Saturday, July 27, 2024
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अभिनेत्री गीता उनियाल को भावभीनी श्रद्धांजलि .. इस गीत से की थी रुपहले परदे की यात्रा

हरी तोड़ी काकूडी लो...

(मनोज इष्टवाल)

अब ये मत कहियेगा कि उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री गीता उनियाल ने तो अपने रंगमंच की शुरुआत 2004 में कर दी थी फिर यह गीत तो 2011 में शूट किया गया था ? चलिए इस पर आगे बात करते हैं लेकिन यह आश्चर्यजनक रहा कि  गीता के निधन के तीसरे दिन भी उससे संबधित खबर सबसे अधिक ट्रोल होती रही. सच कहें तो उत्तराखंड के परिदृश्य में यह पहला अवसर रहा जब किसी कलाकार की मृत्यु ने सोशल साईट पर इतनी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज की होगी.

इस सब से भी ज्य्यादा आश्चर्य इस बात का था कि किसी कलाकार की शोक सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि के लिए इतनी अपार भीड़ उमड़ी हो. उत्तराखंड साइन जगत से जुड़ा हर वह लोककलाकार जिनमें प्रथम पांत के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, सुप्रसिद्ध अभिनेता बलराज नेगी, बलदेव राणा से लेकर सारे नामी गिरामी साइन स्टार लोकगायक,  गीतकार, रंगकर्मी, अदाकार के अलावा  बड़ी संख्या में कला एवं संस्कृति जगत के कई नामी गिरामी चेहरे उपस्थित थे.

जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित उनके पीआरओ हरीश कोठारी ने मुख्यमंत्री धामी का शोक संदेश पढ़कर अभिनेत्री गीता उनियाल के पति विकास उनियाल को सौंपा वहीँ दूसरी ओर सुप्रसिद्ध गायक, निर्देशक व संस्कृति विभाग में कार्यरत अनिल बिष्ट ने निदेशक संस्कृति विभाग सुश्री बीना भट्ट का शोक संदेश विकास उनियाल को सौंपा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने शोक संदेश में कहा कि “उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध अभिनेत्री सुश्री गीता उनियाल जी के आकस्मिक निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ, ईश्वर की यही ईच्छा है। स्व० सुश्री गीता उनियाल जी द्वारा देश-विदेश में विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने अभिनय के द्वारा उत्तराखण्ड की संस्कृति को अगल पहचान दिलाई है। उनके आकस्मिक निधन से उत्तराखण्ड का संस्कृति जगत व्यथित है तथा हम सभी के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है।

परम पिता परमेश्वर स्व० गीता उनियाल जी को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें तथा दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को धैर्य एवं साहस प्रदान करें। मैं, स्व० गीता उनियाल जी को अपनी विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

आपका,

(पुष्कर सिंह धामी)”

इस दौरान सुप्रसिद्ध अभिनेता बलदेव राणा ने बताया कि गीता रंगमंच की इतनी सधी हुई  अदाकारा थी कि उनके नाटक “वीर भड माधौ सिंह भंडारी” में उन्होंने मुख्य किरदार के रूप में 08 बार मंच पर उदीना का किरदार निभाया व वह पहली ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्हें पहली बार पर्वतीय नाट्य मंच द्वारा सम्मानित किया गया. इस दौरान उन्होंने आम जन से अपील भी की कि अभिनेत्री गीता उनियाल के नौनिहालों के  लिए आर्थिक सहयोग करें जिसमें बहुत से लोगों द्वारा यथासम्भव सहयोग भी किया गया.

इस श्रद्धांजली सभा में संस्कृति विभाग की उपाध्यक्ष श्रीमती मधु भट्ट, लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राजेंद्र रावत, सुप्रसिद्ध अभिनेता बलदेव राणा सहित विभिन्न लोगों द्वारा अभिनेत्री गीता उनियाल को अपने शब्दों का संबोधन देकर श्रद्धांजली दी.

हरी तोड़ी काकूडी लो…

यूं तो गीता ने रंगमंच की शुरुआत 2004 से कर दी थी लेकिन उसकी वीडियो एल्बम की पहली एंट्री पौड़ी से हुई. सुप्रसिद्ध निर्देशक अनिल बिष्ट उस दौर को याद करते हुए बताते हैं कि गीता भले ही उनके साथ लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी सहित विभिन्न मंचों पर नृत्य प्रस्तुति देती आ रही थी लेकिन उनकी बतौर अभिनेत्री पहचान रवाई व जौनसार जौनपुर क्षेत्र के लोकगीत हरी तोड़ी काकूडी लो… से हुई. यह लोकगीत लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की आवाज में सजकर पहली बार बर्ष 2004 में टी सीरीज के ऑडियो “स्याणी” के माध्यम से लोक तक पहुंचा था और इसी एल्बम से गीता उनियाल ने अपनी सिने जगत की यात्रा शुरू की. बेहद ग़मगीन अनिल बिष्ट बताते हैं कि गीता बेहद अनुशासित अभिनेत्री होने के साथ-साथ बेहद व्यवहारिक व आत्मीयतता से परिपूर्ण थी. इतनी कम उम्र में भला अपने साथ कौन क्या ले जाता है लेकिन आज गीता ने साबित कर दिया कि उसका शरीर जरुर हम सबसे जुदा हुआ है लेकिन वह हम सबके बीच आज भी उपस्थित है.

अभिनेत्री गीता ने इस लोकगीत में ग्रुप आर्टिस्ट के रूप में शुरुआत कर पीछे पलटकर नहीं देखा और निरंतर बुलंदियां छूती हुई अनंत आकाश को छू हम सबसे ओझल हो गई. गीता को विनम्र श्रद्धांजली

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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