* मुख्यमंत्री धामी पर लग रहे हैं अनावश्यक क्षेत्रवाद के आरोप
* मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुई चार धाम यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
नई दिल्ली/देहरादून (हि. डिस्कवर)
पहला विवाद यह कि श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट कैसे? दूसरा यहाँ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम लेकर उन पर क्षेत्रवाद के आरोप क्यों? आखिर ये सुरेन्द्र रौतेला हैं कौन! जिन के बारे में कहा जा रहा है कि वे दिल्ली में केदार नाथ धाम का निर्माण कर रहे हैं? घोड़ा पड़ाव बेस कैंप के अध्यक्ष ने आखिर इतने संगीन आरोप क्यों लगाए।
इस सब पर जाँच पड़ताल के बाद जो घटनाक्रम सामने आये है उस से ऐसा लगता है कि इस सब के पीछे वह पोस्टर विवाद की वजह है जिसमें केदारनाथ मंदिर के फोटो के साथ विगत 10 जुलाई 2024 को आमंत्रण देते हुए लिखा गया है कि ‘श्री केदारनाथ धाम भूमि पूजन-समारोह’ बुद्धवार दिनांक 10 जुलाई 2024 उक्त उत्तम प्रसंग कार्यक्रम पर आप सभी सपरिवार आमंत्रित हैं। पोस्टर में एक ओर सुरेन्द्र सिंह रौतेला फाउंडर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष लिखा है तो दूसरी ओर ट्रस्ट का स्कैनर दिया हुआ है।
आखिर ऐसी वजह क़्या है जिसमें केदार घाटी के कुछ लोग इस सम्पूर्ण प्रकरण पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को घेर रहे हैं। तब सूत्रों के हवाले से जानकारी प्राप्त हुई है कि जहाँ एक ओर विगत 10 जुलाई 2024 को इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, रानीखेत विधायक प्रमोद नैलवाल, सल्ट विधायक महेश जीना, दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र के विधायक संजीव झा, स्वामी कैलाशानंद जी महाराज, राघवेंद्र नंद जी, गौ धाम के गोपालमणि जी महाराज, कंचन गिरी जी महाराज मंचासीन थे। वहीं दूसरी ओर इसे राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि हाल ही के दिनों में केदारनाथ क्षेत्र की विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद यहाँ उप चुनाव होने हैं।
सूत्र यह भी कहते हैं कि क़्या यह सब किये जाने से केदारनाथ धाम पर श्रद्धा भक्ति व आस्था के साथ आने वाले श्रद्धालुओं के साथ छल नहीं है, क्योंकि 12 ज्योतिर्लिङ्ग में एक भी ऐसा ज्योतिर्लिङ्ग नहीं है, जिसका अन्यत्र कोई धाम हो? ऐसे में यह बाबा केदार धाम से खिलवाड़ नहीं तो क़्या है? सुनिए क़्या कह रहे हैं केदार घाटी के लोग :-
प्रश्न यह है कि पोस्टर से विवाद क्यों उपजा? जिसका सीधा स जबाब है कि पोस्टर में श्री केदारनाथ धाम मंदिर लिखा गया है, जो कि 12 ज्योतिर्लिङ्गों में एक सिर्फ़ उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में एक ही है।
इसके जबाब में विगत 11 जुलाई को विवाद बढ़ता देख श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए स्पष्टीकरण दिया है कि “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हमारा ट्रस्ट श्री केदारनाथ धाम दिल्ली के द्वारा केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, इस मन्दिर का केदारनाथ धाम जो कि उत्तराखंड में स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है कोई संबंध नहीं है। जैसा कि आपको ज्ञात ही होगा दिल्ली में खाटू श्याम, माता वैष्णो देवी और बद्रीनाम जैसे कई मंदिर बनाये गए है उसी तरह हमारे ट्रस्ट द्वारा भी श्री केदारनाथ मंदिर दिल्ली का निर्माण किया जा रहा है।”
इस प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लेने पर हमारे द्वारा श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर सुरेन्द्र सिंह रौतेला से उनके नंबर 9625800500 पर शांयकाल 06:34 मिनट पर फोन किया गया जो रौतेला जी के अधीन किसी महिला ने उठाया और कहा कि अभी बात नहीं हो सकती। मैं 10 मिनट बाद आपसे बात करवाती हूँ लेकिन उसके बाद खबर लिखे जाने तक ट्रस्ट की ओर से कोई फोन कॉल नहीं आया है।
यहाँ लोगों की नाराजगी की वजह है मुख्यमंत्री का कार्यक्रम में शिरकत करना और पोस्टर पर लिखे शब्दों में श्री केदारनाथ धाम को हू-ब-हू पढ़ना। अगर यही नाराजगी की वजह है तो सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में केदारनाथ मंदिर निर्माण की बात लिखी गई थी और पड़ताल करने पर पाया गया कि जैसे बद्रीनाथ मंदिर कई जगह लोगों ने अपनी पूजा अर्चना के लिए बनाये हैं, वैसे ही केदारनाथ व अन्य मंदिर भी हैं। श्री केदारनाथ धाम क्योंकि 12 ज्योतिर्लिङ्गों में एक है तो वह कहीं अन्यत्र कैसे बनाया जा सकता है।
सूत्रों की माने तो यही कारण भी है कि श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने प्रेस रिलीज में स्पष्टीकरण देते हुए स्पष्ट लिखा है कि केदारनाथ धाम का इस मंदिर निर्माण से कोई संबंध नहीं है। यहाँ लगता है कि इस प्रसंग को क्षेत्रवाद की ओर मोड़ना नितांत राजनीति है और कुछ नहीं। मुख्यमंत्री पर यह आरोप अनावश्यक लगाए जा रहे हैं। सूत्र यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में चार धाम यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है.