Saturday, September 7, 2024
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3000 महिला सदस्यों के रूद्र एग्रो में लता नौटियाल का पिस्यूँ लूण

(प्रेम पंचोली)

लत्ता को यदि हम हिंदी भावार्थ में समझने का प्रयास करेंगे तो अप्सरा या आकाशीय अप्सरा ही होगा। ऐसा ही महिला उधमिता के क्षेत्र में लता नौटियाल ने करके दिखाया है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के देवलसारी गांव निवासी लता नौटियाल ने ऐसा कभी सोचा नहीं था कि वे कभी “पीसियू लूण“ जैसे उत्पाद से पहचानी जायेगी। हुआ यूं कि लता जब साल 2009 में ब्याह करके अपने पति के साथ देहरादून आई तो शहर की चकाचौंध उसे बार बार चिढ़ाती रही। पर लता ने तो कसम खा ली थी कि वह कुछ अलग करके दिखायेगी। उच्च शिक्षित लता ने कभी नौकरी के लिए कोई फार्म नहीं भरा सीधे महिलाओं के अत्मनिर्भरता के लिए कार्य करने की ठान ली।

बता दें कि पति नरेश नौटियाल जब सुबह घर से निकलते थे तो सांयकालीन ही घर पर वापस पहुंचते थे। इस दिनभर के खालीपन को लता नौटियाल भरना चाहती थी, सो उसने कुछ दिनों बाद यह चर्चा अपने पति नरेश से कर डाली कि वह अपने पूरे दिन को खाली नही जाने देगी, ऐसा वह क्या करे जो उन्हें और अन्य उनके गांव की महिलाओं को घर पर ही स्वरोजगार प्राप्त हो जाए। फलतः लता नौटियाल के पति नरेश नौटियाल भी पहाड़ी उत्पादों को बाजार का रूप दे रहे थे। अर्थात यह कोई आज से 15 साल पहले की बात होगी। दोनो ने मिलकर तय किया कि लता घर पर शील में नमक पीसकर जिसमे पहाड़ी हरा धनिया, पोदिना, जीरा और अन्य जड़ी बूटी मिलाकर “पहाड़ी पीसियु लूण, नाल बड़ी“ आदि उत्पाद बनाएगी और नरेश इन उत्पादों को बाजार में उपलब्ध करवाएगा, सच में हुआ ऐसा ही।

इस तरह लता के इस कार्य ने बाजार में भी मांग बढ़ा दी। जहां जहां नरेश पहाड़ी उत्पादों का स्टाल लगाता था वहां वहां ‘नाल बड़ी‘ और पहाड़ी पीसियु लूण की मांग तेज होने लगी। इस कार्य को विस्तार देने के लिए लता ने अपने गांव और आसपास के गांव की अन्य महिलाओं से संपर्क साधा कि वे उसे पहाड़ी पिस्यूँ लूण और नाल बड़ी बनाकर दे दें। जिसे वे बाजार में बेचेगी। इसके एवज में उन्हें घर बैठे ही रोजगार मिल जायेगा।

इसके लिए लता ने अपने पति नरेश के साथ मिलकर “रुद्र एग्रो स्वायत सहकारिता“ का गठन किया है। इस सहकारिता के साथ अपने गांव और आसपास के अन्य गांव की महिला स्वयं सहायता समूह को सदस्य बनाया गया है। इस तरह से लता के साथ मौजूदा वक्त 3000 महिला सदस्य है। जिनके उत्पाद रुद्रा एग्रो स्वायत सहकारिता खरीदता है और इसी सहकारिता के माध्यम से लता देशभर में इन उत्पादों को बेचती है।

दिलचस्प यह है कि लता नौटियाल सरकारी एवम गैर सरकारी आयोजनों में स्टाल अथवा प्रदर्शनी लगाती है जहां लता नौटियाल द्वारा निर्मित ब्रांड “पहाड़ी पिसियू लूण व नाल बड़ी“ भारी मात्रा में बिकती है। लता नौटियाल बताती है कि उनके साथ जुड़ी प्रत्येक महिला प्रति माह पांच हजार से सात हजार रूपए घर बैठे कमाती है। वाह यह भी बताती है कि इस काम को महिलाएं अपने लिए तब तब करती है जब जब उनके पास समय बचता है।

काबिलेगौर तो यह है कि लता नौटियाल ने यमुनाघाटी में महिला उधमिता को लेकर एक मिशाल कायम की है। उन्हे देखते देखते अन्य युवतियां भी अब इस तरह का स्वरोजगार करने लग गई है। खास बात यह है कि एक तरफ उनके छोटे छोटे बच्चों का लालन पालन और दूसरी तरफ इस तरह का कार्य। बशर्ते लता नौटियाल इन दोनो कार्यों में समन्वय बनाने में सफलता की सीढ़ियां चूम रही है। वह आगे बताती है कि उनके पति के पहाड़ी उत्पादों के कार्यो के साथ साथ लता नौटियाल द्वारा तैयार उत्पाद पूरक हो रहे है। अब तो यह दोनो दंपति पहाड़ी उत्पादों से स्वरोजगार पैदा करने वाले जैसे नाम से पहचाने जाने लगे है। यही वजह है कि लता को उत्तराखंड सरकार ने “तीलू रौतेली“ जैसे राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा है। महिला उधमिता को एक ऊंचाई देने के लिए लता नौटियाल को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अनेकों बार सम्मानित किया है।

उल्लेखनीय यह है कि लता नौटियाल इन उत्पादों को बाजार तक पहुंचने के लिए विभिन्न दुकानों व प्रदशर्नीयों के माध्यम से 80 से ज्यादा पहाडी दालो, मसालो, हाथ से बनी नाल बडियाँ, सिलबट्टे का पीसा नमक (पिसीयु लूण), अखरोट, राजमा, लाल चावल, झंगोरा, मडुवा आदि उत्पादो को बेचने का कार्य किया जा रहा है।

लता नौटियाल से जुड़ी महिलाए अब नगदी फसलों यानी मोटे अनाजों का पुनः उत्पादन कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। इस तरह से लता के प्रयासों से रुद्रा एग्रो संस्थान से जुड़ी महिला किसानों की आय दुगुनी हो रही है। परिणाम स्वरूप इसके लता नौटियाल अपने ब्रांड पिसीयू लूण, नाल बड़ी सहित मोटे अनाजों को देश के अलग अलग महानगरों मुम्बई, दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला प्रगति मैदान, जयपुर, सूरत, शिमला, विश्व प्रसिद्ध दशहरा मेला कूल्लू, शिवरात्रि मेला मन्डी, अहमदाबाद, बरेली, इलाहाबाद व उत्तराखण्ड के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनी के माध्यम से बेचने का भरसक प्रयास करती है। लता नौटियाल की सफलता को देखकर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली मे उन्हें वर्ष 2021 में ‘नारी शक्ति सम्मान व स्वर्ण पदक‘ से भी नवाजा गया है। जबकि लता नौटियाल रवांई घाटी के पकवानो का भी अब खूब प्रचार प्रसार कर रही है। देहरादून में कई अवसरों पर लता ने अपनी रसोई सजाकर लोगो को रवांई के पकवानों का भी स्वाद चखाया है। इसीलिए दूरदर्शन उत्तराखंड ने लता नौटियाल की रवांई रेसिपी पर एक विशेष एपिसोड प्रसारित किया है।

 

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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