◆ ऋतु खंडूड़ी का राजनीतिक भविष्य दांव पर।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से)।
भाजपा ने कांग्रेस की प्रदेश महिला अध्यक्ष सरिता आर्य को दो दिन पहले पार्टी में लिया और महज दो दिन में ही उन्हें नैनीताल से पार्टी उम्मीदवार बना दिया। दुर्गेश लाल को दो घंटे पहले पार्टी में लिया और उसे भी टिकट दे दी। लेकिन अपनी पार्टी की प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को टिकट नहीं दिया। यह सही है कि वो विधायक के तौर असफल साबित हुई। यमकेश्वर से हार जाती। उनके खिलाफ क्षेत्र में जबरदस्त विरोध है लेकिन सच यह भी है कि हार तो लैंसीडाउन, चौबट्टाखाल, श्रीनगर और कोटद्वार भी रही है भाजपा। तो क्या सब प्रत्याशी बदले? महंत और सतपाल महाराज के खिलाफ क्षेत्र के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। धन सिंह रावत को तो लोगों ने कई बार भगा दिया। फिर इनको टिकट क्यों दिया?
भाजपा की प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को टिकट न देने के पीछे जनरल खंडूड़ी समर्थक मानते हैं कि जिन नेताओं की खंडूड़ी के समय नहीं चली, वो उनका बदला उनकी बेटी से ले रहे हैं। इसके पीछे भाजपा की कुमाऊं लाबी है। जो नहीं चाहती कि अब पार्टी में खंडूड़ी का वजूद रहे। उनका तर्क है कि जनरल खंडूड़ी अकड़ू किस्म के नेता थे और उन्होंने कई नेताओं की दाल नहीं गलने दी। उनके खिलाफ चार पूर्व मुख्यमंत्री जिनमें भगत कोश्यारी, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी लगातार सक्रिय रहे हैं। ये नहीं चाहते थे कि जनरल खंडूड़ी सीएम बने। तब उनकी नहीं चली लेकिन अब चल रही है तो ऋतु को निशाना बनाया जा रहा है। उधर, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बहाना बनाया कि उनको पूरे प्रदेश में प्रचार के लिए भेजा जाएगा। यदि ऐसा है तो सीएम धामी या प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था। ऋतु से बड़े नेता और प्रचारक तो ये दोनों हैं। त्याग की उम्मीद ऋतु से ही क्यों?
यह मामला मीडिया ने उछाला और इसकी शिकायत पार्टी हाईकमान तक पहुंच गयी है। इसके बाद पार्टी के नेता अब इस डेंट को ढकने का प्रयास कर रहे हैं। हो सकता है कि दूसरी लिस्ट में उनको दावेदार बना दिया जाएं। 11 सीटों में से अब एक विधान सभा सीट पर ऋतु खंडूरी की टिकट पक्की हो सकती है, ऐसी कय्यासबाजी भी जोरों पर है।