Tuesday, February 11, 2025
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झारखंड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार। मुख्यमंत्री धामी बोले केंद्रीय नेतृत्व का ऐतिहासिक निर्णय!

देहरादून (हि. डिस्कवर )

मुख्यमंत्री पुष्कर  सिंह धामी  ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताया  है! जनजातीय समुदाय की महिला को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाने का Bharatiya Janata Party (BJP) के राष्ट्रीय नेतृत्व का यह निर्णय ऐतिहासिक है ।

उन्होंने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच श्रीमती मुर्मू जी का सम्पूर्ण जीवन जनजातीय समाज के शैक्षणिक उन्नयन, गरीब और ज़रूरतमंदों की सेवा के लिए समर्पित रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्रीमती मुर्मू जी का अनुभव और नीति निर्धारण की क्षमता देश को विश्वगुरु बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

ज्ञात हो कि ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल सफर रहा है। यदि निर्वाचित होती हैं तो मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी। झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार होंगी। भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था, संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की।

संथाल समुदाय में जन्मीं मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और वह वर्ष 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनी। बाद में उन्होंने 2015 में झारखंड के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाली। रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजद ने राज्य के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था, जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने जीत दर्ज की थी। बीस जून 1958 को जन्मीं मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव भी रखती हैं।

झारखंड में राज्यपाल के तौर पर कुल 6 साल एक माह 18 दिन का उनका कार्यकाल निर्विवाद तो रहा ही, साथ ही राज्य के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही है। कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से उड़ीसा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं।

18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थी। झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रही। कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया। उन्होंने 2016 में राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुद लोक अदालत लगायी थी, जिसमें विवि शिक्षकों और कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा हुआ था।

बहरहाल यदि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनती हैं तो कई नये रिकॉर्ड बनेंगे। जैसे- वह देश ही पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। ओडिशा से भी पहली और देश की दूसरी महिला राष्ट्र्रपति होंगी। इतना ही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।

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