Saturday, March 15, 2025
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धामी सरकार जून में पेश करेगी बजट, पढ़िए क्या रहेंगी खास बातें

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जून महीने में पेश होने वाले बजट को लेकर विभिन्न वर्गों से सुझाव लेने आरंभ कर दिए हैं। शनिवार को नैनीताल में भावी बजट को लेकर जनता से राय मांगी गई और अब देहरादून में भी इसी तरह से लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे। यह सिलसिला अगले कुछ हफ्ते चलेगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव भी सरकार के पास पहुंच रहे हैं।

जनता के आ रहे इन सुझावों के बीच सरकार को उन चुनौतियों का भी ख्याल करना है जो बजट के लिए बहुत जरूरी है। राजस्व घाटे की भरपाई करके 15वें वित्त आयोग ने राज्य को बहुत बड़ी राहत दी है। इससे राज्य सरकार को पांच साल के लिए 28147 करोड़ मिलेंगे।

2021-22 में पहली किस्त के रूप में 7772, दूसरी किस्त 7137, तीसरी 6223, चौथी 4916 तथा पांचवी और आखिरी 2099 करोड़ की किस्त राज्य सरकार को प्राप्त होगी। लेकिन सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि जून महीने से उसे जीएसटी के मुआवजे से हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि राज्य सरकार केंद्र से राहत मिलने को लेकर आश्वस्त है।

अपर मुख्य सचिव (वित्त) आनंद बर्द्धन का कहना है कि हमने केंद्र सरकार से जीएसटी प्रतिपूर्ति मुआवजा जारी रखने का अनुरोध किया है। सूत्रों का मानना है कि यदि केंद्र मुआवजा देने से इनकार करता है तो राज्य सरकार को सालाना करीब पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। यानी राजस्व घाटे के एवज में आयोग की सिफारिश पर जो अनुदान राज्य को प्राप्त हो रहा है, लगभग उसके बराबर धनराशि से राज्य को हाथ धोना पड़ जाएगा।

सरकार के सामने खर्च संभालने की चुनौती भी है। वेतन और पेंशन का खर्च बढ़ रहा है। वेतन खर्च की सालाना आठ प्रतिशत और पेंशन खर्च सात प्रतिशत वृद्धि दर है। नए ऋणों पर आठ प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान अलग से है। इसे काबू में लाना सरकार के लिए आसान नहीं है।

सरकार के सामने अवस्थापना निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने की भी चुनौती है। लेकिन बजट के आंकड़े बता रहे हैं कि पूंजीगत व्यय कम हो रहा। वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 में पूंजीगत का व्यय 19.93 प्रतिशत उच्च स्तर था। 2019-20 में यह 14.10 प्रतिशत तक घट गया।

सरकार ने पार्टी के चुनाव दृष्टिपत्र को अंगीकार किया है। उसमें किए गए संकल्पों को पूरा करने के लिए सरकार को अलग से आर्थिक साधन जुटाने होंगे। इसलिए सरकार पर खुद के संसाधनों से राजस्व बढ़ाने की भी चुनौती है। पंचम वित्त आयोग ने भी राज्य सरकार को व्यय नियंत्रण के साथ संसाधनों को जुटाने के उपाय करने का सुझाव दिया है। अनुत्पादक खर्चों को कम कर ऐसे निवेश करने पर जोर दिया गया है, जिससे राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी हो सके।

देहरादून । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जून महीने में पेश होने वाले बजट को लेकर विभिन्न वर्गों से सुझाव लेने आरंभ कर दिए हैं। शनिवार को नैनीताल में भावी बजट को लेकर जनता से राय मांगी गई और अब देहरादून में भी इसी तरह से लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे। यह सिलसिला अगले कुछ हफ्ते चलेगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव भी सरकार के पास पहुंच रहे हैं।

जनता के आ रहे इन सुझावों के बीच सरकार को उन चुनौतियों का भी ख्याल करना है जो बजट के लिए बहुत जरूरी है। राजस्व घाटे की भरपाई करके 15वें वित्त आयोग ने राज्य को बहुत बड़ी राहत दी है। इससे राज्य सरकार को पांच साल के लिए 28147 करोड़ मिलेंगे।

2021-22 में पहली किस्त के रूप में 7772, दूसरी किस्त 7137, तीसरी 6223, चौथी 4916 तथा पांचवी और आखिरी 2099 करोड़ की किस्त राज्य सरकार को प्राप्त होगी। लेकिन सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि जून महीने से उसे जीएसटी के मुआवजे से हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि राज्य सरकार केंद्र से राहत मिलने को लेकर आश्वस्त है।

अपर मुख्य सचिव (वित्त) आनंद बर्द्धन का कहना है कि हमने केंद्र सरकार से जीएसटी प्रतिपूर्ति मुआवजा जारी रखने का अनुरोध किया है। सूत्रों का मानना है कि यदि केंद्र मुआवजा देने से इनकार करता है तो राज्य सरकार को सालाना करीब पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। यानी राजस्व घाटे के एवज में आयोग की सिफारिश पर जो अनुदान राज्य को प्राप्त हो रहा है, लगभग उसके बराबर धनराशि से राज्य को हाथ धोना पड़ जाएगा।

सरकार के सामने खर्च संभालने की चुनौती भी है। वेतन और पेंशन का खर्च बढ़ रहा है। वेतन खर्च की सालाना आठ प्रतिशत और पेंशन खर्च सात प्रतिशत वृद्धि दर है। नए ऋणों पर आठ प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान अलग से है। इसे काबू में लाना सरकार के लिए आसान नहीं है।

सरकार के सामने अवस्थापना निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने की भी चुनौती है। लेकिन बजट के आंकड़े बता रहे हैं कि पूंजीगत व्यय कम हो रहा। वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 में पूंजीगत का व्यय 19.93 प्रतिशत उच्च स्तर था। 2019-20 में यह 14.10 प्रतिशत तक घट गया।

सरकार ने पार्टी के चुनाव दृष्टिपत्र को अंगीकार किया है। उसमें किए गए संकल्पों को पूरा करने के लिए सरकार को अलग से आर्थिक साधन जुटाने होंगे। इसलिए सरकार पर खुद के संसाधनों से राजस्व बढ़ाने की भी चुनौती है। पंचम वित्त आयोग ने भी राज्य सरकार को व्यय नियंत्रण के साथ संसाधनों को जुटाने के उपाय करने का सुझाव दिया है। अनुत्पादक खर्चों को कम कर ऐसे निवेश करने पर जोर दिया गया है, जिससे राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी हो सके।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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