देहरादून (हिमालयन डिस्कवर)
क्या हम जानते हैं कि सम्पूर्ण भारत बर्ष में साइबर ठगी के 10 लाख से अधिक मामले व अकेले उत्तराखंड में 14 हजार मामले दर्ज हैं? उत्तराखंड में ऐसे 50 मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे हैं। पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार ने दून विश्वविद्यालय में वार्ता द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक उत्सव में यह जानकारी साझा करते हुए साइबर क्राइम पर अपने विचारों को रखा। वार्ता द्वारा उन्हें उनकी चर्चित पुस्तक “साइबर एनकाउंटर्स”.. Cops Adventures with Online Criminals पर एक बिशेष सेशन रखा हुआ था ताकि साइबर क्राइम संबंधी जानकारियां विभिन्न विश्वविद्यालय से आये युवा छात्र-छात्राओं से साझा कर उन्हें आने वाले ऐसे कई खतरों से सावधान कर सकें।
महानिदेशक अशोक कुमार ने देहरादून में हनी ट्रैप सहित कई विभिन्न साइबर ठगी के मामलों को उदृत करते हुए कहा कि इंग्लैंड में बैठी साइबर ठग ने हनी ट्रैप में फंसाकर 97 लाख रूपये की ठगी कर डाली। यह ठगी इस तरह की गई कि एयरपोर्ट पर कस्टम ने उनका करोड़ों डॉलर को रोक रखा है, उससे निबटने के लिए लाखों रूपये लोभ से वशीभूत होकर ठगे गये। उन्होंने पिथौरागढ़ के एक एल आई सी से सेवानिवृत्त व्यक्ति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें बिना पहचान के एक vedio call आती है जिसमें अश्लील वीडिओ चैट के माध्यम से उन्हें फंसा लिया जाता है, उनकी फोटो सार्वजनिक करने के नाम पर उनकी जिंदगी भर की कमाई 45 लाख ठग लिये जाते हैं और जब वह कंगाल हो जाते हैं तब किसी सेवानिवृत्त आई ए एस के माध्यम से मुझ तक यह जानकारी साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरण आये दिन हो रहे हैं, जिनमें बहुत कम प्रकरण ही पुलिस तक पहुँच पाते हैं बाकी अधिकत्तर शर्म लाज के डर से लोग सार्वजनिक नहीं कर पाते और यूँही अपनी जमापूंजी ऐसे साइबर ठगों के जाल में फंसकर लुटा देते हैं। उन्होंने कहा युवा जनरेशन को ऐसे ठगों से बचने की आवश्यकता है।
उन्होंने एक प्रकरण हल्द्वानी की एक लड़की का साझा करते हुए बताया कि ऐसे ही फोन व वीडिओ कॉल से लड़की को ब्लैकमेल करने का प्रकरण सामने आया कि लड़की से कहा गया कि वह उसे ब्लैकमेल करना छोड़ देंगे वह अपनी नंगी तस्वीर साझा करे। लड़की समाज के डर से अपनी न्यूड फोटो साझा कर दी। अब लड़की ही नहीं बल्कि उसके माँ बाप को भी उन्होंने लड़की की नंगी तस्वीर से ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया।
डी जी पी अशोक कुमार बताते हैं कि साइबर क्राइम के विभिन्न माध्यमों से ये लोग हजारों करोड़ रूपये का अवैध कारोबार कर रहे हैं और इस ठगी के हर वर्ग के लोग शिकार हो रहे हैं। साइबर ठग कभी लॉटरी का झांसा देते हैं तो कभी पैसे दुगना करने का व आपसे बहुत आसानी से आपको आपके खाते का OTP व पासवर्ड अर्जित कर लेते हैं, क्योंकि हम जांच नहीं पाते कि क्या असली हैं और क्या नकली। इसलिए अगर हम साइबर वर्ल्ड में यह सोच लें कि हम पूरी तरह सुरक्षित हैं तो यह सोचना गलत होगा आपकी फोटोज व प्राइवेसी सोशल साइट के किसी भी प्लेटफार्म पर सुरक्षित नहीं हैं। आपका फोटो व सभी दस्तावेज इस साइबर ठगी की दुनिया में एक डॉलर में ब्लैक मार्किट में आसानी से बिक रहा है। और तो और अब आपकी वॉइस क्लोनिंग होनी शुरू हो गई है। आप व आपके परिवार के किसी भी व्यक्ति की आवाज निकालकर आपसे कहा जा सकता है कि आपकी पत्नी का एक्सीडेंट हो गया है, आपके बेटे का अपहरण हो गया है। ऐसे में हमें घबराना नहीं है बल्कि सब्र के साथ पहले उनसे उनके नंबर पर घर पर अन्य के नंबर पर फोन करके यथास्थिति परख लेनी चाहिए।
उन्होंने वार्ता की साइड हैक होने जैसी बात रखी तो जबाब में वार्ता की उपासना ने जानकारी दी कि वह स्वयं इंजीनियर हैं और सोचती हैं भला उनके सिग्नेचर कैसे कोई और उनकी साइट पर जाकर छेडछाड कर सकता है जिससे उनके सिग्नेचर जिससे उनकी साइट खुलती है वह खुल नहीं पाता। उनका जबाब देते हुए डी जी पी अशोक कुमार ने कहा कि इस साइबर क्राइम की दुनिया में कोई भी सुरक्षित नहीं है। ठग हमारी हल्की सी गलती से हमें नुक्सान पहुंचा सकते हैं इसलिए हमें चौकन्ना रहकर यह तय करना होगा कि हमें अपनी साइट पर कोई भी बिना पहचान की मेल नहीं खोलनी है। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ज्यादात्तर ठगी ऐसे ही होती हैं कि जैसे ही आपने बिना पहचान वाले की भेजी मेल अपने कंप्यूटर या किसी भी सिस्टम में खोली आपकी साइट हैक हो जाती है व उसमें कई वायरस डाल दिए जाते हैं। जिसे ठीक करने के लिए आपको इन्हीं साइबर ठगों के चंगुल में आकर अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए एक हजार से दो हजार डॉलर पे करने पड़ते हैं। सच कहें तो साईक्लोजिकली साइबर की online दुनिया में 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा गलती किसी से भी हो सकती इसलिए बच्चों को चाहिए कि जब ऐसे प्रकरण सामने आये तो उन्हें डरना नहीं चाहिए बल्कि अपने पैरेंट्स से बातें साझा कर लेनी चाहिए।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इस सवाल कि क्या वे स्वयं भी कभी साइबर ठगी के शिकार हुए हैं? ने बताया कि साइबर ठगी तो नहीं कह सकते लेकिन उनकी फोटो से फेक आईडी बनाकर एक मेवात के ठग ने 10 -20 लोगों से पैसे मांगे जिसे उत्तराखंड पुलिस विशाखापट्टनम से गिरफ्तार करके लाई। उन्होंने कहा हमें सतर्कता स्वयं भी बरतनी होगी। उन्होंने बताया कि यदि आप देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो आप साइबर क्राइम सेल जैसे एन सी आर पी कहते हैं के नंबर 1930 में अपनी कंप्लेंट दर्ज करवा सकते हैं।
ज्ञात हो कि डी जी पी अशोक कुमार अब तक चार किताबें लिख चुके हैं व उनकी लिखी पुस्तक “साइबर एनकाउंटर्स” (Cuber Encounters.. Cops Adventure with online Criminals) देश भर में चर्चाओ में है। आप अगर साइबर क्राइम संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां लेनी हों तो आप देहरादून स्थित अस्ले हॉल के बुक वर्ल्ड प्रकाशन से यह पुस्तक खरीद सकते हैं।
इस दौरान उनसे युवाओं ने साइबर क्राइम संबंधी कर प्रश्न पूछे जिन पर डी जी पी अशोक कुमार ने विस्तृत जानकारी के साथ साथ ऐसे अपराधों से निबटने के महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। सुनिए साइबर क्राइम पर क्या बोले डी जी पी अशोक कुमार :-