Saturday, August 23, 2025
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गुलमोहर, जन्मदिन व कालजयी घोषणायें। लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के 73वें जन्मदिन को मुख्यमंत्री धामी ने बनाया यादगार।

गुलमोहर, जन्मदिन व कालजयी घोषणायें। लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के 73वें जन्मदिन को मुख्यमंत्री धामी ने बनाया यादगार।

(मनोज इष्टवाल)

अब ये मत कह देना कि गुलमोहर,जन्मदिन व घोषणायें कब से कालजयी होने लगी हैं। दरअसल जब कालजयी रचनाकार, लेखक, संगीतज्ञ व लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी की बात हो रही हो तो तब सब कुछ कालजयी ही लगने लगता है। ऐसा ही कुछ लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की 72वीं बर्षगाँठ यानि 73वें जन्मदिन पर हुआ। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान दो महत्वपूर्ण घोषणाएं कर साबित कर दिया कि उनकी राजनीतिक क्षमताएं कितनी हैं व अंदर से निर्णय लेने में वे कितने मजबूत हैं। सिर्फ निर्णय लेने से मतलब नहीं होता बल्कि उससे उनकी पार्टी व जनता को क्या फायदा होने वाला है यह जरूरी है।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शपथ लेने के कुछ ही घण्टे बाद प्रदेश की सुपर पावर कहे जाने वाले मुख्य सचिव ओम प्रकाश की मुख्य सचिव पद से छुट्टी करके सबके मुंह खुले रख दिये। क्या मंत्री, क्या विधायक व क्या अफसरशाही लॉबी….सबके सब आवाक। जिस निर्णय की उम्मीद पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से की जा रही थी, वह विधायक से सीधे मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी एक झटके में कर गए। इस निर्णय ने भाजपा से बिछोह लेने वाली जनता के सैकड़ों नहीं हजारों-हजार मुखौटों को पुनः आत्मचिंतन करने का समय दिया और हजारों-हजार लोग एकाएक फिर भाजपा की तरह मुड़ गए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यहीं नहीं रुके, उन्होंने मानो बरसों से पेपर वर्क किया हो व एक एक अधिकारी की रग रग से वाफिक हों। फिर शुरू हुआ धड़ाधड़ ट्रांसफर का दौर शुरू…! और बर्षों से मलाईदार पदों पर बैठे अकर्मण्य अधिकारियों की छंटनी शुरू हुई और विकास कार्यों ने तेजी पकड़नी शुरू कर दी। जनता के सुर दबे-दबे सही लेकिन मुंह से सबके निकलने लगा दम तो है मुख्यमंत्री में।

जुम्मा-जुम्मा दो दिन पूर्व ही तो लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का 73वां जन्मदिन था। जिसे बेहद स्पेशल बनाने के लिए राजधानी देहरादून में अवस्थित बिनसर प्रकाशन ने पूरे तीन बर्ष तक एक पुस्तक को मूर्त रूप देकर कालजयी रचनाकार की रचनाएं, बोलते चित्र, समीक्षाएं व गीतों पर महत्वपूर्ण टिप्पणियों का संकलन किया। बिनसर प्रकाशन के प्रकाशक कीर्ति नवानी की परिकल्पना पर इस वृहद कार्य को मूर्त रूप देने में उनकी अर्धांगिनी डॉ इंदु भारती नवानी ने भी रात दिन जी तोड़ मेहनत कर उसके सम्पादन में सहयोग किया। वरिष्ठ पत्रकार गणेश खुगशाल “गणी” की महत्वपूर्ण टिप्स भी इस कार्य को उत्तरोत्तर आगे बढ़ाती गयी और ठीक तीन बर्ष बाद एक दो सैकड़े के लगभग पन्नो का ऐसा दस्तावेज बनकर सामने आया जो लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन को यादगार ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक बना गया।

बिनसर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “सृजन से साक्षात्कार”  का लोकार्पण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, स्वयं नरेंद्र सिंह नेगी, श्रीमति उषा नेगी व कीर्ति नवानी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। मंच संचालन की जिम्मेदारी निभाने वाले गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने जैसे ही माइक पर बोलने की जिम्मेदारी डॉ योगेश धस्माना को सौंपी, डॉ धस्माना ने गढ़वाली व कुमाउनी बोली के मिश्रण को लेकर मोहन उप्रेती-नईमा खान की जुगलबंदी से लेकर 1981 में पिथौरागढ़ में रोड शो के दौरान मूर्धन्य कवि गीतकार नाट्यकर्मी गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ व  लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की जुगलबंदी की चर्चा कर वह दौर जीवंत कर दिया व साथ ही पुनः 1997-98 में इन्हीं दो महान नायकों ने पराज सामाजिक संस्था की अगुवाई में पौड़ी के ऑडिओटोरियम में गढ़-कुमौ के लोकसमाज व लोकसंस्कृति के प्रतिबिम्बों को काव्य शैली व गीतों में ढालकर उसका जो बखान किया वह अद्वितीय रहा। डॉ धस्माना ने कहा कि हमारे पास एक ऐसा अभिलेखागार भी नहीं है, जहां ऐसी विभूतियों की कृतियों का संरक्षण किया जाय। उनकी बात को बल देते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार व लोकसंस्कृति के धनी डॉ नन्द किशोर हटवाल ने कहा कि अगर समय रहते हमने अपने लोक के पुरोधाओं के कार्यों का दस्तावेजीकरण नहीं किया तो आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी इसलिये सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।


मुझे अचानक याद आया कि शायद गणेश खुगशाल ‘गणी’ भूल गए कि मैं भी एक पौधा भेंट करने लाया हूँ। दरअसल मैं जब नर्सरी में गया तो कन्फ्यूज हो गया कि कौन सा पौधा लेकर जाऊं ताकि आज का दिन शुभ हो। आख़िर थक हार कर नर्सरी के मालिक से ही बोला-मुझे कोई ऐसा पौधा दीजिए जो आज के दिन को स्पेशल तो बनाये ही बनाये लेकिन वह जिस व्यक्ति को दिया जाय उस व्यक्तित्व के लिए भी शुभ हो। वह बोले- आज वृहस्पतिवार है? इसलिए गुलमोहर के सफेद पुष्प जिसमें हल्की गुलाबी रंगत दिखे वह दीजिए। आज का दिन शुभ नहीं हुआ तो नाम बदल दीजिए। सचमुच गुलमोहर के पहले पौधे पर नजर क्या गयी कि एक क्षण भी सोचने में नहीं लगाया। इस दौरान मेरे साथ मित्र इंद्र सिंह नेगी साथ थे। हम पहले काउंटर पर दूसरा पौधा ले आये थे। उन्होंने भी कहा – भाई सचमुच ये बेहतर है। हो सकता है यह देकर प्रदेश के लिए कुछ शुभ हो जाय।

फिर क्या था, गणेश खुगशाल ‘गणी’ के पास पूर्व ही किसी मित्र की पर्ची पहुंच गई थी कि शायद आप भूल गए कि मनोज इष्टवाल भी शुभकामनाएं देना चाहते हैं। शब्दो के सल्ली ‘गणी’ भी बोल पड़े कि सुना है वृहस्पतिवार को गुलमोहर का पौधा भेंट करना शुभ होता है। नेशनल सोशल मीडिया एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज इष्टवाल शुभकामना स्वरूप लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को गुलमोहर का पौधा भेंट करना चाहते हैं।

यकीन मानिए पौधा भेंट करते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहली घोषणा में प्रदेश में ऐसा अभिलेखाकार बनाने की घोषणा की जिसमें कालजयी रचनाकार नरेंद्र सिंह नेगी सहित ढोलसागर के ज्ञाता केशव दास अनुरागी, लोकगायक जीत सिंह नेगी, मोहन उप्रेती-नजमा खान, गिरीश तिवारी गिर्दा, चन्द्र सिंह राही, श्रीमति क़बूतरी देवी, गोपाल बाबू गोस्वामी, हीरा सिंह राणा सहित दर्जनों ऐसे व्यक्तियों के कृतित्व, गीत, नाटक, फिल्म्स का ऑडियो वीडियो संग्रहण व दस्तावेजीकरण किया जाएगा जिन्होंने उत्तराखंड के लोक व लोक कला संस्कृति पर अद्भुत कार्य कर अपना अतुलनीय योगदान दिया हो।

मुख्यमंत्री ने दूसरी बड़ी घोषणा में सभी को चौंका दिया। चौंका  इसलिए दिया कि 21 बर्ष के इस राज्य में अभी तक जितने भी मुख्यमंत्री बने उनके कंठ से वह घोषणा नहीं निकल पाई जिसके लिए जनता बर्षों से आवाज लगाती रही है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए  घोषणा की कि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को अपनी संस्तुति प्रेषित की जायेगी।

इस अवसर पर भला उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत कहाँ चुप बैठे रहने वाले थे। उन्होंने कहा कि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पर तैयार इस पुस्तक को वह प्रदेश की सभी लाइब्रेरी में भिजवाएंगे ताकि उन पर तैयार इस दस्तावेज को पढ़कर आने वाली पीढ़ियां भी अपनी लोकसंस्कृति के मूल्य समझ कर इससे प्रेरणा ले सकें।
अब जब ऐसी ऐतिहासिक घोषणाएं एक जन्मदिन पर हों तो भला मानवों के बीच सम्मानजनक बने गुलमोहर के पौधे में स्वेत-गुलाबी रंगत लिए मुस्कराते पुष्पों में रंगत आनी लाज़िम क्यों न हो। अगर सच में ही ये घोषणाएं मूर्त रूप ले लेगी तो नेगी जी का जन्मदिन व गुलमोहर भी घोषणा के साथ स्वाभाविक तौर पर कालजयी हो जाएंगे।

इस दौरान इस लोकार्पण समारोह के प्रतिभागी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व समाज सेवी संजय दरमोडा, बलूनी पब्लिक स्कूल के संस्थापक विपिन बलूनी,   साहित्यकार रमाकांत बेंजवाल, श्रीमति बीना बेंजवाल, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चंद शास्त्री, कर्नल मदन मोहन कंडवाल, सुप्रसिद्ध संस्कृति कर्मी मोछंग व हुड़का वादक रामचरण जुयाल, संस्कृति कर्मी विक्रम सिंह रावत, डॉ इंदु भारती नवानी, रंगकर्मी कविलास नेगी, श्रीमति अंजली नेगी, कु छुवकि, समाजसेवी संजय नौडियाल, पत्रकार गोपाल थापा, रंगकर्मी सोहन चौहान, विनय पोखरियाल, श्रीमति दीपा जुगरान व अंजुल जुगरान इत्यादि शामिल थे।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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