Sunday, September 8, 2024
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“कण्वाश्रम से मालन नदी उद्गम ट्रैक ऑफ़ द ईयर -2023” घोषित। 08 नवम्बर को शुरू होगी पहली ट्रैकिंग।

 कोटद्वार (हि. डिस्कवर)

उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् स्तर से जनपद पौड़ी गढ़वाल में चौकिघाट (वर्तमान कण्वाश्रम) से लेकर मालन नदी उद्गम क्षेत्र मलनियाँ (चंडा) में ट्रैक ऑफ द ईयर 08 नवम्बर 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। 08 नवम्बर 2023 को ट्रैकर्स की पहली टीम को स्थानीय विधायक व विधान सभा अध्यक्षा श्रीमति ऋतु खंडूरी कण्वाश्रम से फ्लैग ऑफ़ कर रवाना करेंगी। ट्रैक ऑफ़ द ईयर घोषित होने के बाद से पूरी मालन घाटी के दर्जनों गाँव में ख़ुशी की लहर है। चौकिघाट (वर्तमान कण्वाश्रम) से लेकर मालन नदी उद्गम क्षेत्र मलनियाँ (चंडा) में ट्रैक ऑफ द ईयर-2023 घोषित होने पर वरिष्ठ पत्रकार व बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थान के अध्यक्ष मनोज इष्टवाल ने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक विंग) कर्नल अश्विनी पुंडीर से भेंट कर उन्हें पुष्पगुच्छ देकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विभागीय मंत्री सतपाल महाराज, सचिव सचिन कुर्वे व उनके प्रति आभार व्यक्त किया है।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक विंग) कर्नल अश्विनी पुंडीर ने जानकारी देते हुए बताया है कि पर्यटन अधिकारी पौड़ी प्रकाश सिंह खत्री की देख-रेख व बेबेरी टूर ऑपरेटर के टीम लीडर कर्नल आशीष के नेतृत्व में कण्वाश्रम से मालन नदी उदगम ट्रैक के लिए रवाना किया जायेगा। उन्होंने आशा जताई है कि विश्व की विभिन्न चोटियों को फतह करने वाले पौड़ी जनपद के जिलाधिकारी आशीष चौहान जी के भी इस ट्रैक में जुड़ने की प्रबल संभावना है।

कर्नल अश्विनी पुंडीर ने कहा कि ट्रैक ऑफ द ईयर में ट्रैकिंग टूर ऑपरेटर द्वारा लाये जाने वाले ट्रैकिंग दल, जो कि 10 से 20 व्यक्तियों का हो, को ट्रैकिंग के प्रारम्भ स्थल / Road Head पर आयोजन के संबंध में बैनर लगाकर दल की फोटोग्राफ के साथ प्रमाणित सूची मुख्यालय को उपलब्ध करना होगा।

उन्होंने बताया कि “ट्रैक ऑफ द ईयर” में सम्मिलित होने वाले प्रतिभागियों के लिये टी-शर्ट व कैंप जिसमें विभागीय Logo भी प्रदर्शित हो, जोकि अधिकतम 300 टी-शर्ट व कैप न्यूनतम दर पर नियमानुसार व्यवस्था जिला पर्यटन विकास अधिकारी के स्तर से तैयार करवायी जायेगी जिसका व्ययभार पर्यटन मुख्यालय से यथा ससमय उपलब्ध कराया जायेगा।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक विंग) कर्नल अश्विनी पुंडीर ने बताया कि प्रथम 300 ट्रैकर्स हेतु रू0 1,000/- (रू० एक हजार मात्र) अनुवृत्ति (subsidy) की व्यवस्था भी की गयी है. जिसका चयन प्रथम आवत प्रथम पावत के आधार पर किया जाना है।

उन्होने कहा कि अनुवृत्ति (subsidy) प्रदान किये जाने हेतु ट्रैवल एजेन्सी के द्वारा आरक्षित किये गये ट्रैकर्स की सूची आपको उपलब्ध करायी जायेगी। आप यह सुनिश्चित करेगें कि अनुवृत्ति (subsidy) की धनराशि सम्बन्धित ट्रैकर्स को प्राप्त हो गयी है। जिसके उपरान्त ही आपकी संस्तुति के आधार पर यू०टी०डी०बी० द्वारा प्रतिव्यक्ति की अनुवृत्ति प्रदान की जायेगी।

कर्नल पुंडीर ने कहा कि जिला प्रशासन के साथ दल की सुरक्षा व स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यों के लिये हेतु समन्वय करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के लिए विभागीय स्तर पर निर्देशित किया जा चुका है।

बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थान के अध्यक्ष मनोज इष्टवाल ने उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा लिए गये इस फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वैदिक कालीन हस्तिनापुर नरेश राजा दुष्यंत व ऋषि विश्वामित्र व स्वर्ग अप्सरा मेनका पुत्री कण्व ऋषि की दत्तक पुत्री शकुंतला से जन्में चक्रवर्ती राजा भरत जिनके नाम से देश का नाम भारत बर्ष पड़ा, उस पर उत्तराखंड सरकार ने ट्रैक ऑफ़ द ईयर की घोषणा कर एक सार्थक पहल की है। इस पहल से यहाँ सिर्फ़ ट्रैकर्स ही नहीं बल्कि रिसर्च फेलो आकर भी उन स्थानों को चिन्हित करेंगे जो वैदिक कालीन समय में कण्वाश्रम के इर्द गिर्द व्याप्त लोक समाज व लोक संस्कृति में विदमान रहे होंगे। उन्होंने कहा कि किंवदंतियों में यहाँ विश्वामित्र गुफा, मेनका का निवास स्थल, शकुंतला का जन्म स्थल, दुष्यंत शकुंतला का गंदर्व विवाह स्थल, भरत का जन्मस्थल इत्यादि कई स्थान आज भी बर्णित है। उन्हें कुरेदने का अब समय आ गया है कि हम कण्व घाटी के इतिहास को उजागर के देश दुनिया के समक्ष रखें। यह पहल कारगर तब साबित होगी जब स्थानीय ग्रामीण इसे व्यवसायिक दृष्टिकोण के साथ निजी जीवन में भी उतारेंगे।

बहरहाल 08 नवम्बर 2023 से शुरू होने वाली यह ट्रैकिंग लगभग तीन माह तक बदस्तूर जारी रहेगी। जिसमें पर्यटन विभाग से रजिस्टर्ड ट्रैकर्स व पर्सनल ट्रैकर्स अपने ग्रुप लेकर जा सकेंगे। टीम आठ नवंबर को कण्वाश्रम से लाल पुल दोबाटा- ईडा छंछाडी – मरणखेत (मथाणा)- महेड़ा होकर मांडई किमसेरा पहुंचेगी। जहाँ रात्रि विश्राम के बाद अगली सुबह मालन नदी उदगम के लिए निकलेगी।

 

 

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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