Wednesday, November 20, 2024
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हे पापी नयार कन मोरि तेरो.. मंगसीर मैना ब्यो छायो मेरो।

* सन 1951 में नयार नदी की भीषण बाढ़ का अंतरात्मा झकझोर देने वाला हादसा

(मनोज इष्टवाल)

सच मायने में कहें तो एक सदी पूर्व चुनिंदा इतिहासकारों में दो जाति बिशेष के अनपढ़ लोगों से बड़ा इतिहासकार कोई नहीं था, जो घटित घटनाओं को कंठस्थ याद कर उसको गीत काव्य व जागरों में ढालकर उसे चिरंजीवी बनाते और उनकी एक पीढ़ी वह अमृत दूसरी पीढ़ी के कंठ में डालती, दूसरी तीसरी के और यह अनवरत चलता रहता। ये जातियां वृत्ति और फ़िर्ती यानि आवजी और बद्दी गुणीजन के नाम से समाज में समाज को परिलक्षित करती आगे बढ़ती रही। जिन्हें उस दौर में भरपेट खाना मिला भी होगा या नहीं कह नहीं सकते लेकिन समाज की पुचकार कम और दुत्तकार इन्होने पीढ़ी दर पीढ़ी खूब सही।

नयार घाटी की वह बाढ़ जो सिर्फ़ नयार घाटी तक सीमित नहीं है अपितु गढ़वाल लांघकर कुमाऊँ तक आज भी याद की जाती है, उसे लगभग पौन शताब्दी गुजर जाने के बाद भी लोग कंठस्थ रखे हैं तो यह दम इन्हीं जाति के इतिहासकारों ने अपने गीत काव्य को गायन शैली के माध्यम से हमारे बीच जिंदा रखा हुआ है। जबकि किताबी इतिहास ढूंढने के लिए पन्ने पलटने पड़ते हैं। हम 2013 की केदार आपदा किस दिन आयी और घटना में क़्या कुछ हुआ उसके संदर्भ ढूंढने के लिए गूगल की सहायता लेते हैं लेकिन ‘सतपुली नयार की विभीत्सा’ के लिए हमें यह सब करने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि हम उसे आँख बंद करके स्वयं ही गुनगुनाने लगते हैं :-

द्वी हजार आठ भादो का मास, सतपुली मोटर बोगिनी खास…।

और ये हमें कंठस्थ याद करवाने वाले और कोई नहीं हैं बल्कि सरस्वती पुत्र, पुत्री बद्दी समाज के वो लोग हैं जिन्होंने अपने ढ़ोलकी व घुँघरूओं की थाप व आवाज के साथ अपनी गायन शैली में इन शब्दों को ढालकर गाँव गाँव घर घर इसे उस दौर में पहुँचाया था जिस दौर में अखबार गाँव तक नहीं पहुँचते थे।

अब जबकि इस घटना को घटित हुए लगभग पौन शताब्दी हो गई है और आज 1ही के दिन यानि 14 सितंबर सन 1951 अर्थात 73 बर्ष पूर्व की वह हृदय विदारक घटना आज तक भी कोई नहीं भुला पाया है जब सतपुली में झूलापुल के पास खड़ी 21 मोटर बसें, एक ट्रक और 30 बस चालक व परिचालक नयार नदी की भीषण बाढ़ में समा गए। तब कोटद्वार के हरिराम मिश्र ‘चंचल’ अरविन्द प्रिटिंग प्रेस से ‘ललकार’ नामक एक अखबार निकाला करते थे। जिसने इस घटना की रिपोर्टिंग कुछ इस तरह की थी।

* नयार नदी में भीषण बाढ़
* सतपुली पार सम्पूर्ण मोटर स्टेशन जल मग्न
* बाइस मोटर बसें, ट्रक और लगभग तीस मोटर ड्राइवर और क्लिनर बाद में लापता हृदय विदारक दृश्य !
* मृतकों की संख्या अधिक होने की सम्भावना

* सहायता की चेष्टायें असफल यातायात का एकमात्र साधन
झूला भी वह गया : ट्रैफिक बन्द

ता० १४ सितम्वर ५१ की प्रातःकाल नयार नदी में अचानक भयंकर बाढ़ आ जाने से जी. एम. ओ. यू. का सतपुली पार का सम्पूर्ण मोटर स्टेशन जल मग्न हो गया। जी. एम. ओ. यू. की २१ मोटर बसें व ट्रक तथा जिला फैडरेशन का एक ट्रक किसी प्रकार बचाये न जा सके । उपरोक्त तमाम मोटरें नयार के प्रचण्ड बहाव में अथाह पानी के भीतर लापता हो गई। गाड़ियों के साथ लगभग ३० मोटर ड्राइवर और क्लीनर थे। इन अभागे मजदूरों और गाड़ियों को बचाने के लिये, बाहरी सहायता प्राप्त होना कठिन था। वार पार का संबंध टूट जाने से और अभी तक नदी का वेग न घटने से मृतकों की पूरी पूरी संख्या का ठीक ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सका। मृतकों की संख्या और भी अधिक होने का अन्दाज लगाया जाता है। यह भी ख्याल है कि बहुत से मुसाफिर भी इस बाढ़ की लपेट में आ गये होंगे। गढ़वाल की इस एक मात्र यातायात पर सतपुली में पुल न होने से बरसात में बार पार के ट्रैफिक का सम्बन्ध जोड़ने वाला झूला भी बह गया है। डाक व यात्रियों की यातायात व्यवस्था बड़ी भयानक हो गई है और गड़बड़ में पड़ गई है।

इस भारी क्षति और निमम हत्याओं के लिये ट्रान्सपोर्ट विभाग, पी० डब्लू० डी० और जी० यम० ओ० यू० लि० जिम्मेदार.

जनता की अदाळत में उपरोक्त अभियुक्त वरी नहीं किये जा सकते !

अभियुक्त न. 1 पी डबल्यू डी.
१५० मील लम्बी मोटर लाइन में सतपुली एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर नदी में पुल होना नितांत आवश्यक था. जिसमें जनता का यातायात निर्विग्नता पूर्वक चलता रहता। जनता के बार बार चिल्लाने पर और समय २ पर दुर्घटनायें होने पर भी पीo डब्लूo डीo के कानों में जूँ नहीं रेंगी। हर बर्ष कच्चे पुल पुलों और झूलों में जनता के हजारों रुपये का दुर्प्रयोग किया गया किन्तु यह भ्रष्टाचार की ऐजेंसी पीo डब्लूo डीo यहाँ पर पुल की व्यवस्था व कर सकी। यदि वह पुल बनाने में असमर्थ थी तो बरसात के दिनों के लिये जनता की गाड़ियों को नहीं के रोखड़ में बड़ा होना वर्जित कर दिया जाता और जहां पर इस समय पीo डब्लूo डीo ऊँचे टीले पर अपना खुद का अड्डा बनाये हुए है वहां पर पब्लिक मोटर स्टेण्ड बनाना चाहिये था। ऐसा न करके इस निकम्मी पीo डब्लूo डीo ने आज भयावह स्थिति के उत्पन्न होने का कुअवसर दिखाया है।

अभियुक्त न० २- जी० एम० ओ० यू० लि.

पीo डब्लूo डीo ने वो लापरवाही दिखाई ही था किन्तु प्रतिवर्ष लाखों का कारोबार करने वाली जनता की सेवा की ठेकेदार गरीब मोटर मालिकों व मोटर मजदूरों की संरक्षक जी० एम० ओ० यूoलि० मजदूरों की मेहनत और मालिकान के 8बही कमीशन को केवल चपट ही करती रही। किन्तु उनके जीवन और सम्पति की सुरक्षा की ओर से आंखें बन्द किये रही। प्रति वर्ष इसी साल पर दुर्घटनायें होने पर भी इनकी आँखें न खुली। अब आँखें खोलने से क्या होता है जबकि निरअपराध मजदूरों की बेशकीमती बनें और गरीब मोटर मालिकों की एक मात्र सम्पति नयार की बिषम बाढ़ की भेंट चढ़ा दी, इनको व इनकी लूट- खसोट के साझेदार पीo डब्लूo डी0 को चाहिए था कि सतपुली पार के रौखड़ को बरसात में खतरे का क्षेत्र (Danger zone) घोषित करके ऊंचे स्थान पर पब्लिक यातायात के स्टेशन का निर्माण करना था।

अभियुक्त- ३ ट्रान्सपोर्ट डिपार्टमेण्ट

यदि सतपुली के मामले में पी० डब्लू० डीo और जीo एमo ओ० लि० लापरवाह थे किन्तु यातायात की एक मात्र जिम्मेदार सरकारी संस्था ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट अपने को इस भंयकर बर्बादी के अभियोग से बरी नहीं कर सकता। मोंटरों, यातायात के मजदू‌रों और यात्रियों को सुरक्षा के निमित सतपुली पार के मोटर स्टेशन को एक सुरक्षित स्थान पर रक्खे जाने को जबरदस्त ताकीद करनी चाहिये थी। किन्तु ऐसा न करके वह भी गरीब मोटर व्यवसाइयों व भूखे मोटर मजदू‌रों पर हावी होने में ही अपना गौरव समझती रही। अपने निजी ट्रान्सपोर्ट रोड वेज को भी गढ़वाल में जनता की सेवा एक मात्र ढकोसला बनाकर ही रक्खा। अच्छे मौसम में तो सतपुली, पौडी, श्रीनगर तक अपना ———————– (एक सम्पूर्ण लाइन पढ़ने में नहीं आ रही है) मुख्य यातायात, उस पर चलने वाली गरीबों की मोटरें, गरीब पदूर व यात्री। इतना ही नहीं कुछ स्वार्थी व्यक्तियों, समाचार पत्रों के अन मेल प्रचार का शिकार होकर इन्होंने कुछ समय से मोटर व्यवसाइयों व मजदूरों को फिटनिश के भूत के आतंक से बुरी तरह आतंकित कर दिया था. पिछले महिनों डिपुटी सपोर्ट कमिश्नर और उनके सहायक तमाम गाड़ियों का जनरल इन्सपेक्शन कर ही गये थे। टैक्नीकल इन्सपेक्टर ने बजाय २० सितम्बर के तार द्वारा १२ सितम्बर को ही अचानक आने को इत्तला देकर मोटर वालों में हबड़-तबड़ मचादी। इसी के फलस्वरूप बहुत सी गाड़ियां फिटनिश के लिये सतपुली के रौखड़ में खुली खड़ी थी अचानक इन्सपेक्शन के धोके ने इतना भारी जान माल का नुकसान पहुंचाया है।
“क्यों नहीं तीनों अभियुक्तों से लगभग ३ लाख रुपया गाड़ियों की कीमत व मजदूरों की उम्र भर का मुआवजा वसूल किया जाय”

अब तक की प्राप्त सूचना के अनुसार निम्न लिखित गाड़ियाँ और व्यक्ति बाढ़ की लपेटे में आ जाने से लापता हैं।
गाडी नम्बर                ड्राइवर                         क्लीनर
यूoपी०वाई० 345       _____                   श्री विजय सिंह
230       _____                   श्री गोविन्द सिंह
298       श्री राम प्रसाद          श्री गोवर्धन सिंह
346       ” चंद्र सिंह                ” सिताब सिंह
297        ” विद्यादत्त                  _______
106        ” चिंतामणि              ” औतार सिंह
108          _______                _____
104        श्री लूथी सिंह             _____
261        ” बालादत्त                ______
189         _______                ______
283       श्री बालम सिंह        श्री आनंद सिंह
602        ” नैन सिंह                ______
333        ” दया राम                 ______
347         _____                 श्री मुरलीधर
226        श्री अमर सिंह          ” राय सिंह
187         ” रेवत राम ” बचन सिंह
632 ” मंगल सिंह ” कुंवर सिंह
99 ” घनश्याम ” प्रेम सिंह
362 ______ ” रूप सिंह
यूoएसoवाईo 1113 _______ श्री महानन्द
391 _______ श्री रामकृष्ण
393 _______ श्री सैन सिंह
फोटो : सांकेतिक (साभार गूगल)

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