अल्मोड़ा (हि. डिस्कवर)
अपने क्षेत्र घर गाँव की समस्याओं को अपनी क्षेत्रीय विधायक,मंत्री या मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का यह एक अजब गजब का नायाब तरीका सोशल साइट ‘फेसबुक’ के माध्यम से दिखने को मिला। हृदय को छूती यह पाती घर गांव की वह प्रेम सौहार्द व स्नेह से सराबोर ऐसी चिट्ठी है जिसे आप पढ़ना शुरू कर देंगे तो जब तक पूरा पढ़ नहीं लेंगे तब तक अपनी नजर भी चिट्ठी से नहीं हटाएंगे।
जिला अल्मोड़ा ग्राम- माला, पोस्ट ऑफिस चनौदा के हर्षबर्धन जोशी द्वारा उत्तराखंड प्रदेश की कैबिनेट मंत्री श्रीमति रेखा आर्या को एक बेहद हृदयस्पर्शी पत्र लिखकर जिस तरह ग्रामीण समस्याओं से रूबरू कराया गया है वह यकीनन बेहद नायाब लग रहा है। उन्होंने केबिनेट मंत्री को उनके नाम के साथ “दी” (दीदी) जोड़कर कुछ इस तरह लिखा है:-
पूजनीय रेखा दी
नमस्कार
आशा करता हूं की आप कुशल मंगल होंगी। हम सब भी ठीक ठाक से हैं। इस बीच आपका दिल्ली में ऑपरेशन भी हुआ, ख़बर मिल गई थी। आशा करते हैं की अब आप ठीक होंगी, आराम होगा । अगर पहले खबर मिलती तो चाची अपनी तरफ़ से उचेण रख देती।भला हो उन डाक्टरों का, यहां जो क्या मिलने वाले हुए ऐसे डॉक्टर। यहां तो बीमार होते ही उचेण रख देते ठहरे। या फिर दयाप्त ठो में दीया जलाकर, भेटघाट रख आते हैं।
सब भगवान भरोसे हुआ।
अम्मा कह रही थी ये पिछले जन्म के फल लगे हैं , जो इतनी बड़भागी हुई आप। आज पत्र लिखने का मुख्य कारण ये है की आप सोमेश्वर (अपने सोमेश्वर) तक आई , ख़बर तो मिल ही जाती है। मगर आप हमारे घर का रास्ता भूल गई। अम्मा और चाची थोड़ा रिसाए हुऐ हैं। मुझे बहुत गुस्सा आया उन पर, मैंने उनसे कहा एक तो तुम्हारे पास धिनाई नहीं हुई , कड़वा पानी पिलाते क्या दिद्दी को ? फिर दीदी आती भी तो हाथ में च्यापने के लिए भी तो कुछ चाहिए, वैसे अम्मा ने एक साड़ी तो रख्खी है आपके लिए, वो भी कहीं पिठिया में लगी होगी उनको। अब आप ही बताओ कुछ गलत कहा क्या? उस दिन चाची ने रीश के मारे खाना भी नहीं बनाया। यहां ऐसा ही हुआ , पता ही हुआ आपको, लेकिन दिल के साफ़ हुए अम्मा और चाची। परसों ही पुष्कर दा को भी पत्र लिखा। ज्यादा जड़ी कंजड़ी नहीं लिखी, छी काहा क्या लिखना हुआ फिर चिट्ठी में ऐसा। कुशल बात भेज दी थी, बकाय उनकी तरफ़ से तो कोई चिठ्ठी नहीं आई, आशा है कि वो कुशल से होंगे।
वैसे बुरी खबर देना अच्छा तो नहीं लगता मगर कुछ दिन पहले “बूंगा गांव” की एक औरत की थ्रेसर में फस जानें से मौत हो गई। दी मेरी तो फ़ोटो देखने की हिम्मत भी नहीं हुई। गलती किसी की भी हो, जान तो जान ठहरी। हो सकता है आपको ख़बर मिली हो, अब सरकार क्या क्या जो करे, दो मीठे बोल और कुछ मदद हो जाती तो… हमारे बीच से ही तो होने वाले ठहरे नेता, अब अच्छे बुरे में काम नहीं लगे तो क्या फायदा। अब तो बाघ का हमला भी आम बात होते जा रही है।
ऐसा ही हुआ मैं , आपका भी मन ख़राब किया मैंने, क्षमा करना। वो आपकी गेहूं लवाते हुए फ़ोटो देखी ( कहीं देहरादून के ख्यातों में) , बहुत अच्छा लगा। किसाण हुई आप, उनको मजबूत करने का काम कर रहीं हैं। हमें आप पर बहुत गर्व है। पर दिखा नहीं पाने वाले हुए।
बांकी आप आओगी तो खुद ही देखोगी जो जैसा था वैसा ही है। नया कहने को रमेश ताऊ जी 1 जून से मल्लिका मंदिर में भागवत कथा करा रहे हैं। आप ज़रूर आना, और आओगी तो तलखाव के रास्ते मत आना, मलखाव वाले रास्ते आना, काइका थान से ऊपर को पुराने खड़ंचे में सिमेंटीकरण हुआ है, सेमेंटिकरण तो क्या ही हुआ है, बजरीकरण कह सकते हैं उसे, सीमेंट तो ऊपर से बुरबुराया जैसा है। उस रास्ते को देख कर किसी पूर्व प्रधान की याद आती है, जो लोग दुनिया से चले गए उनके बारे में बुरा कहना बुरी बात हुई। नए प्रधान ने तो याद करने लायक कुछ किया ही नहीं है। उज्या परसों तो सरम के काव हो गए काहा दिद्दी, एक सर्वे वाले आए थे अल्मोड़ा से उन्होंने मुझसे पूछा ग्राम प्रधान का क्या नाम है। मैं तो हकबका पड़ा।अब मुझे प्रधानपति, प्रधानससुर और प्रधानदेवर के नाम तो पता थे। मगर…
कयाप जैसा हो गया काहा मुझे।
बाक़ी नया ताज़ा कहने में हेम दा की लड़की की शादी बढ़िया से हुई , सुआल पथाई तो गांव में हुई बारात हल्द्वानी से थी, विपुल मासाप का अल्मोड़ा में घरपैच हुआ, प्रसाद मिला था वो अम्मा अकेले ही खा गई। ये सब पलायन की श्रेणी में आएगा की नहीं इसके लिए चंदन सिंह डांगी जी को पत्र लिखूंगा ।
पिछले हफ्ते अम्मा ने नेपाली लगाकर, वो नौले वाला खड़िक का पेड़ फड़वा दिया है। पहले तो अम्मा कहती थी की रसोई में लकड़ी नहीं जलाएंगे, बहुत झोल लग जाता है, पर क्या करें
गैस सिलेंडर तो इतना महंगा हो गया है कि जीवन में झोल लग गया है । 1055 रूपे का (लाना , ले जाना अलग) ।
पुष्कर दा ने अंत्योदय वालों के लिए साल के 3 सिलेंडर मुफ़्त कर रहे हैं, सुन कर बहुत प्रसन्नता हुई, बशर्ते अंत्योदय कार्ड में हेरा फेरी न हुईं हो।
चाची ने पुष्कर दा के लिए एक पुंतुर बना रक्खा है अखोड़ और दाड़ीम का, आपके हाथ ही भेजेंगे, अबकी हमारे घर का रास्ता मत भूलना। कब आओगी जरूर से लिखना। पत्र मिलते ही जवाब देना, और त्रुटियों के लिए माफ़ करना, हो सके तो साफ़ करना। पूरे परिवार और पूरे गांव को इंतजार रहेगा, आपको बहुत याद करते हैं । छोटो की तरफ़ से नमस्कार, और बड़ों की तरफ़ से बहुत बहुत स्नेह ।
आपका छोटा भाई और सह नागरिक
हर्षवर्धन
ग्राम माला, पो ऑ चनौदा
जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड
पुनश्च
रेखा दी जब भी आओगी तो बताकर आना, मैं बाजार से चा के लिए दूध और आपकी पसंदीदा केसर वाली जलेबी ले आऊंगा। अपना खयाल रखना, इधर की चिंता मत करना, स्वस्थ रहना। वो फ़ोटो नत्थी किए दे रहा हूं, जिस रास्ते की बात ऊपर लिखी है।
बहरहाल यह पत्र समाचार लिखे जाने के लगभग साढ़े पांच घण्टे के आस पास लिखा गया है। जो बेहद ट्रॉल हो रहा है। उम्मीद है कैबिनेट मंत्री हर्षबर्द्धन के इस पत्र का मर्म जरूर समझेंगी।