Saturday, March 15, 2025
Homeउत्तराखंडमास्टर ऑफ किस्सागोई-मुकेश बहुगुणा। जब पहरेदार पपीताचोर बना ... Down Memory Lane..

मास्टर ऑफ किस्सागोई-मुकेश बहुगुणा। जब पहरेदार पपीताचोर बना … Down Memory Lane..

जब पहरेदार पपीताचोर बना … Down Memory Lane..

(मुकेश बहुगुणा)

संतों ,
आज , खबर पढ़ी कि कहीं किसी कथित पौड़ी नामक स्थान पर किसी कथित डीआइजी के कथित बंगले पर कथित सेब के पेड़ की सुरक्षा के लिए ( इसे कथित रूप से z –plus की बजाय A फ़ॉर एप्पल प्लस सुरक्षा भी कहा जा सकता है ) किसी कथित सिपाही ( पुरानी फिल्मों में जिसे बलमा सिपहैय्या , बांका सिपहैय्या या गबरू सिपहैय्या के रूप में दर्शाया गया है ) को तैनात किया गया है I

तो हे संतों , इस कथित खबर को पढ़ कर अपुन का मन चकित हो गया और अपुन को याद आ गया वह वाकया जब अपुन कुछ इससे मिलते जुलते किस्से से व्यथित हो गए थे I

बात है सन 1985 के अंतिम महीने की अंतिम तारीख की ,अर्थात 31 दिसंबर 1985 की I मैं वायुसेना स्टेशन बैरकपुर ( पश्चिम बंगाल ) में था I शादी नहीं हुई थी ,अतः बलमा सिपहैय्या की स्थिति को प्राप्त नहीं हुआ था ,और सिर्फ बांका सिपहैय्या – गबरू सिपहैय्या की स्थिति का लाभ ले रहा था I

हुआ यूँ कि जब देश के सवा सौ करोड़ देशवासी नए वर्ष की पूर्व संध्या की तैयारियों में व्यस्त थे तो आपका यह खाकसार बांका सिपहैय्या स्टेशन के फायर सेक्शन में गार्ड ड्यूटी पर तैनात थे ,ताकि सवा सौ करोड़ देशवासी तसल्ली से बेफिक्र –बेख़ौफ़ हो जश्न मना सकें और दुश्मन देश ( जैसे –चीन और पाकिस्तान ) इसमें बाधा न डाल सकें I

शाम का समय था , मैं रायफल कंधे पर लटकाए फायर सेक्शन के इर्द गिर्द अत्यंत ही सतर्कता से घूम रहा था I तभी मेरी सतर्क नजर पड़ी फायर सेक्शन के पिछवाड़े में लगे पपीते के दो पेड़ों पर ,जिन पर कुछ पपीते लगे थे I मेरी पारखी नज़रों ने तुरंत ताड़ लिया कि इनमे से दो पपीते पके हुए हैं और हर विधि से भक्षण किये जाने योग्य हैं I अपना ट्रेनिंग मैनुअल , सिक्युरिटी एसओपी मुझे कंठस्थ था , धर्मशास्त्रों का भी उचित ज्ञान था ही I कहीं ऐसा नहीं लिखा था कि गार्ड ड्यूटी के दौरान पपीता नहीं खा सकता I ऐसा विचार कर मैंने पपीता तोड़ने का दृढ निश्चय किया और इस हेतु जुगाड़ ढूँढने लगा ( यथा – सीढ़ी ,डंडा आदि ) I

काफी प्रयासों के बाद भी कोई जुगाड़ न मिलने के कारण मैं हताश हो “ पपीते खट्टे हैं “ की घोषणा करने ही वाला था ,तभी मुझे याद आया मेरे पास जो रायफल है ,उसका प्रयोग किया जा सकता है I मैंने रायफल कंधे से उतारी और पपीता तोड़ने का प्रयास किया I पेड़ थोडा ऊँचा था ,रायफल की नाल वांछित स्थान तक पहुँच नहीं पा रही थी I तो मैंने पूरी शक्ति लगा कर रायफल को पपीतों की तरफ उछाल दिया I

रायफल पपीतों से टकराई , और एक पपीते को अपने साथ लेते हुए धराशायी हो गयी ,क्योंकि मैं पपीता कैच करने के प्रयास में रायफल कैच करना भूल गया I द्वितीय विश्वयुद्ध के जमाने की रायफल थी , जमीन पर गिरते ही उसका बोल्ट , बट प्लेट और नाल का एक हिस्सा विभक्त हो गया I इस कारण अच्छा ख़ासा मीठा पपीता भी मुझे स्वादहीन लगने लगा और नववर्ष मेरे लिए खैरियत युक्त कैसे हो ? मैं इस प्रश्न पर विचार करने में लग गया ,क्योंकि रायफल के विभक्त पुर्जे मुझसे जोड़े नहीं जुड़ रहे थे I

अगले दिन सुबह , फायर सेक्शन के प्रभारी ने आते ही पेड़ पर लगे पपीतों को गिना ( मुझे यह ज्ञान नहीं था कि वह रोज इन्हें गिनता है ) और एक पपीता कम होने के कारण सभी को पर्याप्त मात्रा में गालियाँ दी I शक्ल सूरत से सबसे मासूम होने के कारण मुझ पर शक करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी I

खैर , आसमान से लटका तो खजूर पर लटका की स्थिति मेरा इन्तजार कर रही थी I आर्मरी में रायफल जमा कराते समय मेरी मासूम शक्ल किसी काम न आई , और मिसहैंडलिंग द वेपन के गुनाह की सजा के रूप में मुझे तीन अतिरिक्त गार्ड ड्यूटी दी गयीं I कसम से .. अगली किसी ड्यूटी में मैंने कभी किसी पेड़ पर लगे फल तो क्या , झाड़ी में लगे बेरों की तरफ भी गलत नजर उठा कर देखा हो I

नोट – पुरानी यादें इस लिए लिख रहा हूँ कि यदि कोई उस बेचारे सेब के पहरेदार सिपाही को जानता हो तो बता दे कि खुद सेब खाने की कोशिश न करे, DIG साहब ने गिन रखे हैं l

विशेष नोट – यहाँ इस पोस्ट को पढने के बाद मेरे कुछ वायुसैनिक मित्र नाना प्रकार के लांछन मुझ पर लगायेंगे , ये सभी वे आलसी लोग हैं जो कई बार गार्ड ड्यूटी पर सोते हुए पकडे गए हैं I अतः आप इनकी बातों में न आना ,सिर्फ मेरी मासूमियत के झांसे में आना जी l

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES