नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान समारोह सितम्बर में।
देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एस आर हरनौट को इस बर्ष मिलेगा यह पुरस्कार।
देहरादून (हि. डिस्कवर)
इस वर्ष का नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार संत राम हरनोट को प्रदान किया जाएगा। उत्तराखण्ड लोक समाज के बैनर तले विभिन्न संगठन मिलकर लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान प्रदान करते हैं। धराली उत्तरकाशी की दैवी आपदा को देखते हुए नेगी जी के जन्मदिन पर 12अगस्त 2025 को दिया जाने वाला यह सम्मान सितम्बर माह में प्रदान किया जाएगा।
नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान हिमालयी राज्यों में भाषा, साहित्य, संस्कृति और सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तित्व को यह सम्मान प्रदान किया जाता है। पहला सम्मान वर्ष 2025 में उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी को यह सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान में प्रशस्ति और दो लाख इक्यावन हजार रुपए की धनराशि प्रदान की जाती है।
यह जानकारी देते हुए सुशीला देवी फेलोशिप के मुखिया डॉ ईशान पुरोहित, उत्तराखण्ड लोक समाज के प्रतिनिधि गणेश खुगशाल गणी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी जी के जन्मदिवस के अवसर पर दिया जाने वाला यह सम्मान इस वर्ष सितम्बर माह में दिया जाएगा। आयोजन समिति द्वारा यह निर्णय उत्तरकाशी धराली आपदा को देखते हुए लिया गया।
डॉ पुरोहित ने बताया कि इस वर्ष का नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार संत राम हरनोट को प्रदान किया जाएगा। हरनोट हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार हैं जो अपने साहित्य कर्म के लिए देशभर के प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित हैं।
एस आर हरनोट का संक्षिप्त जीवन परिचय
एस आर हरनोट का जन्म 22 जनवरी 1955 में हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के सुन्नी तहसील के चनावग गाँव में हुआ था । उन्होंने 2013 तक हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम में 36 वर्षों तक काम किया और उप-महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए। हरनोट के पास हिंदी में एमए , हिंदी में बीए (ऑनर्स) और पीआर, विज्ञापन और पत्रकारिता में डिप्लोमा है।
हरनोट कई लघु कहानी संग्रहों के लेखक हैं। इनमें पंजा, आकाशबेल, पीठ पर पहाड़, दरोश तथा अन्य कहानियां, जीनकाथी तथा अन्य कहानियां, मिट्टी के लोग, लिटन ब्लॉक गिर रहा है, किलें, भागा देवी का चैघर शामिल हैं। नदी गायब है, दस प्रतिनिधि कहानियां और आधार चयन कहानियां। उनके उपन्यासों में हिडिंब (2011) और नदी रंग जैसी लड़की (2022) शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और यात्रा पर आधारित कुछ रचनाएँ भी लिखी हैं। इनमें हिमाचल के मंदिर और उनसे जुड़ी लोक कथाएं (1991), हिमाचल एक नजर में (2000), और यात्रा: किन्नौर, स्पीति, लाहौल, और मणिमहेश पर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक यात्राएं (1987) इत्यादि प्रमुख हैं।
एस आर हरनोट जी की बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। हरनोट जी के साहित्य पर 08 शोध और 10 एम फिल हुए हैं जबकि उनके साहित्य पर 11 शोध अभी जारी हैं। हरनोट जी की तीन कहानियों पर लघु फिल्में बनी। सात कहानियों का नाट्य मंचन हुआ। उनकी कहानियों का जर्मन,पंजाबी,अंग्रेजी और मलयालम में अनुवाद हुआ है। अपने देश के आठ विश्वविद्यालयों द्वारा हरनोट जी की कहानियां और उपन्यास को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।