Saturday, July 27, 2024
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मनीष खंडूरी के कांग्रेस से त्यागपत्र से गरमाई गढ़वाल संसदीय सीट!

कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र के बाद  मनीष खंडूड़ी का नाम पौड़ी से भाजपाई दावेदारों में शामिल

कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र के बाद  मनीष खंडूड़ी का नाम पौड़ी से भाजपाई दावेदारों में शामिल

भाजपा से पौड़ी व हरिद्वार लोक सभा सीट के दावेदारों की दिल की धड़कनें हुई तेज

(मनोज इष्टवाल)

“मैं राजनीति में मंत्री बनने के लिए नहीं हूं। अगर कोई ये सोच रहा है कि मुझे टिकट या फिर पद का लालच है तो यह उनकी भूल है। मैं राजनीति में एक प्रभाव छोड़ने के लिए तैयार हूं। विशेषकर याहां के युवा और मातृशक्ति के मुद्दों को लेकर। मैं अपने सफल प्रोफेशनल लाइफ को छोड़कर एक सोच एक विचार लेकर आया हूं। मेरी सोच टिकट, पद, एमपी या एमएलए बनने से हटकर है। अगर आप पद हासिल करने के बाद भी समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो इन चीजों का मेरे लिए कोई औचित्‍य नहीं है।” तीन दिन पूर्व यह शब्द अपनी सोशल साइट पर ड़ालते ही मनीष खंडूरी ने यूँ तो यह संकेत दे दिए थे कि वह जल्दी ही कोई फैसला लेने वाले हैं लेकिन ऐन चुनाव से पूर्व ही वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे यह उम्मीद कांग्रेस को भी शायद नहीं थी।

56 बर्षीय मनीष खंडूरी राजनीति में आने से पहले फेसबुक कंपनी में इंडिया हेड के रूप में कार्यरत थे। राहुल गांधी की उपस्थिति में उन्‍हें कांग्रेस में शामिल किया गया था। उन्होंने 2019 में कांग्रेस से गढ़वाल संसदीय सीट से लोक सभा का चुनाव लड़ा था जिसे वह हार गए थे। ज्ञात हो कि मनीष खंडूरी पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड मेजर जनरल बी सी खंडूरी के पुत्र व विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के भाई हैं।

ज्ञात हो कि मनीष खंडूडी इस साल भी कांग्रेस से पौड़ी लोकसभा से टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस बार पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पौड़ी के चुनावी मैदान में उतारे जाने की ज्यादा चर्चा हो रही थी। शायद यही कारण भी रहा कि मनीष खंडूरी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का कमल थाम लिया। वहीं सूत्रों की मानें तो मनीष खंडूरी को भाजपा में शामिल कराने के लिए उनकी बहन ऋतु खंडूरी ने अहम् भूमिका निभाने वाली हैं ।

मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से त्यागपत्र देते ही ट्वीट किया था कि “मैं भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्‍यता से तत्‍काल प्रभाव से त्‍यागपत्र दे रहा हूं। मेरा यह फैसला बिना किसी व्‍यक्तिगत हित अथवा अपेक्षा के लिया गया है।”

ज्ञात हो कि कांग्रेस में मनीष खंडूरी के करीबी रहे प्रदेश के प्रमुख संगठन के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राणा अपने कई कांग्रेसी साथियों के साथ पूर्व में ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि मनीष भी जल्दी ही भाजपा में शामिल होकर पौड़ी लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। वहीं कांग्रेस का एक गुट मनीष के इस्तीफे को दबाव की राजनीति से जोड़कर देख रहा है जिससे पार्टी पर ऐन चुनाव से पहले समीकरण गड़बड़ाने का दबाब देखा जा सकता है ।

गौरतलब है कि भाजपा ने पौड़ी व हरिद्वार सीट के टिकट रोके हुए हैं। पौड़ी से तीरथ रावत के विकल्प के तौर पर अन्य नामों के साथ खंडूडी के नाम की भी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। इधर, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि चूंकि मनीष का कोई व्यक्तिगत जनाधार नहीं था। लिहाजा,उनके जाने से कांग्रेस की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस अगर ऐसा कह रही है तो उन्होंने 2019 के लोक सभा चुनाव में मनीष पर क्यों दांव खेला? यह भी सोचने वाली बात है।

बहरहाल, मनीष खंडूडी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में सरगर्मी बढ़ गयी है। वहीं पौड़ी व हरिद्वार लोक सभा सीट पर भाजपा के प्रत्याक्षी के रूप में ताल ठोकने वाले भाजपाई नेताओं की धड़कनें बढ़ने लगी हैं कि कहीं हो न हो मनीष भाजपा में शामिल हो उनसे उनका भाग्य छीन ले जाए।

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