Thursday, December 26, 2024
Homeउत्तराखंडगुप्तकाशी के छोटे से गांव पसालत की रहने वाली दादी मां प्रभा...

गुप्तकाशी के छोटे से गांव पसालत की रहने वाली दादी मां प्रभा देवी पर्यावरण प्रहरी की बनी मिसाल, संवाद कार्यक्रम में हुई सम्मानित

देहरादून। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी के निकट के छोटे से गांव पसालत की रहने वाली दादी मां प्रभा देवी पर्यावरण प्रहरी की वह मिसाल हैं, जिन्हें अभी तक वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसकी वह हकदार हैं। सादा और संतत्व जीवन जीने वाली प्रभा देवी ने एक बंजर भूमि को हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया है। उन्हें अपना जन्मदिन या जन्म का साल याद नहीं है, लेकिन वह अपने जंगल के हर पेड़-पौधे को अच्छी तरह पहचानती हैं। उम्र के 82 बसंत पार चुकीं प्रभा देवी सेमवाल मंच पर सम्मान लेने पहुंचीं तो उनकी आंखें डबडबा गईं। बहुत कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन शब्द जैसे गले में अटक गए। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनकी इन भावनाओं के ज्वार-भाटे को गले लगाकर शांत किया। तालियों की गड़गड़ाहट ने प्रभा के काम और उनके संतत्व को तब तक सम्मान दिया, जब तक वह मंच पर रहीं।

पिछले 50 सालों से वह जंगलों को सहेजने में जुटी हैं। दशकों की मेहनत के बाद आज उनके पास अपना खुद का जंगल है। प्रभा देवी के जंगल में इमारती लकड़ी से लेकर रीठा, बांझ, बुरांस और दालचीनी के पेड़ हैं। प्रभा देवी के तीन बेटे और तीन बेटियां परिवार के साथ अलग-अलग स्थानों पर रहते हैं। वह मां को अपने साथ ले जाना चाहते हैं, लेकिन प्रभा अपने उन बच्चों (पेड़-पौधों) को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जिन्हें उन्होंने खुद के बच्चों की तरह पाला है। अमर उजाला ने अपने संवाद कार्यक्रम में प्रभा देवी के इस काम के लिए उन्हें सम्मानित किया।

पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रभा देवी किसी बच्चे की तरह संकुचाई सी बैठी रहीं। जब उन्हें मंच पर सम्मान लेने के लिए आमंत्रित किया गया, वह भावुक हो गईं। बहुत आदर से उन्होंने मंच का प्रणाम किया और अपने बोली-भाषा में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हॉल में उपस्थित हर अतिथि का इस्तकबाल किया। यह एक बेहद भावुक क्षण था, जिसने हर किसी का दिल जीत लिया।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES