तंत्र क्रियाओं में प्रयोग में लाया जाता है वीरांगना तीलू रौतेली की तलवार की मूठ से बहने वाला पानी.
(मनोज इष्टवाल)
क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि सोलहवीं -सत्रहवीं सदी की वीरांगना तीलू रौतेली की तलवार आज भी मौजूद होगी? और तो और… उस तलवार पर लेशमात्र भी जंक नहीं लगा है।पौड़ी गढ़वाल के नैनीडांडा विकास खंड के पड़सोली गाँव दरबार गढ़ में रखी हुई वीरांगना तीलू रौतेली की वह तलवार जिसने जाने कितने दुश्मनों की गर्दनें नापी हैं, आज भी जादुई कहलाती है। यह तलवार दुधारी है जिसकी मूठ पर चांदी मढ़ी हुई है। और यह गोरला थोकदारों के पड़सोली स्थिति दरबार गढ़ के पूजा कक्ष में आज भी विराजमान है, जिसकी नित नियम से पूजा होती है।
वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर शहर में रह रहे पड़सोली क्वाठा के गोर्ला रावत जगमोहन सिंह ने 1991 की अपनी फोटो तलवार के साथ साझा करते हुए बताया कि इस तलवार की मूठ से पानी की बूंदे धार की तरह बढ़ती हुई जब नोक तक पहुँचती हैं तब उस पानी को किसी बर्तन में इकट्ठा कर दूर-दूर का जनमानस अपने साथ ले जाता है। इस सत्यता को प्रमाणिकता देने के लिए हीरा सिंह गोर्ला व राकेश जी ने भी हामी भरी व कहा कि वर्तमान में भी काशीपुर, उधमसिंह नगर, रामनगर ही क्या पहाड़ों से भी लोग आकर इसका पानी ले जाते हैं। यह पानी तांत्रिक क्रियाओं में प्रयोग में लाया जाता है। जिस महिला के बच्चे नहीं होते इस पानी को पी लेने मात्र से उसका गर्भ ठहर जाता है ऐसा आम जन का मानना है।
गढ़ गाथाओं के इतिहास में क्या-क्या अबूझ कहानियां जुडी हैं व उसके क्या अच्छे बुरे परिणाम हैं! यह कह पाना जरा असंभव सा लगता है कि अर्धगढ़ गाथाओं के इतिहास में क्या-क्या अबूझ कहानियां जुडी हैं व उसके क्या अच्छे बुरे परिणाम हैं! यह कह पाना अर्धसत्य जैसा ही लगता है, लेकिन जो कहानियां, पांवड़े हमारे लोकसमाज लोक संस्कृति के साथ जागर व भड वार्ताओं के साथ आगे बढ़ी हैं उनमें कहीं न कहीं सच्चाई अवश्य है।
आइये मैं गुजडू पट्टी में पड़सोली के सयाणा/थोकदारों का नाम बता दूँ जिन्हें गोरखा शासन काल में वहां का गर्खा (पट्टी) सयाणा नियुक्त किया गया। उनमें हिमतु रौत के पुत्र उदमतु रौत व थौबा रौत हुए जिनके छः परिवार दरबार गढ़ में हुए और अब यही बढ़कर लगभग 60 परिवार बन गए हैं।
ज्ञात हो कि यह वही स्थान है जहां वीरांगना तीलू रौतेली ने राजा बाजबहादुर चंद के सेनापति कुंवर शक्ति गुसाईं का सर कलम कर अपनी यश-कीर्ति बढ़ाई व अंतिम युद्ध राजा बाजबहादुर चंद के पुत्र राजा उद्योतचंदक के वीर भड सेनापति मैसी साहू को मौत के घाट उतारकर उद्योत चंद का गढवाल विजयरथ रोक दिया और बधानगढ़ी से राजा उद्योत चंद को वापस लौटना पड़ा!