देश में कोरोना वायरस के केसेज अब भी बढ़ रहे हैं और पिछले चार दिन से एक्टिव केसेज की संख्या एक लाख ऊपर बनी हुई है। लेकिन चूंकि अब कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक नहीं रह गया है इसलिए इसको लेकर पैनिक वाली स्थिति नहीं है। लेकिन अब एक दूसरा खतरा दिख रहा है, जो साफ तौर पर कोरोना वायरस और इसकी वैक्सीन से जुड़ा है। पिछले दिनों बृहन्नमुंबई नगर निगम यानी बीएमसी ने एक आंकड़ा जारी करके दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मौतों की जानकारी दी। यह आंकड़ा हैरान करने वाला है। कोरोना का संक्रमण शुरू होने के बाद से मुंबई में दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मौतों में छह गुना की बढ़ोतरी हुई है।
बीएमसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में मुंबई में हर महीने पांच सौ लोग दिल का दौरा पडऩे से मरे थे। ध्यान रहे मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर शुरू हुई थी। एक साल में लाखों लोगों को कोरोना का संक्रमण हुआ और अगले साल यानी 2021 में हर महीने औसतन तीन हजार लोगों की मौत हुई है। बीएमसी ने अभी छह महीने का आंकड़ा जारी किया है, जिसके मुताबिक पहले छह महीने में 17,880 लोग मरे हैं यानी हर महीने औसतन तीन हजार लोग मरे। 2021 में दूसरी लहर के बावजूद कोरोना से 10,289 मरे, जबकि दिल का दौरा पडऩे से करीब 18 हजार लोग मरे।
बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक 2018 से 2020 तक दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मौतों में कमी आई थी। लेकिन 2020 और 2021 में कैंसर, किडनी की बीमारी और टीबी से मरने वालों की संख्या कम हुई है और दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मौतें बढ़ी हैं। इसका संबंध कोरोना से तो ही है वैक्सीनेशन से भी है। देश के दूसरे राज्यों ने पता नहीं है इस तरह के आंकड़ों का संग्रह किया है या नहीं लेकिन इसके राष्ट्रीय ट्रेंड को समझने की जरूरत है। पिछले कुछ समय से कम उम्र के लोगों का जैसे दिल का दौरा पडऩे से निधन हो रहा है वह चिंताजनक है।