देहरादून (हि. डिस्कवर)।
2018-19 में एन एच 74 भूमि घोटाला प्रकरण में 15 आरोपियों में सबसे चर्चित आईएएस डॉ पंकज कुमार पांडे फिर से चर्चाओं में हैं। इस बार उन पर आरोप है कि बतौर स्वास्थ्य सचिव उन्होंने व उनकी पत्नी ने डॉ निधि उनियाल के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया है। सिर्फ व्यवहार ही नहीं बल्कि अनैतिक निर्णय लेते हुए डॉ निधि उनियाल का ट्रांसफर दून हॉस्पिटल देहरादून से मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा कर दिया। जिससे नाराज दून मेडिकल कॉलेज की जनरल मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ निधि उनियाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
खासी चर्चाओं में रहा यह प्रकरण अब मात्र विभागीय नहीं रह गया है बल्कि इसे अब पहाड़वासियों ने अपनी बेटी का अपमान बताते हुए स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पांडे के खिलाफ आक्रोश जताना शुरू कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने अपनी सोशल साइट पर लिखा है कि “काश, स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ऐसी फुर्ती कोरोना काल में दिखाते।
– सुबह पत्नी की स्वास्थ्य जांच के लिए घर पर डाक्टर को भेजा, पत्नी ने की अभद्रता तो दोपहर में डाक्टर को दून से अल्मोड़ा तबादला कर दिया। चार बजे तक डाक्टर को रिलीव भी कर दिया।
– आक्रोशित डा. निधि उनियाल ने पद से दे दिया इस्तीफा।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में नौकरशाह कितने फुर्तीले हैं, इसका उदाहरण स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडेय से लिया जा सकता है। स्वास्थ सचिव की पत्नी को अपना चैकअप कराना था। सुबह डा. निधि उनियाल को कहा गया कि पंकज पांडे के घर जाओ और उनकी पत्नी के स्वास्थ्य की जांच करो। डा. निधि अपने दो साथियों क साथ जांच के लिए पंकज पांडे के घर पहुंची। गलती से बीपी मशीन कार में ही छूट गयी। आरोप है कि पंकज पांडे की पत्नी ने डा. निधि और उनके साथी स्टाफ के साथ अभद्र व्यवहार किया। इससे नाराज डा. निधि उनकी जांच किये बिना वापस दून अस्पताल लौट आई।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही डॉ उनियाल वापस लौटी उसके थोड़ी देर बाद ही उनको ट्रांसफर लेटर मिल गया कि अल्मोड़ा जाओ। डा. निधि दून मेडिकल कालेज में जनरल मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। और आज सुबह वो ओपीडी में मरीजों की जांच कर रही थी। मरीजों को छोड़कर स्वास्थ्य सचिव के घर गयी और अपना तबादला करवा बैठी।
ज्ञात हो कि डा. निधि ने पिछले दो साल में कोरोना के दौरान दून अस्पताल में पूरा मोर्चा संभाला हुआ था। दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना के अनुसार डा. निधि को रिलीव कर दिया गया। उनका कहना है कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में जरूरत थी। स्वास्थ्य सचिव ने इतनी फुर्ती यदि कोरोना काल में दिखाई होती तो प्रदेश में 7500 लोगों की जान नहीं गयी होती।
गरिमा कहती हैं कि यह बात भी एक विचारणीय प्रश्न है कि प्रोटोकॉल के तहत सीएम या गर्वनर के घर ही डाक्टर जा सकता है। इतनी सीनियर डाक्टर को पंकज पांडे के घर नहीं भेजा जाना चाहिए था। वह भी तब जब डा. निधि ओपीडी ले रहीं थी। यह भी बता दूं कि तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत और तीरथ सिंह रावत दोनों को जब कोरोना हुआ तो वो खुद अस्पताल गये थे। तो क्या पंकज पांडे सीएम से भी बड़े हो गये।
स्वास्थ्य सचिव व उनकी पत्नी के व्यवहार से आहत डा. निधि ने आखिरकार अपना इस्तीफा स्वास्थ्य सचिव को भेज दिया है। सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश में पहले ही स्पेशलिस्ट डाक्टरों का भारी अभाव है।
कांग्रेसी प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने उक्त घटना पर रोष व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ पंकज पांडेय को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक सचिव व उनकी पत्नी की वजह से एक और उम्दा और कर्मठ डाक्टर हमने खो दी है।
यह प्रकरण अब मुख्यमंत्री धामी के लिए भी टेडी खीर बनता दिख रहा है क्योंकि इस प्रकरण की जानकारी लगते ही डॉ पंकज पांडे को उत्तराखंड मूल के लोग सोशल साइट पर बुरी तरह से ट्रॉल करने लगे हैं ।
भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने सोशल साइट पर अपनी पोस्ट में लिखा कि “डा० निधी उनियाल ने जो किया ठीक किया हम सब साथ हैं पंकज पांडेय जी IASबिरादरी को बदनाम कर रहे हैं – “एक्शन करवायेंगे”
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शान्ति प्रसाद भट्ट उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड, उत्तराखंड मीडिया, उत्तराखंड भाजपा उत्तराखंड उत्तराखंड कांग्रेस व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को टैग करते हुए लिखते हैं कि
“दादा गिरी
एक आई ए एस जो उत्तराखंड में अपने कामों से जानें जाते है । हाल प्रकरण उनके द्वारा डाक्टर निधि उनियाल जो दून मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर थी उनका ट्रांसफर केवल इसलिए कर दिया की उन्होंने आई ए एस की पत्नी का ईलाज जो किया । आई ए एस की पत्नी जो बीमार थीं इन्होंने डाक्टर के साथ घर में अभद्रता की उन्हे अनाप शनाप बोला गया । डाक्टर से ईलाज करवाने के बजाय अभद्रता बहुत ही एसहनीय था । दुर्भाग्य देखिए पहले घर पर उनकी पत्नी ने अपमानित किया और शाम तक उस डाक्टर प्रोफेसर का ट्रांसफर भी कर दिया। यह हाल है उत्तराखंड का ।
अपमानित डाक्टर ने इस्तीफ़ा दे दिया । ऐसे ही निकाले जायेंगे अब । बता दे रेलवे के आल वैदर रोड प्रोजेक्ट के बड़े अधिकारी की पत्नी है । उनकी इमानदारी के चर्चे पूरे देश में है दुख की बात उन्हें अपने ही राज्य में अपमानित होना पड़ रहा है । देखते है भाजपा के नेता इसका क्या संज्ञान लेते है।”
समाजसेवी रतन सिंह असवाल अप्रत्यक्ष रूप से सोशल साइट पर टिप्पणी करते हुए लिखते हैं कि “उत्तराखण्ड की बेटी का अपमान सहन नही किया जाएगा। संरक्षण देने वालों को भी देख लिया जाएगा।” वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला ट्वीट करते हैं कि “घोटालेबाज अधिकारी की हनक निकाल पाएगी सरकार? ये मूक दर्शक बनी रहेगी?” अखिलेश डिमरी अपनी फेसबुक साइट पर लिखते हैं कि “सरकार ..! इस सूबे के सरकारी डॉक्टर किसी साहब की बीबी के नखरे उठाने के लिए नहीं हैं यह बात अच्छे से साहब को भी समझा दी जाए लगाम लगनी जरूरी है।” समाजसेवी इन्द्र सिंह नेगी प्रधानमंत्री भारत सरकार व मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को टैग कर सोशल साइट में देवभूमि डॉयलाग की खबर शेयर करते हुए लिखते हैं कि “उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है,
यदि जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है ।
इस राज्य के भाग्य में किस-किस की हनक झेलनी बाकी रह गई, एक बानगी तो देखिए …..।
कांग्रेसी नेत्री प्रणीता डोभाल बडोनी सोशल साइट पर ट्वीट करती हैं #Justice_For_Dr_Nidhi_Uniyal
डा निधि उनियाल द्वारा दिए गए इस्तीफे पर माफी मांगे स्वास्थ्य सचिव पांडे ।
वरिष्ठ पत्रकार शिव प्रसाद सती मुख्यमंत्री धामी को टैग करते हुए लिखते हैं कि “डा निधि उनियाल को अपमानित कर अच्छा नहीं किया। उत्तराखंड की बेटी को सपोर्ट करें। न्याय मिलना चाहिए।पंकज पांडेय का हटाएं।”