(पार्थसारथि थपलियाल)
एक ओर कोरोना का कहर दूसरी ओर TRP के लिए उन्माद फैलता मीडिया। इस मीडिया को रोकें। यह मीडिया लोगों को पागल बना देगा। धिक्कार है। दिल्ली सरकार में रहे पूर्व मंत्री डॉ. ए के वालिया और राजनेता सीताराम येचुरी के जवान बेटे आशीष की मृत्यु का समाचार जिस पिच, टोन और दैहिक भाषा में आजतक की समाचार वाचिका सुना रही थी, लगता था, इन्हें बड़ी खुशी हुई। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें काम भी करती रही हैं और राजनीति भी।
(फ़ाइल फोटो)
अचानक से बिगड़ी स्थितियों में सभी ओर काम हो रहा है। यह आपदा की स्थिति है। दोषारोपण का समय नही। आपके घर पर रोज एक लीटर ढूध की खपत होती हो, आप आधा लीटर उपयोग में ले चुके हों, अचानक से 10 मेहमान आ जाय और दूध पर्याप्त न हो तो या तो आधी आधी चाय पीने को मिलेगी या दूध का प्रबंध करने दुकान तक जाना होगा, लेकिन दुकान पर भी दूध न मिले तो वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी या कुछ दूर से मंगवाना होगा। ऐसी स्थिति में धैर्य और संयम की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी उदारता का परिचय देना चाहिए। मीडिया जिस तरह भड़काने का काम और दहशत फैलाने का काम कर रहा है इनको कौन नियंत्रित करेगा। मीडिया अनियंत्रित है टी आर पी लक्ष्य है। सत्य को बोलें अपना टोन और पिच शिकायती या उत्सवी न बनाएं। बहुत से लोग सहायता कार्यों में लगे हैं, बहुत लोग अपने पड़ोस में पीड़ित परिवारों की सहायता कर रहे हैं, कई लोग प्लाज़्मा के लिए रक्तदान कर रहे हैं। ऐसे समाचार लोगों में उत्साह पैदा करेंगे। मीडिया जिस तरह भड़कनी, उकसाने और निराशाजनक समाचारों को परोस रहा है उससे लोगों में डिप्रेशन बढ़ रहा है।