(मनोज इष्टवाल/सम्पादकीय)
प्रश्न उठता है कि क्या प्रदेश भाजपा के अंदर सब कुछ ठीक चल रहा है! जबाब यही है कि कुछ तो अंदरखाने ऐसा चल रहा है जिससे भाजपा में असहजता का माहौल बना हुआ है, वरना भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल, सांसद अजय भट्ट, महारानी माला राजलक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, तीरथ सिंह रावत, मंत्री मदन कौशिक, धन सिंह रावत, महामंत्री राजेंद्र भंडारी, कुलदीप कुमार, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल व प्रदेश उपाध्यक्ष ड़ा देवेन्द्र भसीन इत्यादि को एक साथ बैठकर गहन विचार विमर्श नहीं करना पड़ता।
पूर्वमें 37 विधायकों की नाराजगी की खबर के बाद सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आना कि यह सब यूँहीं उड़ाई जा रही खबरें हैं। फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का एक स्टेटमेंट व पार्टी विधायको को कारण बताओ नोटिस जारी करना और अब पार्टी के लोहाघाट विधायक द्वारा 58 के तहत विधान सभा सत्र में जौलजीबी-टनकपुर सड़क के टेंडर पर सवाल पूूूछने के बाद पार्टी के महामंत्री की ओर से अध्यक्ष के कहने पर कारण बताओ नोटिस जारी करना , यह जरूर दर्शाता है कि पार्टी के अंदर कुछ तो ऐसा हो रहा है जो असहज कर देने वाला है।
जौलजीबी-टनकपुर सड़क के टेंडर पर सवालिया निशान लगाने वाले जौलजीवी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल के सत्र में नियम 58 के तहत प्रश्न उठाना भाजपा को अपनी ही पार्टी के विरुद्ध उठाई गई आवाज नागवार गुजरी और उन्होंने मुद्दे को मीडिया में उछालने पर पूरन सिंह फर्त्याल को कारण बताओ नोटिस जारी कर इसका कारण पूछा। अपने पत्र में विधायक ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा की संचालन नियमावली 2005 के अनुसार अपने अधिकारों का प्रयोग किया है जो सत्तासीन पार्टी का कोई भी विधायक करता आया है व कर सकता है। इस पर भला उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने का क्या औचित्य बनता है जबकि उन्होंने प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है और वे आगे भी भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जंग को आगे भी जारी रखेंगे।
विधायक पूरन सिंह फर्त्याल के इस निर्णय से प्रदेश भाजपा संगठन किंकर्तब्यविमूढ़ सा हो गया है क्योंकि अपने ही विधायक को कारण बताओ नोटिस भेजने वाला भाजपा संगठन लीपापोती पर उतर आया है। भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में लिए गये फैसले के तहत टेंडर विवाद को लेकर अपनी ही सरकार की नाक में दम करने वाले विधायक पूरन फर्त्याल को मनाने या उनसे बात करने के लिए अब कुमाऊं के दोनो सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा उनसे वार्ता करेंगे।
ज्ञात हो कि प्रदेश भाजपा के मंत्री विधायक पूर्व में भी इस बात को सार्वजनिक कर चुके हैं कि अफसरशाही के हॉबी होने के कारण न अफसर उनकी बैठकों में ही आते हैं और न क्षेत्रीय विकास से सम्बंधित योजनाओं को गंभीरता से लेते हैं। पूर्व में ऐसी ही नाराजगी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री मदन कौशिक खुली बैठक में मीडिया के सामने प्रकट कर बैठक छोड़कर चले गए थे। तदोपरांत राज्यमंत्री रेखा आर्या व अपर सचिव वी. षणमुगम का विवाद व तदोपरान्त वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज व सुबोध उनियाल द्वारा आईएएस की सीआर लिखने का मामला प्रकाश में आना कहीं न कहीं पार्टी के अंदर बाहर मचे घमासान को जाहिर करता है जिस पर अक्सर जल्दी ही लीपापोती भी कर दी जाती है क्योंकि पार्टी बिल्कुल चुनाव के मुआयने में खड़ी है।
सूत्रों की माने तो विधायक पूरन सिंह फर्त्याल मामले में कोर कमेटी के इस फैसले से साफ माना जा रहा है कि नोटिस देने में जल्दबाजी करने वाला संगठन फर्त्याल के मुद्दे पर अब पूरी तरह बैकफुट पर आ गया है। जौलजीबी-टनकपुर सड़क के टेंडर को लेकर मचे घमासान ने भाजपा के रणनीतिकारों को पसोपेश में डाल दिया है। कहीं न कहीं पार्टी को भो लग रहा है कि नोटिस भेजने में कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी हो गयी। दूसरी ओर, कोर ग्रुप की बैठक में यह भी तय हुआ कि 2 से 3 दिन की भीतर प्रदेश कार्यकारिणी और मोर्चों की घोषणा की जाएगी। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 17 अक्टूबर को भाजपा पार्टी के नए कार्यालय का वर्चुअल भूमि पूजन करेंगे। इस मौके पर सभी मंत्री मौजूद रहेंगे।
बहरहाल अब उत्तराखण्ड भाजपा द्वारा 16 अक्टूबर को देहरादून जिला समन्वयक समिति की कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी और मोर्चों की घोषणा किये जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।