(पार्थसारथि थपलियाल)
लोकतंत्र में आप किसी विचार या व्यक्ति से सहमत या असहमत हो सकते हैं। यह लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता होती है। मत भेद हो सकता है लेकिन मन भेद नही होना चाहिए। कम से कम जो लोग संविधान की शपथ लेकर किन्ही संवैधानिक पदों पर हैं उनसे उम्मीद की जाती है कि वे अपने भद्र स्वरूप में जनता की सेवा करेंगे। इस बात को आप विख्यात कवि और आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक डॉ. कुमार विश्वास के हाल ही के उस वक्तव्य को ध्यान में रखकर देखिये जिसमें कुमार विश्वास नें आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा पूर्व में पंजाब को खालिस्तान बनाकर, खालिस्तान देश का प्रधानमंत्री बनने की योजना को उद्घाटित किया था।
आपको याद होगा “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” का वह आंदोलन जिसमें गांधीवादी बुजुर्ग अन्ना हज़ारे रामलीला मैदान दिल्ली में (अप्रेल 2011 में) आमरण अनसन पर बैठे थे। उस समय युवा दिलों को रिझानेवाले कवि कुमार विश्वास मंच से अपनी सुप्रसिद्ध ग़ज़ल के साथ सर्वाधिक लोकप्रिय मंच संचालक के रूप में भी स्थापित हुए थे।-
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
कुमार विश्वास भारतीयता के परम हितैषी कवि हैं। भारतीय संस्कृति उनकी रग रग में बसी हुई है। इतने सालों तक दिल में एक कांटा तो चुभ रहा था कि अरविंद केजरीवाल किस सोच का व्यक्ति है। अरविंद केजरीवाल के कथन को प्रकट करने के बाद वक्तव्यों की पिच पर आम आदमी के राघव चड्ढा ने बैटिंग संभाली लेकिन कुमार विश्वास की अगली गेंद पर हिट विकेट हुए। कप्तान केजरीवाल खुद बॉलिंग के लिए आये। वे न जाने किस दिशा में बॉलिंग कर रहे थे। उनका कहना था कि स्कूल खोलना, हॉस्पिटल, बनाना, बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा करवाना यदि आतंकी काम है तो मैं स्वीट आतंकी हूँ। उन्होंने अपनी तुलना शहीद भगत सिंह से कर दी।
कर्नल अजय कोठियाल, (उत्तराखंड) जिन्होंने 2013 में केदारनाथ विभीषिका के बाद देवदूत बनकर लोगों को बचाया था। पिछले साल आमआदमी पार्टी में कर्नल कोठियाल को अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर प्रचारित किया था। क्या हुआ कर्नल कोठियाल के साथ? एक भद्र व्यक्ति जिसका बड़ा नाम था उसे कहीं का नही रखा। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने समझ लिया था कि हम जीत नही पाएंगे। इसलिए सभी जगह पार्टी में बगावत हुई। करोड़ों रुपयों में टिकट बेचने के आरोप लगे। यह उस आम आदमी पार्टी की शौर्यगाथा है जो इंडिया अगैस्ट करप्शन के एजेंडा लेकर बनी। अब वोट पाने के लिए पंजाब की महिलाओं को रुपये एक हज़ार (प्रति महिला प्रति माह) देती रहेगी।300 यूनिट बिजली मुफ्त में मिलेगी। क्या केजरीवाल अपनी जेब से देनेवाले हैं। क्या केजरीवाल को यह मालूम है कि एक करोड़ महिलाओं को एक हज़ार प्रति महिला की दर से एक माह में, एक साल में और पांच साल में कितना खर्च बढ़ेगा?
दिल्ली दंगो के दौरान (2020) जो अराजकता दिल्ली में फैली, कोरोना में दिल्ली में बदइंतजामी जिज़के लिए कोर्ट ने फटकारा, क्या दिखाते हैं? दिल्ली सरकार दिल्ली में घर घर दारू पहुंचा रही है और पंजाब में नशाबंदी का वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल को अपना 2011 वाला चरित्र ही प्रकट करना चाहिए। शाहीन बाग, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली दंगे, दिल्ली में किसान आंदोलन, उसमें खालिस्तानी पेंच
और खालिस्तानी प्रधानमंत्री बनने का सपना ये सब उनके नाटक के दुर्दांत किरदार हैं? इस सिलसि में कुमार विश्वास की चुनौती कौन स्वीकार करेगा?