ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
●राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने किया शुभारंभ।
सीमांत जनपद चमोली की बिरही-निजमुला घाटी के दर्जनों गांवों में पहली बार फोन की घंटिया घनघनाई। घाटी के एक दर्जन गांव आजादी के 73 बरस बाद संचार सुविधा से जुड गया है। जिस कारण पूरी निजमुला घाटी में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी है। शनिवार को इस संचार क्रांति का शुभारंभ राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी ने वर्चुअल माध्यम से किया। उन्होंने इस अवसर पर निजमुला घाटी के समस्त ग्रामीणों को संचार क्रांति से जुडने के लिए बधाई देते हुये कहा की वे निजमुला घाटी को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे।
गौरतलब है की निजमुला घाटी जनपद चमोली के दशोली ब्लाक का दुरस्त इलाका है। इस घाटी के झिंझी, पाणा, ईराणी, दुरमी, पगना, गौणा, गाडी, ब्यारा, सैंजी, थौली, मोली, मानुरा, भनाई, तडाग ताल, हुडुंग, धार कुमाला सहित दर्जनों गांव है जहां अभी विकास की गति धीमी है। आजादी के 73 साल बाद भी इस घाटी में मूलभूत सुविधायें नहीं पहुँच पायी है। जिस कारण ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल ये घाटी पर्यटन की दृष्टि से बेहद अहम थी, क्योंकि इस घाटी में 5 दशक पहले तक प्रसिद्ध गौणा ताल था। लेकिन 20 जुलाई 1970 गौणा ताल टूटने से इस घाटी में विकास का पहिया भी थम गया था।
निजमुला घाटी के युवा, ईराणी गांव के ग्राम प्रधान और प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी के प्रयासों से इस घाटी के दर्जनों गांवों में आजादी के 73 साल बाद फोन की घंटिया घनघाने लगी है। युवा मोहन नेगी नें बताया की घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों में संचार सेवा न होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। खासतौर पर आपातकालीन स्थिति में इस घाटी के गांवों में सम्पर्क न होने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को आॅन लाइन पढ़ाई के लिए गांव से चार किलोमीटर दूर संकटाधार में पहुंच कर नेटवर्क क्षेत्र में आकर अपनी पढ़ाई सुचारू करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। कल शनिवार को राज्य सभा सासंद अनिल बलूनी जी के अथक प्रयासों से जियो कंपनी द्वारा स्थापित बिरही व सैंजी में दो मोबाइल टावरों नें कार्य करना शुरू कर दिया है जिससे एक दर्जन गांव के ग्रामीणों को दूरसंचार की सुविधा मिलनी शुरू हो गयी है। वहीं अभी एक टावर संकटाधार में भी लगाने की प्रक्रिया गतिमान है। जिससे ईराणी गांव सहित घाटी के शेष गांव भी संचार क्रांति से जुड जायेंगे। उन्होंने निजमुला घाटी के समस्त ग्रामीणों को संचार सुविधा से जुडने पर बधाई भी दी। मोहन नेगी नें कहा की वे निजमुला घाटी को विकास की मुख्यधारा से जोडने के लिए प्रतिबद्ध है। इस घाटी को पर्यटन से जोडने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। उम्मीद की जानी चाहिए की आनें वाले समय में ये घाटी पर्यटकों के लिए न्यू डेस्टिनेशन साबित होगी।
वास्तव में देखा जाए तो पहाड़ अब धीरे-धीरे करवट ले रहा है। खासतौर पर युवाओं नें अपने गांव के विकास का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया है। कुछ दिनों पहले कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जनपद के गंगोलीहाट ब्लाॅक के टुंडाचौडा गांव निवासी गोविन्द सिंह बिष्ट के प्रयासों व से उनके गांव सहित अन्य चार गांवों में 73 साल बाद सड़क पहुंची तो अब युवा मोहन सिंह नेगी के प्रयासों से चमोली जनपद के दशोली ब्लाॅक की निजमुला घाटी में 73 साल बाद फोन की घंटिया घनघनाई है। पहाड़ अब बदल रहा है और पहाड़ के प्रति लोगों का नजरिया भी बदल रहा है, जो पहाड़ के लिए शुभ संकेत है।