ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
(विश्व पर्यटन दिवस विशेष )
आज विश्व पर्यटन दिवस है। उत्तराखंड में पर्यटन सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है। कोरोना की वजह से पर्यटन व्यवसाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 6 महीने के बाद पर्यटको को उत्तराखंड में आने के लिए छूट दी गई है। जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े युवाओं को उम्मीद है कि आने वाले विंटर सीजन तक एक बार फिर से पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौट आयेगा। चमोली जनपद पर्यटन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। धार्मिक पर्यटन से लेकर साहसिक पर्यटन के लिए हर साल लाखों पर्यटक यहाँ पहुंचते है। पर्यटन दिवस पर बात चमोली के उन युवाओं की जिन्होंने चमोली में पर्यटन को नयी पहचान दिलाई और रोजगार के अवसर भी सृजित किये।
विमल मलासी!
चमोली के श्रीकोट (मायापुर) निवासी विमल मलासी चेज हिमालय के सीईओ हैं। ये विगत 10 सालों से ट्रैकिंग के जरिए पर्यटकों को चमोली ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटक स्थलों तुंगनाथ, रूद्रनाथ, संतोपथ, क्वारीपास, सप्तकुंड, वेदनी- आली बुग्याल, रूपकुण्ड, बंडीधूरा का भ्रमण करा रहे हैं। चेज हिमालय के बैनर तले इन्होंने प्रशिक्षु आईएएस और आईएफएस अधिकारियों के दल को भी चमोली के पर्यटन स्थलों की सैर कराई। विमल नें 10 सालों में न केवल चमोली के पर्यटन स्थलों और गुमनाम पर्यटक स्थलों को देश दुनिया में नयी पहचान दिलाई अपितु अपनें पहाड़ में रहकर रोजगार के अवसर भी सृजित किये।
विमल मलासी– 7579258163
राहुल मेहता!
बैकुंठ धाम बद्रीनाथ और पांडुकेशर के निवासी राहुल मेहता माउंटेन ट्रैक्स के सीईओ हैं। चमोली के पहाड़ियों में घूमने के शौकीन हैं। ये भी ट्रैकिंग के जरिए पर्यटकों को जनपद चमोली के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित बुग्यालो, तालों और पहाडियों की सैर कराते हैं। पहाड़ की हांफने वाली चढाई ये मिनटों में तय कर जातें हैं।
राहुल मेहता– 8979848033
हीरा सिंह गढ़वाली।
हिमालय का अनमोल हीरा और गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली विगत 10 सालों से पर्यटकों को रूपकुण्ड, वेदनी ऑली बुग्याल, ब्रहमताल, भेंकल ताल, बगजी नागडी बुग्याल ट्रैक सहित विभिन्न ट्रैकिंग रूटों पर पर्यटकों को ट्रैकिंग कराते हैं।
हीरा सिंह गढ़वाली– 9756480219
सोहन बिष्ट!
विगत 18 सालों से स्नोलाइन ट्रैकर्स के जरिए चमोली में पर्यटन को नयी दिशा दे रहे जोशीमठ के सोहन बिष्ट नें चमोली के हर पर्यटक स्थल की खाक छानी और पर्यटकों को वहां तक पहुंचाया। फूलों की घाटी से लेकर संतोपथ, द्रोणागिरी से लेकर नीती तक हर जगह पर्यटन को बढ़ावा दिलाया। यही नहीं सोहन बिष्ट नें अपनी बेहतरीन फोटोग्राफी से पर्यटन स्थलों को नयी पहचान भी दिलाई।
सोहन बिष्ट– 9410365281
मनीष नेगी!
देवभूमि एडवेंचर एंड ट्रैकर्स के सीईओ मनीष नेगी भी विगत 10 सालों से पहाड़ की डांडी कांठी और बुग्यालों- तालों में पर्यटकों को घुमा रहें हैं और रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगा रहें हैं। सप्तकुंड की हांफने वाली चढाई हो या फिर रूद्रनाथ के मखमली घास के बुग्याल इन्हें हर चुनौती का सामना करना पसंद है।
मनीष नेगी–9012732281
पर्यटन से छोटे से लेकर बढ़े स्तर तक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। पर्यटन से हमारे देश में 8.1 फीसदी रोजगार मिल रहा है। वर्ष 2018 में देश की अर्थव्यवस्था में 9.2 फिसदी योगदान पर्यटन का रहा। हालांकि इस बार कोरोना के चलते पर्यटन में गिरावट दर्ज हुई है। अब सरकार द्वारा पर्यटकों के उत्तराखंड में आनें के लिए कुछ रियायत देने से जरूर उम्मीद जगी है कि एक बार फिर से पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौट आयेगा।
वास्तव में देखा जाए तो चमोली के इन पांच युवाओं नें दिखा दिया की यदि पहाड़ जैसे बुलंद हौंसले हो तो जरूर वीरान पहाडों में भी रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकते हैं। हमें इनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। अगर आप भी चमोली के पर्यटन स्थलों का दीदार करना चाहते हैं तो जरूर इन पांच युवाओं के संग ट्रैकिंग कीजियेगा।
चमोली जनपद में पर्यटन की असीमित संभावनाएं, कई गुमनाम पर्यटक स्थल आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर आइये विश्व पर्यटन दिवस पर जानते हैं एक बार फिर से ऐसे गुमनाम पर्यटक स्थलों के बारे में।
1–
दुर्मी ताल!
दुर्मी ताल के पुनर्निर्माण से चमोली में पर्यटन को मिलेगा बढावा और रोजगार के अवसर होंगे सृजित..
चमोली जनपद की निजमुला घाटी में मौजूद विशाल दुर्मी ताल 20 जुलाई 1970 को भारी भूस्खलन और बारिश की वजह से टूट भी गया था। अब 50 बरस बाद दुर्मी ताल के पुनर्निर्माण की कोशिशें हो रही है। यदि इस ताल का पुनर्निर्माण किया जाता है तो इससे न केवल जनपद चमोली में पर्यटन को बढावा मिलेगा अपितु रोजगार के अवसर भी सृजित होंगें। ईराणी गांव के ग्राम प्रधान मोहन नेगी का कहना है कि यहां नौकायन और राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स, मत्स्य पालन, लघु जलविद्युत् परियोजना, बतख पालन, फूल उत्पादन के जरिए स्वरोजगार के नयें अवसरों का सृजन होगा। दुर्मी ताल बनने पर पर्यटकों की आमद होंने से स्थानीय लोगों को, होटल मालिको, वाहन स्वामी, होमस्टे संचालकों, हस्तशिल्पियों को भी रोजगार मिल सकेगा। यही नहीं इससे 12 महीने पर्यटन को पंख लगेंगे। वहीं सप्तताल, तड़ाग ताल, लार्ड कर्ज़न रोड, पीपलकोटी-किरूली- पंछूला- गौणा- गौणाडांडा- रामणी ट्रैक को भी बढावा मिलेगा।
2–
बंडीधूरा ट्रैक!– न्यू टूरिज्म डेस्टिनेशन…
दुनिया की नजरों से दूर है प्रकृति की ये अनमोल नेमत। चमोली जनपद के दशोली ब्लाॅक के बंड पट्टी में मौजूद बंडीधूरा बुग्याल अभी भी लोगों के लिए गुमनाम है। जबकि हिमालय को करीब से जानने वालों के लिए बंडीधूरा बुग्याल ट्रैक किसी ऐशगाह से कम नहीं हैं। यहां आकर ऐसा लगता है कि धरती पर अगर कहीं जन्नत है तो वो यहीं हैं। चारों ओर जहां भी नजर दौडाओ हिमालय की गगनचुम्बी हिमाच्छादित चोटियों के दीदार होते हैं। इस ट्रैक पर गांव, बुग्यालों, ताल, पेड़ों, जंगली जानवरों, पक्षियों और पहाड़ की संस्कृति के दीदार होतें हैं। यहां से हिमालय की त्रिशूल लेकर केदारनाथ, चौखंबा, नीलकंठ, कामेट, गौरी पर्वत, हाथी पर्वत, नंदादेवी, नंदा घुघटी, सहित हिमालय की कई पर्वत श्रेणी, औली, गोरसों, सिंबे बुग्याल, नरेला, बालपाटा, रामणी, वेदनी बुग्याल, आली बुग्याल, रूद्रनाथ, चोपता, चिनाप, बंशीनारायण, जैसे मखमली बुग्यालों को देखा जा सकता है। यहां राज्य बृक्ष बुरांस, राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग भी देखने को मिलतें हैं। इसके अलावा हजारों प्रकार के फूल और वनस्पति भी रोमांचित कर देती है।
यहां से एक साथ दिखाई देते हैं पंचकेदारों और पंचबद्री के शिखर!
बंडीधूरा बुग्याल हिमालय में मौजूद एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ से एक साथ पंचकेदारों केदारनाथ, मद्दमहेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर के दीदार होते हैं तो वहीं पंच बदरी के शीर्ष शिखर भी दिखाई देते हैं। यहां से दिखाई देने वाला नंदा घुंघुटी का अलौकिक सौंदर्य हर किसी को आनंदित करता है। जबकि यहाँ से पौडी, लैंसडाउन, कार्तिक स्वामी, चंद्रबदनी सहित दर्जनों शहर और मंदिरों के दर्शन होते हैं। बंडीधूरा बुग्याल के 5 किमी की परिधि में शिलाखर्क, गद्दी खर्क, सहित दर्जनों छोटे छोटे बुग्याल और ताल अव्यवस्थित हैं। चेज हिमालय के सीईओ विमल मलासी कहते हैं कि बंडीधूरा बुग्याल ट्रैक पर्यटकों के लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं है। लेकिन ये सब आज भी देश दुनिया के पर्यटकों की नजरों से दूर है। यदि पर्यटन विभाग बंडीधूरा ट्रैक को उचित प्रचार और प्रसार करें तो हजारों बेरोजगारो के लिए रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। बंडीधूरा ट्रैक को केदारकांठा और ब्रहमताल ट्रैक की तरह विकसित किया जा सकता है। बंडीधूरा उत्तराखंड में एकमात्र ट्रैक है जहां से हिमालय सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखाई देता है। बंडीधूरा से पैराग्लाइडिग, बर्ड वाचिंग,माउंटेनक्लाइबिंग, योगा जैसी गतिविधियों को बढावा मिल सकता है।बंडीधूरा- गोरसों ट्रैक को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है।
3–
सप्तकुंड!– सात झीलों का मनमोहक संसार,
प्राकृतिक खजानों से भरी पड़ी चमोली की निजमुला घाटी में झींझी गांव से 24 किमी की दूरी पर स्थित है झीलों का अलौकिक संसार। सप्तकुंड, सात झीलों या सात कुंडों के समूह को कहते हैं। यहाँ पर ये सभी सात कुंड एक दूसरे से आधे आधे किमी की दूरी पर स्थित है। लगभग 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में मौजूद सात झीलों की मौजूदगी अपने आप में कौतूहल और आश्चर्य का विषय है। सप्तकुंड पहुंचने के लिए एशिया के सबसे कठिन पैदल ट्रैक को पार करना पड़ता है। सप्तकुंड ट्रैक साहसिक ट्रैकिंग के शौकीनो के लिए ऐशगाह से कम नहीं है। इसी ट्रैक पर 124 साल बाद खिला दुर्लभ लिपिरस पैगमई फूल। देवभूमि एडवेंचर एवं ट्रैकर के प्रबंधक और सप्तकुंड ट्रैकिंग कराने वाले युवा मनीष नेगी कहते हैं कि सप्तकुंड में मौजूद सात झीलों में से छः झीलों में पानी बेहद ठंडा जबकि एक झील में पानी गर्म है। लेकिन उचित प्रचार और प्रसार न होने से प्रकृति का ये अनमोल नेमत आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं।
4–
नागाड-बगजी बुग्याल ट्रैक!
जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के पिंडर नदी और कैल नदी के बीच में लगभग 25 किमी का मानमती- चन्याली-सौरीगाड- नागाड- बगजी- दयालखेत- घेस, ट्रैकिंग रूट हिमालय का सबसे खूबसूरत ट्रैक हैं। यह ट्रैकिंग रूट दो जगहों से किया जा सकता है। पहला देवाल की पिंडर घाटी में देवाल से मानमती तक गाडी में फिर वहां से चन्याली- सौरीगाड होते हुए नागाड बुग्याल जहां से बगजी बुग्याल होते हुये दयालखेत और अंत में घेस पहुंचा जा सकता है। जबकि दूसरा रास्ता कैल घाटी में देवाल से घेस तक गाडी में फिर वहां से दयालखेत- बगजी बुग्याल- नागाड- सौरीगाड- चन्याली होते हुए मानमती पहुंचा जा सकता है।
5–
चिनाप फूलों की घाटी!
देश और दुनिया की नजरों से दूर फूलों की जन्नत। 300 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलतें हैं यहां। चमोली के जोशीमठ ब्लाक में स्थित है कुदरत की ये गुमनाम नेमत। जिसका सौन्दर्य इतना अभिभूत कर देने वाला है की देखने वाला इसकी सुन्दरता से हर किसी को ईर्ष्या होने लगे। जोशीमठ ब्लाक के उर्गम घाटी, थैंग घाटी व खीरों घाटी के मध्य हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पर 300 से अधिक प्रजाति के फूल बेपनाह सुन्दरता और खुशबू बिखेरी रहती है। पुराणों में भी इसकी सुन्दरता और खुशबू के बारे में वर्णन है। जिसमे कहा गया है की यहाँ के फूलों की सुंदरता व खुशबू के सामने बद्रीनारायण और गंधमान पर्वत के फूलों की सुन्दरता व खुशबू न के बराबर है। इस घाटी की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर फूलों की सैकड़ों क्यारियां मौजूद है। जो लगभग 5 वर्ग किमी के दायरे में फैली है। हर क्यारी में 200 से लेकर 300 प्रकार के प्रजाति के फूल खिलतें हैं। जिनको देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है की इन कतारनुमा फूलों की क्यारियों को खुद कुदरत ने अपने हाथों से फुरसत में बड़े सलीके से बनाया हो। फूलों की इस जन्नत में कई दुर्लभ प्रजाति के हिमालयी फूल के अलावा बह्मुल्य वनस्पतियाँ व जड़ी बूटियां पाई जाती है। इसके अलावा राज्य पुष्प ब्रह्मकमल की तो तो यहाँ सैकड़ों क्यारियां पाई जाती है जो इसके सुन्दरता में चार चाँद लगा देती है। साथ ही इस घाटी से चारों ओर हिमालय का नयनाभिराम और रोमांचित कर देना वाला दृश्य दिखाई देता है। प्रकृति प्रेमी, अधिवक्ता और गांव के युवा दिलबर सिंह फरस्वाण कहतें हैं की चेनाप फूलों की घाटी को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर जिले के आलाधिकारी से मांग कर चुकें हैं। लेकिन नतीजा सिफर तक ही सिमित रहा। यदि चिनाप फूलों की घाटी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो आने वाले सालों में उत्तराखंड में सबसे अधिक पर्यटक यहाँ का रुख करेंगें। चिनाप फूलों की घाटी के साथ साथ यहाँ पर फुलारा बुग्याल, गणेश मंदिर, सोना शिखर जैसे दर्शनीय स्थलों का दीदार किया जा सकता है। जबकि हेलंग- उर्गम- चेनाप- खीरों- होते हुए हनुमान चट्टी पैदल ट्रेकिंग किया जा सकता है साथ ही बद्रीनाथ तक भी ट्रेकिंग किया जा सकता है। ये ट्रैक पर्वतारोहियों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है।
कोरोना की वजह से पर्यटन व्यवसाय चौपट, अब कुछ राहत की आस..
कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित पर्यटन क्षेत्र हुआ है। पर्यटन कारोबारियों का मानना है कि लॉकडाउन से सबसे अधिक असर उन्हीं पर पड़ा है। पर्यटन व्यवसाय चौपट होंने से जोशीमठ, पीपलकोटी, मायापुर, बद्रीनाथ सहित अन्य जगहों होटल व्यवसायी बेहद मायूस है। यात्रा के दौरान होटलों में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था। विगत 6 महीनों से चारधाम यात्रा के सभी होटल सूने पडे हुए हैं। होटल एसोसिएशन पीपलकोटी के अध्यक्ष अतुल शाह नें बताया की इस साल कोरोना की वजह से छोटे से लेकर बडा होटल व्यवसायी का व्यवसाय कोरोना की भेंट चढ गया है। ऐसे में बैंक से लिये गये ऋण की किस्तें कैसे चुकाये इसकी चिंता उन्हें सता रही है। उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि मार्च 2020 से मार्च 2021 तक सभी होटल व्यवसायी के बिजली के बिल, पानी के बिल और टैक्स माफ किया जाय। इस अवधि के दौरान बैंक की किस्ते जमा न होने पर कोई ब्याज न लिया जाय।
ट्रैकिंग बंद होने से हजारों लोगों का रोजगार छिना।
कोरोना की वजह से ट्रैकिंग बंद होने हजारों लोगों का रोजगार छिना। 6 महीनों से कोरोना की वजह से चमोली में रूपकुण्ड, बेदनी-ऑली बुग्याल, ब्रहमताल, भेंकलताल, बगजी-नागडी बुग्याल ट्रैक, बंडीधूरा बुग्याल ट्रैक, नंदीकुड, बंशीनारायण बुग्याल, फूलों की घाटी, चिनाप घाटी,सप्तकुंड ट्रैकिंग पूरी तरह से बंद रहे। जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गये हैं। दो दिन पहले सरकार द्वारा पर्यटकों को बिना कोरोना रिपोर्ट के उत्तराखंड आनें की छूट प्रदान करने से जरूर अब पर्यटन क्षेत्रों में खासतौर पर ट्रैकिंग के लिए चमोली का रूख करेंगे जिससे लोगों को राहत की उम्मीद दिखाई दे रही है। गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली कहते हैं कि कोरोना की वजह से हमारा पूरे ट्रैकिंग व्यवसाय पिछले छ महीने से चौपट है। हम घर में खाली बेरोजगार बैठे हैं। बमुश्किल से परिवार का गुजारा चल रहा है। अब पर्यटकों को उत्तराखंड में आने के लिए राहत देने पर उम्मीद जगी है कि एक बार फिर से ट्रैकिंग के लिए पर्यटक उत्तराखंड पहुंचेगे।
कोरोना के बाद चार धाम में पहुंचे 35 हजार तीर्थयात्री, 2019 में पहुंचे थे 35 लाख..
माउंटेन ट्रैक्स के सीईओ राहुल मेहता नें कहा की पिछले साल चारों धामों के साथ हेमकुण्ड और फूलों की घाटी में लगभग 35 लाख तीर्थयात्री उत्तराखंड पहुंचे थे। इस बार कोरोना की वजह से चार धाम में अभी तक 35 हजार श्रद्धालु पहुंच चुके हैं जबकि फूलों की घाटी में महज 500 से अधिक पर्यटक अभी तक पहुंचे है जबकि 2019 में बद्रीनाथ धाम में 12.35 लाख, हेमकुण्ड में 2 लाख 80 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं फूलों की घाटी में 16904 भारतीय पर्यटक और 520 विदेशी पर्यटक आये थे जिनसे 27 लाख 60 हजार की आमदनी हुई थी। राहुल कहते हैं कि कोरोना नें पर्यटन की कमर तोड़ दी है। बद्रीनाथ धाम में तुलसी की माला बनाने वालों तक का रोजगार छिन गया। हमनें माउंटेन ट्रैक्स के जरिए कोशिश की ऑनलाइन तुलसी की माला श्रद्धालुओं के नाम से भगवान बद्रीविशाल को चढाई जाय जिससे लोगों को तुलसी की माला के थोडा पैसे मिल सके। कुछ लोगों ने तुलसी की ऑनलाइन माला खरीदी जिसे हमने भगवान बद्रीविशाल को उनके नाम से चढाया। कोरोना काल में मेरे पास कोई भी ट्रैकिंग ग्रुप नहीं आया। अब जरूर कुछ ग्रुप संतोपथ और फूलों की घाटी की बुकिंग आई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले जरूर एक बार फिर से ट्रैकिंग के लिए पर्यटक उत्तराखंड पहुंचेगे।
आपको बताते चले कि उत्तराखंड में मात्र आठ प्रतिशत लोग ही पर्यटन से सीधा फायदा रोजगार के रूप में ले रहे हैं। पलायन आयोग द्वारा विगत दिनों चमोली की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी जिसमें चमोली से रोजगार के लिए पलायन करने वाले लोगों का प्रतिशत 49.30 है। जिसमें से 43% युवा 26- 35 वर्ष की उम्र के हैं। ऐसे में यदि इन युवाओं को अपनें ही घर में रोजगार के अवसर मिलते हैं तो जरूर पलायन पर रोक लग सकेगी। पलायन आयोग ने विगत दिनों चमोली जनपद की अपनी रिपोर्ट में सिफारिश कि है यदि चमोली के पर्यटन स्थलों को विकसित करके इनके प्रचार प्रसार किया जाय तो यहाँ पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। इसके अलावा यहाँ ईको टूरिज्म, साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग, हाइकिंग, राफ्टिंग, वन्य जीव पर्यटन को बढ़ावा देते हुए पर्यटन गतिविधियों को संचालित किया जाता है तो इससे जरूर रोजगार के अवसर बढेंगे और स्थानीय लोगों को आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे। जिले में पर्यटन गतिविधियाँ बढने सेस्थानीय उत्पादों को बाजार भी मिलेगा और यहाँ की पारम्परिक लोकसंस्कृति को बढावा भी मिलेगा।
वास्तव में देखा जाए तो चमोली में पर्यटन की असीमित संभावनाएं हैं यदि यहाँ एक सुनियोजित तरीके से पर्यटक स्थलों को विकसित करके यहाँ पर्यटन की गतिविधियों को संचालित किया जाता है तो ये उत्तराखंड के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यही नहीं इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जो इस सदूरवर्ती इलाके से रोजगार के लिए हो रहे पलायन को रोकने में भी मददगार साबित होगा।