देहरादून (हि. डिस्कवर)।
आम आदमी पार्टी के नेता व आप पार्टी द्वारा आगामी 2022 के उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के नामित चेहरे कर्नल अजय कोठियाल ने बाउंसर फैंका है या फुल टॉस …! लेकिन जो भी फैंका। फैंका बड़ा जबरदस्त है, क्योंकि यह उत्तराखंड की जन भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है व किसी गर्म दूध से कम नहीँ। निगलेंगे तो गला जलेगा और थूकेंगे तो दूध है वाली कहावत परिपक्व होगी।
यह उनकी राजनीतिक पारी की सबसे बेहतर गेंद कही जाती है। यह गेंद न बाउंसर है न फुल टॉस..! यह ठीक वैसी ही यॉर्कर है जो बल्लेबाज को अचंभित कर देती है व बल्लेबाज फैसला नहीं ले पाता कि वह डिफेंस करे या फिर इसे उतनी ही रफ्तार से खेले। इसी असमंजस में अक्सर फुल लेंथ यॉर्कर पर बल्लेबाज बोल्ड आउट हो जाता है।
दरअसल आम आदमी पार्टी के नेता अजय कोठियाल ने एक बयान में कहा है कि अगर सरकार मौका दे तो वह बिना किसी राजनीति या राजनीतिक दल के रानी पोखरी पुल को 48 घण्टे में बना सकते हैं लेकिन साथ ही वह यह भी कह गए कि केदारनाथ में एक वैली पुल के निर्माण के लिए जहां पीडब्ल्यूडी ने 35 दिन मांगे थे वहीं उनकी टीम ने उसे 48 घण्टे में पूरा कर दिया।
आप भी सुनिए क्या कहा कर्नल अजय कोठियाल ने!
उनके इस बयान ने अब न सिर्फ पीडब्लूडी विभाग की नींद हरा कर दी होगी बल्कि पूरे सरकारी तंत्र को भी लाकर कटघरे में खड़ा कर दिया है। ठीक गर्म दूध की तरह।
उन्होने अपनी फेसबुक पोस्ट पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि – 27 अगस्त को देहरादून को पहाड़ों से जोड़ने वाले मोटर मार्ग पर डोईवाला- ऋषिकेश के बीच,जाखन नदी पर बना बड़ा पुल टूट गया…5 दिन हो गए पर अभी तक कोई सलूशन नहीं निकल पाया।
गैर कानूनी तरीके से हो रहे खनन के कारण यह हादसा हुआ है। सर्वे होगा, वैकल्पिक मार्ग बनेगा पानी कम होने के बाद, डीपीआर बनेगी…इस प्रकार की बातें हो रही है। ऐसे शब्द जनता में आशंका पैदा कर रहे हैं।जनता विचलित है… डर रही है।
जनता हमसे भी पूछ रही है कर्नल साहब आप क्यों नहीं कुछ करते, जैसा आप ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के दौरान करा था।
हमारा सरकार को यह सुझाव है…!
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद जब हमने 2014 में केदारनाथ पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया था तो महज 48 घंटे में एक 30 मीटर लंबा बैली ब्रिज लगाया था। यह ब्रिज 11000 फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फ, माइनस तापमान में लगाया गया था। इसको लगाने के लिए सरकारी एजेंसी 35 से 40 दिन बोल रही थी। सरकार हम को काम करने के लिए बुलाए। हम साइलेंट रहकर इस कार्य को तरतीबवार कर देंगे…No Politics….गाड़ियों का movement एकदम शुरू हो जाएगा और जनता का विश्वास भी सरकार पर बढेगा… बस 48 घंटे में।
अगर केदारनाथ आपदा जैसी विपरीत परिस्थितियों में यह कार्य हो सकता है तो देहरादून में तो आसानी से हो जाएगा।
Roller और Counter weight वाली military तकनीक से यह कार्य करा जाएगा…जैसे केदारनाथ में करा था।
उत्तराखंड की जनता के हित में सरकार हमारे इस सुझाव को गहराई से सोचे।
आपदाएं हम नहीं रोक सकते पर आपदा से लड़ने का तरीका हम जरूर बना सकते हैं… हम सब ने मिलकर ऐसा करना है।
( केदारनाथ में ब्रिज बनने के कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रहा हूँ)
Jai Uttrakhand…
बहरहाल अब गेंद सरकार के पाले में है व राजनीतिक चाणक्यो की सोच पर निर्भर कि वे पलटवार करते हैं या खामोशी अख्तियार।