Tuesday, September 17, 2024
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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रों का कारनामा।

श्रीनगर गढ़वाल (हि. डिस्कवर)

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में नौ सूत्री मांगों को लेकर आन्दोलित छात्र मांगे न माने जाने पर विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ करने लगे हैं। इस आन्दोलन को लेकर खास बात ये है कि ये छात्र अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के छात्र -छात्राओं को जोड़ने में असफल रहे हैं तथा विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा भी तवज्जो न मिलने से बौखलाये ये मुट्ठी भर छात्र विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में तोड़फोड़ करने लगे हैं।

छात्र राजनीति करने वाले ये छात्र जिस तरह का व्यवहार विश्वविद्यालय में कर रहे हैं, उससे कतिपय सवाल खड़े हो रहे हैं कि विश्वविद्यालय में ये युवा किस तरह की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि इन आंदोलित छात्रों को किसी का वरदहस्त प्राप्त है। यदि किसी की शह पर यह आन्दोलन चल रहा है तो यह और भी खतरनाक है। ऐसे में सवाल उठता है वो कौन लोग हैं जो विश्वविद्यालय को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं और उन्हें इससे क्या फायदा होने वाला है।

अपने आप में यह भी बड़ा सवाल है कि आन्दोलन रत छात्र औरों के हाथों की कठपुतली क्यों बन रहे हैं? और यदि ये छात्र- छात्राओं की जायज मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं तो और छात्र छात्राएं इस आन्दोलन से विमुख क्यों हैं।

इस आन्दोलन का एक मजेदार पक्ष और भी है कि इन छात्रों ने कला संस्कृति निष्पादन केन्द्र के निदेशक, उप निदेशक और सहायक निदेशक पदों के लिए हुए साक्षात्कार को भी मुद्दा बनाया है। वर्ष 2006 में स्थापित इस केन्द्र के संचालन के लिए अभी तक कोई नियुक्ति नही हुई है। इस केन्द्र को स्थापित करने वाले पूर्व निदेशक डॉ. डी आर पुरोहित वर्तमान में यहां विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने के पश्चात यहां बतौर एडजेंट प्रोफेसर कार्य करते हुए इस केन्द्र का संचालन कर रहे हैं।

इस आन्दोलन में इस केन्द्र के तीन पदों में से दो पदों के आरक्षण के मामले में स्थिति साफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह केन्द्र में पहली बार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यदि केन्द्र में नियुक्तियां नहीं दी गई तो वे भी इससे विरत हो जाएंगे तथा त्यागपत्र दे देंगे।
प्राध्यापकों , छात्र- छात्राओं, और शिक्षणेत्तर कार्मिकों की अपनी – अपनी मांगें हो सकती हैं। अपने विरोध, पूर्वाग्रह और दुराग्रह हो सकते हैं लेकिन इन सबकी पूर्ति क्या विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ करके हो सकती है। इस तरह का कृत्य क्या क्षमा योग्य है? यदि नही तो इस मामले का संज्ञान लिया जाना चाहिए। इस मामले में कार्रवाई के लिए क्या किसी और साक्ष्य की आवश्यकता है? यदि हां तो क्या साक्ष्य चाहिए और यदि नही तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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