(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान)।
वर्तमान में टिहरी जनपद की एसएसपी के पद पर कार्यरत त्रिप्ति भट्ट को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उनके द्वारा किये गये सराहनीय कार्यों के लिए मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया जायेगा।
कोराना काल में आमजन के लिए ‘मिशन हौंसला’ बना वरदान..।
कोरोना काल की दूसरी लहर में उत्तराखंड पुलिस द्वारा शुरू किये गये ‘मिशन हौंसला’ को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश और विश्व में सराहना मिली और लोगों नें मिशन हौंसला को सैल्यूट किया। ‘मिशन हौंसला’ का नाम टिहरी की एसएसपी त्रिप्ति भट्ट नें ही दिया था। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने चारों ओर दहशत का माहौल बना दिया था। सीमित संसाधनों के बीच सिस्टम कोरोना को मात देने की जुगत में लगा था। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस भी अग्रिम मोर्चे पर डटी रही। व्यवस्था बनाने से लेकर प्रभावितों और जरूरतमंदों की मदद को पुलिस हर समय तैयार खड़ी रही। ‘मिशन हौसला’ के माध्यम से पुलिस कोरोना संक्रमितों की मददगार बनी। मिशन हौंसला के तहत उत्तराखंड पुलिस द्वारा कोरोना काल में हजारों लोगों को हर जरूरी सेवा उपलब्ध कराई, कोरोना संक्रमण व कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त से कदम उठाये, आकस्मिक परिस्थितियों में दवाओं, ऑक्सीजन सिलिंडर की होम डिलीवरी, कोरोना संक्रमित परिवार के लिए भोजन और राशन उपलब्ध कराना, संक्रमित व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने, एंबुलेंस की व्यवस्था कराना सहित विभिन्न कार्य किये। मिशन हौंसला के तहत टिहरी जनपद में ही 5000 से अधिक लोगों की सहायता की गयी।
हेलो टिहरी के जरिए शिकायतों का समाधान।
आईपीएस त्रिप्ति भट्ट नें लोगों तक पुलिस की सुलभ पहुँच तथा संवेदनशील पुलिसिंग स्थापित करने के लिये जनपद टिहरी में ‘हैलो टिहरी’ नामक सराहनीय पहल की शुरुआत की गयी। जिस पर प्रतिदिन दूर-दराज के क्षेत्रों से आने में असमर्थ लोगों द्वारा अपनी गोपनीय शिकायतें, समस्याएं तथा सुझाव साझा किये जाते हैं और प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं का समाधान किया जाता है।
मैकेनिकल इंजीनियर से आईपीएस..।
तृप्ति भट्ट मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद की हैं। शिक्षक परिवार की बेटी से लेकर आईपीएस बनने तक का सफ़र तृप्ति भट्ट के बुलंद होंसलों की कहानी खुद बंया करती है। उन्होंने अपनीं कड़ी मेहनत और लगन से ये मुकाम पाया है। तृप्ति भट्ट ने गोविन्दबल्लब पन्त कृषि विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजिनियर में बीटेक की डिग्री हासिल की। जिसके बाद सरकारी और अर्धसरकारी विभागों में उन्हें 7 जगह से नौकरियों का बुलावा आया। इसमें बंगलुरू स्थित इसरो में साइंटिस्ट की पोस्ट भी थी। परन्तु तृप्ति भट्ट ने नौकरी के लिए नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) में सहायक प्रबंधक का पद चुना।
कड़ी मेहनत और लगन के बूते पहले ही प्रयास 2013 की सिविल सेवा परीक्षा उतीर्ण की और भारतीय पुलिस सेवा के लिए उनका चयन हो गया और उत्तराखंड कैडर मिला। बहुत कम समय में ही तृप्ति भट्ट की पहचान तेज तर्रार पुलिस अफसर के रूप में हो गई थी। त्रिप्ति भट्ट को प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर पहली तैनाती विकासनगर थाने में बतौर एएसपी हुई। जिसके बाद ऋषिकेश फिर एसपी चमोली, कमांडेट एसडीआरएफ के बाद वर्तमान में जनपद टिहरी गढ़वाल में बतौर एसएसपी के पद पर कार्यरत है। त्रिप्ति भट्ट एक बेहतरीन कवयित्री भी हैं वे काफी लंबे समय से लेखन विधा से भी जुडी हुई हैं। छठीं क्लास से ही उन्हें कविताएं लिखने और पढ़ने का शौक था। जिसके बाद उन्होंने थोड़े बड़े होने पर खुद कविताएं लिखना शुरू कर दिया। जिसके चलते आज उनके पास लाखों कविताओं का भंडार है। उनकी पहली कविता संग्रह पुस्तक ‘ख़्वाबों के ख़त’ और अन्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिसे लोगों ने बेहद सराहा।
प्रकृति, सामाजिक सरोकारों और लोकसंस्कृति से है गहरा लगाव!
आईपीएस त्रिप्ति भट्ट की कार्यशैली भले ही निडर और तेज तर्रार हो लेकिन वो उतनी ही संवेदनशील अधिकारी भी हैं। प्रकृति की समझ और उनसे जुड़ाव उनकी बेहतरीन फोटोग्राफ में दिखाई देता है तो सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी और सहभागिता उन्हें सामाजिक सरोकारों से जोडती हैं। जबकि विशेष अवसरों, तीज- त्यौहारों में अपनी लोकसंस्कृति को प्रोत्साहित कराना ये चरितार्थ करता है कि उन्हें आज भी अपनी माटी थाती और लोक से कितना लगाव है। आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान गाये उनके बेडू पाको बारामास गीत हो या इन दिनों वाइरल हो रहे थल की बाजार गीत पर नृत्य महज कुछ उदाहरण है। सर्वोच्च पद पर बैठे किसी अधिकारी का अपनी लोकसंस्कृति से इतना जुड़ाव बहुत कम देखने को मिलता है।
मिल चुके हैं विभिन्न पुरस्कार!
तृप्ति भट्ट को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें उल्लेखनीय कार्य के लिए नेशनल यूथ आईकॉन अवार्ड-2018, स्कॉच अवार्ड (किसी स्वतंत्र संगठन द्वारा प्रदान किया जाने वाला देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान), फिक्की स्मार्ट पुलिसिंग अवार्ड सहित विभिन्न पुरुस्कार मिल चुका है। वर्ष 2021 में फेम इंडिया मैगजीन द्वारा उन्हें भारत के टॉप 50 आईपीएस की सूची में भी स्थान दिया गया था।
देश की बेटियों के लिए एक मिशाल और रोल माॅडल है!
तृप्ति भट्ट नें बचपन से ही खेलकूद से लेकर पढाई में हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। तृप्ति जब कक्षा नौ में थी तो राष्ट्रपति भवन से अल्मोड़ा में आयोजित कार्यक्रम का न्यौता मिला था। यहां वे पहली बार राष्ट्रपति डॉ. कलाम से रूबरू हुई। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम से मिलना तृप्ति के जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। कलाम से मिलने के बाद ही जीवन में कुछ करने की प्रेरणा मिली, कलाम की साधारण शख्सियत ने उन्हें बेहद प्रभावित किया। इस दौरान डा. कलाम ने उन्हें एक हस्तलिखित पत्र दिया, जिसमें कई प्रेरणाप्रद बातें लिखी थी। पत्र आज भी तृप्ति के पास पूरी हिफाजत के साथ रखा है।तृप्ति बचपन से ही होनहार थी। चाहे वो पढाई हो खेलकूद हो या फिर अन्य गतविधियाँ। हर जगह अपनी अलग पहचान बनाई। तृप्ति भट्ट कुशल एथलीट भी हैं। राष्ट्रीय स्तर की 15, 16 किमी मैराथन और राज्य स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता की वह गोल्ड विजेता रही हैं। जबकि ताइक्वांडो और कराटे में भी दक्ष हैं। वहीँ खो खो टीम की कप्तान रही तो हॉस्टल की जनरल सेक्रिटी, भाषण प्रतियोगिताओं में हमेशा प्रथम स्थान मिलता था। युनिवर्सिटी में भी तृप्ति ने मेरिट स्कोलरशिप हाशिल की। आज त्रिप्ति भट्ट देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनकी रोल माॅडल भी। ऐसी बेटियों पर पूरे देश को नाज है।
वास्तव में तृप्ति भट्ट जैसी युवा तेज तरार आइपीएस बेटी उत्तराखंड ही नही बल्कि पूरे देश के लिए एक मिशाल है। उन्होंने अपने कार्यों से इसको साबित करके भी दिखाया है की यदि अपने कर्तब्यों का सही तरीके से निर्वहन किया जाय और जिम्मेदारियों का अहसास हो तो समाज के लिए एक उदारहण पेश किया जा सकता है। त्रिप्ति आज हजारों युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है। स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित होने के लिये चयनित होने पर ढेरों बधाईयाँ। भगवान बद्रीविशाल और गोलज्यू देवता की कृपा आप पर सदा बनी रहे।