Friday, November 22, 2024
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और …फफक पड़े पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक श्रीकांत चंदोला। पत्नी व साले की अस्थियां गंगा शरण कर लौटे।

देहरादून (हि. डिस्कवर)
कोरोना संक्रमण ने जहां एक ओर कई जानें लील ली हैं वहीं हमारी व्यवस्थाओं पर भी कई प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। यह महामारी न पैंसा देख रही है न अप्रोच। इसके आगे बड़े से बड़ा सिस्टम बुरी तरह फैल है। ऐसा ही कुछ पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक श्रीकांत चंदोला के साथ भी हुआ।


कोरोना संक्रमण के चलते पूरा परिवार संक्रमित रहा।।बमुश्किल ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड हुआ भी लेकिन विगत दिन श्रीमती चंदोला की जान नहीं बच पाई। उनका अंतिम संस्कार करके लौटे ही थे कि उनके साले भी स्वर्ग सिधार गए। उनका रायपुर घाट पर अंतिम संस्कार किया।
अपनी पीड़ा कैसे साझा करें, यह बहुत मुश्किल समय है, डबडबाई आंखों से जब भी वह घर की तरफ लौटते पुलिस टीम घन्टा घर या अन्य चौक पर तरह-तरह के प्रश्न करती। यह बताने पर भी की वह अपनी पत्नी का, अपने साले का अंतिम संस्कार करके लौट रहे हैं। पुलिस कर्मियों के कई अनर्गल सवाल होते। उन्होंने बताया कि वे गंगा जी दोनों की अस्थि विसर्जन करके लौट रहे थे तब भी उन्हें पुलिस वालों के ऐसे कई निरर्थक सवालों के जबाब देने पड़े। उनका कहना है कि मानवीय संवेदनाओं का वर्तमान में कोई महत्व नहीं रह गया है, भला कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो खुलेआम मौत ढूंढने बाजार निकलेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार से गुजारिश है, वह भी विशेषकर पुलिस प्रशासन से कि ऐसे समय मानवीय संवेदनाओं को देखते हुए अपनी कार्यशैली में थोड़ा बहुत बदलाव लाएं क्योंकि जिसका सब कुछ लुट गया है उसके पास पुलिस के आड़े-तिरछे प्रश्नों का जबाब बचा होगा या अपनी गमगीनियों व यादों को भुलाने आंसूं बहाने का। यह वक्त ऐसा है कि कोई आपका सगा भी आपके आंसू पोंछने के लिए पास नहीं है। यह बोलते बोलते श्रीकांत चंदोला जी अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाए व बिलख-बिलखकर रो पड़े।
यह खबर मूलतः लिखने का खास मकसद भी यही है कि इस समय हमें मानवीय संवेदनाओं के आधार पर अपने कर्तब्यों का निर्वहन करने की आवश्यकता है, न कि अनावश्यक परेशान करने वाले प्रश्नों से विचलित करने की। पुलिस प्रशासन से इस लेख के माध्यम से अनुरोध है कि वह मानवीय संवेदनाओं का भी ख्याल रखे। हम जानते हैं कि इस काल में जो नौकरी आप कर रहे हैं वह मानवता के लिए किसी बड़ी मिशाल से कम नहीं लेकिन ऐसे मौकों पर थोड़ा सा कार्यशैली में बदलाव कर विन्रमता के साथ ऐसे प्रकरणों में हमें पेश आने की आश्यकता है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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