मांग की जा रही है। मेरी कर्मचारी से बात हुई उसने कहा कि आपको ₹ 2388/ और देने होंगे मैंने कहा कि आप अपनी बैंक डिटेल भेज दो मैं आपके खाते में ट्रांसफर कर दूंगा।  थोड़ी देर बाद बेटे का फोन आया कि शोरूम वाले गाड़ी हमे देने से मना कर रहे हैं। मैंने जब शोरूम कर्मचारी अभिषेक जी से बात की तो उन्होंने की की नाइन माउंटेन कंपनी के मालिक ने आपको गाड़ी देने से मना कर दिया है। मैने कारण जानना चाहा तो उसने कहा कि वकील को गाड़ी नही दे रहें हैं मैने नाइन माउंटेन के ओनर का फोन न मांगा और कहा कि मैं उनसे बात करता हूँ। उसने न ही नम्बर दिया और न ही बात कराई। तत्पश्चात मेरे बेटे ने मुझे फोन कर बताया कि कंपनी के कैशियर ने मुझे सारे पैसे वापस दे दिये और कुछ कागजों पर मेरे हस्ताक्षर करा लिए है, और कहा कि आपको कम्पनी ने बकैकलिस्ट कर दिया है। आप देहरादून में कही भी यह बाइक नही ले सकते हो। उसने कहा कि हम ओनर के आदेश का पालन करने को मजबूर हैं।

राजेश कुकरेती बोले यह मेरे लिए अचंभित कर देने जैसी बात हुई। पूरी रकम नगद जमा करने पर भी जिस तरह नाइन माउंटेन मोटर्स ने मेरे बेटे को बाइक नहीं दी वह सचमुच बेहद निराशाजनक है। इतने पैसे लेकर मेरा बेटे शोरूम से निराश होकर पैदल ही घर वापस आ गया।  मुझे आत्मग्लानि हुई कि हमारे उत्तराखंड के मूल निवासी होने बावजूद ऐसा क्या हुआ, जो हमसे नाइन मोटर्स के ओनर ने ऐसा असभ्य व्यवहार व अनुचित व्यापारिक प्रक्रिया का कार्य किया।

अधिवक्ता राजेश कुकरेती ने बेहद व्यथित मन से कहा कि क्या मेरा वकील होना पाप है? क्या वकील इस देश का नागरिक नहीं है। फिर हम तो नगद में गाड़ी ले रहे थे न कि फाइनेंस द्वारा। फिर भी हम एक गाड़ी नही क्रय कर पा रहे हैं। अब आप ही बताएं कि नाइन माउंटेन मोटर्स के इस व्यवहार को हम किस तरह से लें। इसे मानहानि न कहा जाय तो क्या कहें?

सच जानने के लिए हिमालयन डिस्कवर द्वारा नाइन माउंटेन मोटर्स के फोन नम्बर 7455998888 पर फोन किया गया। फोन रिसेप्शन पर मौजूद किसी महिला द्वारा उठाया गया, जिनसे सम्बन्धित प्रकरण पर हमारे द्वारा जानकारी मांगी गई कि आखिर वकील राजेश कुकरेती को समस्त नगद भुगतान के बाद भी बाइक क्यों नहीं दी गयी। उस पर यह कर्मी बोली- उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है व इस प्रकरण को वह अपने उच्चस्थ अधिकारियों के संज्ञान में डालकर हमें जानकारी प्रेषित करेंगी लेकिन उसके बाद दो बार फोन करने पर भी नाइन माउंटेन मोटर्स का फोन नहीं उठा।

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